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क्या आनंदपाल का एनकाउंटर करने वाला दिलाएगा गोगामेड़ी के परिजनों को इंसाफ ?

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जब देश में गोगामेड़ी हत्याकांड के विरोध में देशभर में आंदोलन हो रहा है। जब गोगामेड़ी की पत्नी शीला शेखावत राजपूत समाज से लम्बी लड़ाई का आह्वान कर चुकी हैं। ऐसे में सुखदेव सिंह गोगामेड़ी को न्याय दिलाने का जिम्मा राजस्थान के सिंघम एडीजी क्राइम दिनेश एमएन को दिया गया है। उनकी टीम में एसपी करण शर्मा, एडिशनल एसपी विद्या प्रकाश और डिप्टी एसपी संजीव भटनागर समेत कई अफसर लिए गए हैं। इस टीम के मार्गदर्शन में पुलिस मुख्यालय और अलग-अलग जिलों में बनाई गई स्पेशल टीमें कार्रवाई में जुट गई हैं।

दरअसल राजस्थान के दबंग आईपीएस दिनेश एमएन पिछले दिनों छुट्टी पर गए हुए थे। जयपुर में सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की हत्या होने पर डीजीपी ने उन्हें वापस बुला लिया है। छुट्टियों के बीच दिनेश एमएन वापस ड्यूटी पर लौटे और सीधे श्याम नगर स्थित उस मकान तक पहुंचे जहां सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की हत्या हुई है। राजस्थान के इस सिंघम में अपनी टीम को फील्ड में उतार दिया है। एक स्पेशल टीम तकनीकी तरीके से हमलावरों और उनके ठिकानों के बारे में जानकारी जुटा रही है जबकि अन्य टीमें हमलावरों के परिजनों, रिश्तेदारों और नजदीकी साथियों से पूछताछ कर रही है। हमलावरों के फरार होने का पूरा रूट पता चल चुका है। हमलावरों की गिरफ्तारी के लिए राजस्थान के साथ दिल्ली, हरियाणा और यूपी में भी जगह जगह दबिश दी जा रही है।

दिनेश एमएन कर्नाटक के रहने वाले हैं और 1995 बैच के आईपीएस हैं। वे राजस्थान कैडर के ऐसे अफसर हैं उनकी ईमानदारी पर कोई शक नहीं करता। दिनेश एमएन जिन जिलों में एसपी रहे। वहां के बदमाश इनके नाम से कांपते थे। डर के मारे कई आदतन अपराधियों ने जिले ही छोड़ दिए थे। 1998 में उनकी पहली पोस्टिंग के तौर पर दौसा में एएसपी रहे तो बदमाशों की ऐसी धुनाई की कि उन्हें दौसा छोड़कर भागना पड़ा। बाद में जयपुर शहर के गांधी नगर सर्किल के एएसपी रहे। इस सर्किल में राजस्थान विश्वविद्यालय आता है जहां आए दिन राजनैतिक संरक्षण के चलते गुंडागर्दी होती थी। दिनेश एमएन ने यूनिवर्सिटी के नेताओं का ऐसा इलाज किया कि आज तक लोगों की जुबान पर हैं।

वर्ष 2000 से 2002 तक करौली के एसपी रहे तो बीहड़ के जंगलों में डकैतों के खिलाफ अभियान छेड़ा और कई गैंग्स को गिरफ्तार किया। दो साल के कार्यकाल में उन्होंने बीहड़ को डकैतों से खाली करवा दिया। वर्ष 2005 में दिनेश एमएन उदयपुर जिले के एसपी बने। उस दौरान राजस्थान पुलिस और गुजरात पुलिस के ज्वाइंट ऑपरेशन में सोहराबुद्दीन को एनकाउंटर करके मार गिराया था। बाद में इस एनकाउंटर पर सवाल उठे और फर्जी एनकाउंटर बताते हुए कई पुलिस अफसरों के खिलाफ मुकदमे दर्ज हुए। आईपीएस दिनेश एमएन समेत कई अधिकारी गिरफ्तार हुए और जेल गए। सोहराबुद्दीन एनकाउंटर की जांच सीबीआई द्वारा की गई। आईपीएस दिनेश एमएन सात साल तक जेल में बंद रहे।

सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस में वर्ष 2014 में वे जमानत पर छूटे और वर्ष 2017 में सर्विस के लिए बहाल हुए। सोहराबुद्दीन केस में सीबीआई से आईपीएस दिनेश एमएन सहित सभी पुलिसकर्मियों और अधिकारियों को बरी कर दिया। जेल से छूटने के बाद फिर से पुलिस सेवा में आए तो उन्हें प्रमोशन मिला और वे आईजी बन गए।

एंटी करप्शन ब्यूरो में दिनेश एमएन के आते ही रिश्वतखोरों की नींद हराम हो गई। आईजी रहने के दौरान पहली बार किसी आईएएस अफसर को ढाई करोड़ रुपए की घूस लेते गिरफ्तार किया। वरिष्ठ आईएएस और खान विभाग के तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य सचिव अशोक सिंघवी को 2 करोड़ 50 लाख रुपए की रिश्वत के साथ गिरफ्तार करने वाले दिनेश एमएन ही थे।

गैंगस्टर आनंदपाल सिंह एक दशक तक राजस्थान पुलिस के लिए बड़ा सिरदर्द बना हुआ था। वह सिर्फ एक बार पुलिस की गिरफ्त में आया था और कुछ ही दिनों बाद पुलिस पर हमला करके फरार हो गया था। वर्ष 2017 में आनंदपाल सिंह की फाइल दिनेश एमएन को दी गई। उन्होंने आनंदपाल सिंह के एक एक गुर्गों को चुन चुन कर गिरफ्तार किया। जून 2017 में दिनेश एमएन के निर्देशन में एसओजी की टीम ने गैंगस्टर आनंदपाल सिंह को घेर लिया। उसे पुलिस के हवाले करने की बात कही लेकिन आनंदपाल सिंह ने फायरिंग शुरू कर दी। पुलिस की जवाबी फायरिंग में आनन्दपाल सिंह ढेर हो गया। इन्हीं दिनेश एमएन को अब सुखदेव सिंह गोगामेड़ी के हत्यारों को गिरफ्तार करने का जिम्मा मिला है।