चरण सिंह
बिहार में भले ही नीतीश कुमार एनडीए में शामिल हो गये हों पर चाचा भतीजे के विवाद से एनडीए में बगावत का आसार बन गए हैं। एनडीए के सहयोगी दल राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के नेता पशुपति पारस एनडीए से अलग हो सकते हैं। उनके अलग होने का बड़ा कारण उन्हें एक भी सीट न मिलने की मीडिया में आ रही खबरें हैं।
पशुपति पारस ने बाकायदा सीटें न मिलने पर निर्णय लेने का ऐलान कर दिया है। उनका कहना है कि मीडिया आ रही खबरें देखकर उनके कार्यकर्ताओं में बड़ी निराशा देखी जा रही है। यह माना जा रहा है कि यदि उनको सीटें नहीं मिलती हैं तो वह निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हैं। तो क्या पशुपति बगावत करेंगे ? पशुपति पारस यदि एनडीए में बगावत करते हैं तो उनका इंडिया गठबंधन में जाना तय माना जा रहा है।
हालांकि उनको राज्यसभा में भेजने या फिर राज्यपाल बनाने की भी बात की जा रही है। राज्यसभा में भेजने की बात में तो दम इसलिए नहीं लग रहा है क्योंकि हाल फिलहाल कोई राज्यसभा सीट खाली नहीं हो रहीं है। राज्यपाल बनने की खबर पर पशुपति पारस ने कहा है कि वह अपने चार सांसदों को क्या जवाब देंगे ?
हालांकि जिस तरह से महबूब अली चिराग पासवान के साथ देखे गये। ऐसे में दूसरे सांसद भी पाला बदल सकते हैं। ऐसे में पशुपति पारस को यदि राज्यपाल का ऑफर मिलता है तो वह राज्यपाल बन सकते हैं। इसकी बड़ी वजह यह है कि वह जानते हैं कि आज की तारीख में हर सांसद चुनाव लड़ना चाहता है और वह राजद से टिकट दिलवा भी दें तो एनडीए में सीट निकालने की ज्यादा संभावना है।
ऐसे में पशुपति पारस राज्यपाल बनने का मौका नहीं गंवाएंगे। जहां तक एनडीए में सीटों के बंटवारे की बात है तो एनडीए में जदयू को 16 बीजेपी को 17, चिराग पासवान को 5 और जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा को एक एक सीटें मिलने की बात सामने आ रही है। उधर राजद कांग्रेस को सात सीटें से ज्यादा देने को तैयार नहीं है। कांग्रेस 11 सीटें मांग ही है। बिहार में कांग्रेस और राजद में सीटों का बंटवारा देर सवेर हो सकता है। दरअसल बिहार में तेजस्वी यादव ने राजद को बिहार की सबसे बड़ी पार्टी बना दिया है। हालांकि लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी का जादू सिर चढ़कर बोलता है।
फिर भी इस बार बिहार में एनडीए के पिछला रिकार्ड दोहराने में संदेह जताया जा रहा है। पिछली बार एनडीए को 39 सीटें मिली थी। इस बार इंडिया गठबंधन के 6-7 सीटें जीतने की संभावना जतायी जा रही है। भारतीय जनता पार्टी ने अपनी सीटें देश में 370 तो एनडीए की 400 से पार करने की रणनीति बनाई है। ऐसे में बिहार की 40 सीटें जीतने का एनडीए का लक्ष्य है। दरअसल बिहार के राजनीतिक समीकरण इसलिए भी गड़बड़ाने जा रहे हैं क्योंकि लालू प्रसाद जेल से बाहर हैं।
लालू प्रसाद को बिहार की राजनीति का सबसे बड़ा नेता माना जाता है। पर जिस तरह से पीएम मोदी ने इंडिया गठबंधन के सूत्रधार नीतीश कुमार को लालू प्रसाद से छीना है उसको देखते हुए कहा जा सकता है कि बिहार में लालू प्रसाद के दिन गये। हालांकि उनके बेटे तेजस्वी यादव के रणकौशल की जगह-जगह तारीफ हो रही है। तेजस्वी यादव को बिहार का बड़े नेता माना जा रहा है। बिहार के जो राजनीतिक समीकरण उभर कर सामने आ रहे हैं उनके अनुसार तेजस्वी यादव, चिराग पासवान और सम्राट चौधरी आने वाले समय में बिहार के नेता माने जा रहे हैं।