पहले ढाई साल नीतीश और बाद में ढाई साल तेजस्वी के सीएम बनने पर बन सकती है बात
2029 के चुनाव में प्रधानमंत्री पद का चेहरा बन सकते हैं नीतीश कुमार ?
नीतीश को इंडिया में लाने के लिए प्रियंका गांधी से संभाली कमान
चरण सिंह
ऐसे ही एमएलसी उप चुनाव में बीजेपी ने जदयू को सीट नहीं दी है। ऐसे ही आरजेडी मुखिया लालू प्रसाद ने नीतीश कुमार के लिए दरवाजे खुले रखने की बात नहीं की है। ऐसे ही नीतीश कुमार अमित शाह के बयान पर नाराजगी व्यक्त नहीं कर रहे हैं ? ऐसे ही राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के जन्मदिन पर लालू प्रसाद से मिलने नहीं पहुंचे ? ये सभी समीकरण विधानसभा चुनाव की बिसात को सजा रहे हैं।
दरअसल अमित शाह के बयान के बाद नीतीश कुमार लगातार बीजेपी से नाराज चल रहे हैं। दिल्ली में वह अपने तेवर दिखाने गए थे पर बीजेपी नेतृत्व ने उनके तेवर ढीले कर दिए। बिहार में भले ही तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार के लिए दरवाजे बंद करने की बात कर दी हो पर लालू प्रसाद ने नीतीश कुमार के लिए दरवाजे खोल दिए हैं। नीतीश कुमार को भी दरवाजे खोलने के लिए कहा है। आरजेडी से मिलकर सरकार बनाओ। लालू का यह खेल गृह मंत्री अमित शाह पूरी तरह से समझ रहे हैं।
आरिफ खान ऐसे ही राबड़ी देवी के जन्म दिन पर बधाई देने नहीं पहुंचे। अमित शाह चाहते हैं कि बिहार विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार के चेहरे पर ही लड़ा जाए। और विधानसभा चुनाव जीतकर महाराष्ट्र की तर्ज पर खेला कर दिया जाए। यह बात नीतीश कुमार बखूबी समझ गए हैं। वह जानते हैं कि उप चुनाव के लिए उन्हें सीट फिलहाल जदयू और बीजेपी के बीच चल रहे तनाव को कम करने के लिए दी गई है।
मुख्यमंत्री पद से हटाने की रणनीति बीजेपी ने बना ली है। ऐसे में नीतीश कुमार कोई बड़ा खेला करने के इन्तजार में हैं। ख़बरें तो यहाँ तक आ रही हैं कि प्रियंका गांधी नीतीश कुमर को इंडिया गठबंधन में लाने के लिए पूरी तरह से जुट चुकी हैं।
ऐसे में प्रश्न उठता है कि नीतीश कुमार को क्या भरोसा देकर इंडिया गठबंधन में लाया जा सकता है ?
लालू प्रसाद कितना भी बोलते हों पर वह दिल के बड़े नेता माने जाते हैं। नीतीश कुमार को इंडिया में लाने के लिए पहले ढाई साल नीतीश कुमार तो बाद के ढाई साल तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बना दिया जाए और 2029 के लोकसभा चुनाव के लिए नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री पद का चेहरा बना दिया। इसमें दो राय नहीं कि आज भी नीतीश कुमार विपक्ष से सबसे अधिक साफ सुथरा चेहरा माने जाते हैं। इंडिया गठबंधन के सूत्रधार भी नीतीश कुमार रहे हैं। नीतीश कुमार उस समय आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल, टीएमसी की मुखिया ममता बनर्जी, सपा मुखिया अखिलेश यादव, कांग्रेस नेता राहुल गांधी सोनिया गांधी और राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मिले।
एनसीपी चीफ शरद पवार, उद्धव ठाकरे, डीएमके मुखिया एमके स्टालिन, जम्मू कश्मीर में एनसी मुखिया फारूक अब्दुल्ला से मिले। नीतीश कुमार को यदि इंडिया गठबंधन में लीड करने की जिम्मेदारी दी गई तो वह फिर से विपक्ष का माहौल बना सकते हैं। जहां तक नीतीश कुमार के स्वास्थ्य की बात है तो उनका स्वास्थ्य ख़राब ही इसलिए है क्योंकि एनडीए में उनको तवज्जो न मिलने से घुटन महसूस कर रहे हैं।
नीतीश कुमार समझ रहे हैं कि उत्तर प्रदेश से केबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर जो बिहार में चुनाव लड़ने का दंभ भर रहे हैं वह उनको ग घेरने की रणनीति है। इस हालात में वह नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन में शामिल होकर आरजेडी के साथ मिलकर चुनाव लड़ सकते हैं। आरजेडी के साथ चुनाव लड़ने से उनकी मजबूती ही होगी। क्योंकि आरजेडी के साथ चुनाव लड़ने से उनको वह मुस्लिम वोटबैंक भी मिल जाएगा जो उनसे बिदक रहा है।