Women Empowerment : आजीविका मिशन से बढ़ा महिलाओं का स्वावलंबन

Women Empowerment  : राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ने महिलाओं को स्वावलंबी बनाने का काम किया है। स्वयं सहायता समूहों की महिलाएँ न केवल अपने अधिकार के लिए जागरूक हो रही हैं, बल्कि अन्य महिलाओं को उनका हक़ दिलाने और उनकी समस्याएँ सुलझाने के लिए भी प्रयास कर रहीं हैं। गाँवों में महिला सशक्तिकरण का यह अद्भुत उदाहरण है 

प्रियंका ‘सौरभ’

Women Empowerment : आजीविका मिशन ग्रामीण महिलाओं के जीवन में बड़ा सामाजिक आर्थिक परिवर्तन ला रहा है।  ग्रामीण विकास मंत्रालय ग्रामीण गरीब विशेषकर स्वयं सहायता समूह की महिला सदस्यों का आर्थिक और सामाजिक दर्जा सुधारने के लिए संकल्पबद्ध है। दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन का उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को आत्म विश्वासी, जागरूक और आत्मनिर्भर बनाना है। ये केंद्र सरकार का गरीबी राहत कार्यक्रम है। इसे वर्ष 2011 में भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा ‘आजीविका – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के रूप में लॉन्च किया गया था। 2015 में इसका नाम बदलकर दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन कर दिया गया।

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Deendayal Antyodaya Yojana राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत प्रशिक्षण लेकर स्वयं सहायता समूहों की महिलाएँ न केवल अपने अधिकार के लिए जागरूक हो रही हैं, बल्कि अन्य महिलाओं को उनका हक़ दिलाने और उनकी समस्याएँ सुलझाने के लिए भी प्रयास कर रहीं हैं। गाँवों में Women Empowerment का यह अद्भुत उदाहरण है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ने महिलाओं को स्वावलंबी बनाने का काम किया है। देश भर के ब्लाकों में महिला स्वयं सहायता समूहों की कैंटीन संचालित हो रही हैं। उचित दर की दुकानों का संचालन भी समूह की महिलाएं कर रही हैं। जैविक खेती में भी महिला समूहों ने नया कीर्तिमान बनाया है।

यह योजना पहले की Swarnjayanti Gram Swarozgar Yojana का एक उन्नत संस्करण है। कार्यक्रम आंशिक रूप से विश्व बैंक द्वारा समर्थित है; इसका उद्देश्य प्रभावी और Efficient Institutional Platform बनाना है ताकि ग्रामीण गरीबों को स्थायी आजीविका संवर्द्धन और वित्तीय सेवाओं तक बेहतर पहुंच के माध्यम से अपनी घरेलू आय बढ़ाने में सक्षम बनाया जा सके। इसके अतिरिक्त, गरीबों को अधिकारों, सार्वजनिक सेवाओं और अन्य अधिकारों तक बेहतर पहुंच प्राप्त करने में सक्षम बनाया जाएगा।

हरियाणा के भिवानी जिले के सिवानी ब्लॉक के आजीविका मिशन प्रोग्राम मैनेजर जगबीर रमेश सिंहमार का कहना है कि गरीबों में गरीबी से बाहर आने की तीव्र इच्छा होती है, और उनमें जन्मजात क्षमताएं होती हैं इसलिए गरीबों की जन्मजात क्षमताओं को उजागर करने के लिए Social Mobilization और गरीबों की मजबूत संस्थाओं का निर्माण महत्वपूर्ण है। सामाजिक लामबंदी, संस्था निर्माण और सशक्तिकरण प्रक्रिया को प्रेरित करने के लिए एक बाहरी समर्पित और संवेदनशील संरचना की आवश्यकता है। ज्ञान के प्रसार, कौशल निर्माण, ऋण तक पहुंच, विपणन तक पहुंच और अन्य आजीविका सेवाओं तक पहुंच को सुगम बनाना इस कार्यक्रम की गतिशीलता को रेखांकित करता है।

