चरण सिंह
छठे चरण का मतदान भी समाप्त हो चुका है। अब एक जून को अंतिम चरण का मतदान है। एनडीए और इंडिया ब्लॉक दोनों ओर से सरकार बनाने का दावा किया जा रहा है। बाजार में चर्चा यह भी है कि एनडीए को बहुमत नहीं मिलने जा रहा है और बहुमत से कुछ सीटें कम रह जाएंगी। मेरा मानना है कि जिसे भी मिलेगा बहुमत मिलेगा। यदि एनडीए की सरकार बनेगी तो पूर्ण बहुमत के साथ बनेगी। बीजेपी ३०० से ऊपर सीट लेकर आएगी। यदि एनडीए की सरकार नहीं बनती है तो सीटें २०० के आसपास रहेंगी। मतलब इतनी सीटें आएंगी कि बीजेपी सरकार नहीं बना पाएगी। दरअसल काफी समय से देखा जा रहा है कि जनता जिसे भी देती है पूर्ण बहुमत देती है। 2014-2019 में भाजपा ने बहुमत हासिल किया है। विधानसभाओं के चुनाव में भी यही देखना को मिला है। चाहे दिल्ली हो, उत्तर प्रदेश हो, राजस्थान हो, छत्तीसगढ़ हो मतलब सभी जगह जनता ने जिसे भी दिया बहुमत दिया। ऐसे ही 2024 के लोकसभा चुनाव में भी जिसे भी मिलेगा पूर्ण बहुमत मिलेगा।
पहले और दूसरे चरण के मतदान में भाजपा को झटका लगा प्रतीत हो रहा था तो तीसरे चौथे चरण में बीजेपी को बढ़त मिलती हुई दिखाई दी। पांचवें और छठे चरण में इंडिया और एनडीए में फाइट देखने को मिली। इन चुनाव में शिवसेना उद्धव गुट और अकाली दल बीजेपी से अलग होकर चुनाव लड़ रहे हैं। बेरोजगारी, महंगाई को लेकर लोगों में नाराजगी है तो राम मंदिर निर्माण और हिन्दुत्व के नाम पर बीजेपी काफी कुछ बैलेंस कर ले रही है। इसमें दो राय नहीं कि बीजेपी दस साल से सत्ता में रहने के बावजूद अपने काम के आधार पर वोट नहीं मांग रही है बल्कि कांग्रेस के घोषणा पत्र का हव्वा बनाकर हिन्दुओं को डरा रही है।
इंडिया ब्लॉक की सरकार बनने पर मुस्लिमों के पक्ष में संविधान में संशोधन करने की बात कर रही है। बीजेपी हिन्दुओं में मुस्लिमों का डर बैठा रही है तो इंडिया ब्लॉक के नेता लोगों में संविधान खत्म करने का डर बैठा रहे हैं। वैसे भी बीजेपी के कई नेता भी कह चुके हैं कि वे लोग संविधान में संशोधन के लिए ही 400 से ऊपर सीटें देने की बात कर रहे हैं।
हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रैलियों में कह रहे हैं कि अब तो बाबा भीम राव अंबेडकर भी संविधान नहीं बदल सकते हैं। विपक्ष के नेताओं के मोदी सरकार फिर से बनने पर संविधान बदलने की चर्चा मार्केट में कराने से बड़े स्तर पर दलितों व पिछड़ों का वोट इंडिया ब्लॉक को जा रहा है। वैसे भी राम मंदिर निर्माण का भी ज्यादा असर इन चुनाव में नहीं देखा जा रहा है। प्रधानमंत्री का भी 2019 का असर इन चुनाव में नहीं देखा जा रहा है।
प्रधानमंत्री के सैम पित्रोदा के विरासत कर वाले बयान पर मंगलसूत्र तक छीनने के भाषण ने उनका भाषा का स्तर गिराया है। उनके भाषण में वह आकर्षण नहीं दिखाई दे रहा है जैसा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में देखने को मिला था। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हटाने की चर्चा और गुजरात राजकोट से बीजेपी प्रत्याशी पुरुषोत्तम रुपाला के राजपूतों पर आपत्तिजनक टिप्पणी का नुकसान भी भाजपा को हो रहा है। अब देखना यह होगा कि इन चुनाव में ऊंट किस करवट बैठता है।