एनआरएलएम के तहत हम सभी गतिविधियों का मार्गदर्शन करने वाले मूल मूल्य संजोकर गरीब महिलाओं को आगे बढ़ने कि दिशा देते है, जैसे- सभी प्रक्रियाओं में सबसे गरीब को शामिल करना और सबसे गरीब को सार्थक भूमिका देना, सभी प्रक्रियाओं और Transparency of Institutions और जवाबदेही, सभी चरणों में गरीबों और उनके संस्थानों का स्वामित्व और महत्वपूर्ण भूमिका, योजना कार्यान्वयन और निगरानी, समुदाय आत्मनिर्भरता और चरणबद्ध कार्यान्वयन और एनआरएलएम द्वारा परिकल्पित जिलों और ब्लॉकों के कवरेज के संदर्भ में वर्षवार विवरण। built-in capabilities

मिशन का उद्देश्य गरीबों की built-in capabilities का दोहन करना और उन्हें अर्थव्यवस्था में भाग लेने के लिए क्षमताओं (जैसे ज्ञान, सूचना, उपकरण, वित्त, कौशल और सामूहिकता) से लैस करना है। यह योजना स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) और संघ संस्थानों के माध्यम से 7 करोड़ ग्रामीण गरीब परिवारों को कवर करने और 8-10 वर्षों में आजीविका सामूहिक के लिए समर्थन करने के एजेंडे के साथ शुरू हुई। एनआरएलएम केंद्रीय मंत्रालयों के अन्य कार्यक्रमों के साथ जुड़ाव पर अत्यधिक जोर देता है। गरीबों की संस्थाओं के साथ प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से तालमेल विकसित करने के लिए राज्य सरकारों के कार्यक्रमों के साथ-साथ लीड करता हुआ चलता है।

Livelihood Mission अपने तीन स्तंभों के माध्यम से गरीबों की मौजूदा आजीविका संरचनाओं को बढ़ावा देने और स्थिर करने पर केंद्रित है। एक ग्रामीण गरीब परिवार की कम से कम एक महिला सदस्य को एक एसएचजी के नेटवर्क में लाया जाना है। यह गरीबों की वित्तीय प्रबंधन क्षमता को मजबूत करने के लिए है।पहला मौजूदा आजीविका का विस्तार करके और कृषि और गैर-कृषि दोनों क्षेत्रों में आजीविका के नए अवसरों का दोहन करके; दूसरा रोजगार निर्माण कौशल के जरिये और तीसरा उद्यम/स्वरोजगार को बढ़ावा देकर।  इस योजना की एक अन्य महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि यह ग्रामीण विकास मंत्रालय की अन्य सरकारी योजनाओं के साथ भागीदारी को उच्च प्राथमिकता देती है। यह पंचायती राज संस्थाओं के साथ संबंध बनाने का भी प्रयास करता है।

आज देश के गांवों में कई स्वयं सहायता समूह जैविक तरीके से सब्जी की खेती कर रहे हैं। National Rural Livelihood Mission ने महिलाओं को स्वावलंबी बनाने का काम किया है। ब्लाकों में महिला स्वयं सहायता समूहों की कैंटीन संचालित हो रही हैं। उचित दर की दुकानों का संचालन भी समूह की महिलाएं कर रही हैं। जैविक खेती में भी महिला समूहों ने नया कीर्तिमान बनाया है। गांवों में कई स्वयं सहायता समूह जैविक तरीके से सब्जी की खेती कर रहे हैं। महिला समूहों की महिलाओं ने खेती में रोजगार तलाशा है।

एनआरएलएम ने स्व-प्रबंधित स्वयं सहायता समूहों और संस्थानों के माध्यम से  8-10 वर्षों की अवधि में  देश के 600 जिलों, 6000 ब्लॉकों, 2.5 लाख ग्राम पंचायतों और 6 लाख गांवों में 7 करोड़ ग्रामीण गरीब परिवारों को कवर करने और उन्हें समर्थन देने के लिए एक एजेंडा निर्धारित किया है। जिस से गरीबों को उनके अधिकारों और सार्वजनिक सेवाओं, विविध जोखिम और Women Empowerment के बेहतर सामाजिक संकेतकों तक पहुंच बढ़ाने में सुविधा होगी। एनआरएलएम गरीबों की जन्मजात क्षमताओं का उपयोग करने में विश्वास रखता है और देश की बढ़ती अर्थव्यवस्था में भाग लेने के लिए उन्हें क्षमताओं सूचना, ज्ञान, कौशल, उपकरण, वित्त और सामूहिकता के साथ पूरा करता है।

(लेखिका रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस,
कवयित्री, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार हैं)

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