सहारा पीड़ितों को दिलाकर रहूंगा पाई-पाई का हिसाब : दिनेश चंद्र दिवाकर
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राष्ट्रीय उपकार संयुक्त मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने की अधिक से अधिक संख्या में
दिल्ली पहुंचने की अपील
द न्यूज 15
नई दिल्ली/पटना। सहारा इंडिया के खिलाफ देशभर में धरना-प्रदर्शन चल रहे हैं। एक फरवरी को सहारा के पीड़ित निवेशकों ने काला दिवस मनाया है। जगह-जगह पैसों को लेकर आंदोलन चल रहा है। ७ फरवरी को सहारा निवेशक दिल्ली जंतर-मंतर पर अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन करने जा रहे हैं। इन निवेशकों संसद का घेराव का कार्यक्रम है। जंतर पर कार्यक्रम को लेकर लेकर राष्ट्रीय उपकार संयुक्त मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष दिनेश चंद्र दिवाकर ने देश के विभिन्न राज्यों बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पश्चिमी बंगाल, महाराष्ट्र के अध्यक्षों को उनकी जिम्मेदारी बांट दी है। देशभर से हजारों निवेशकों के दिल्ली जंतर-मंतर पर पहुंचने का दावा किया जा रहा है।
दिल्ली जंतर मंतर पर होने वाले आंदोलन को लेकर राष्ट्रीय उपकार संयुक्त मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष दिनेश चंद्र दिवाकर ने एक बयान जारी कर कहा है कि दिल्ली में सभी आंदोलनकारियों के खाने का पूरा इंतजाम किया गया है। उन्होंने आह्वान किया है कि देश के कोने कोने से सहारा पीड़ित जमाकर्ता व कार्यकर्ता अधिक से अधिक संख्या में दिल्ली पहुंचें। भुगतान को लेकर चलने वाले इस आंदोलन को सफल बनायें।
मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष दिनेश चंद्र दिवाकर का कहना है कि देश का कोई भी जमाकर्ता व कार्यकर्ता अपने बांड व रसीद को बड़े संभाल का रखे। उसे कहीं गायब न करे। उन्होंने दावा किया है कि वह हर हाल में भुगतान कराकर दम लेंगे। दिनेश दिवाकर का कहना है कि सहारा का साम्रज्य 42 साल का है। यदि निवेशकों का भुगतान न मिला तो यह साम्राज्य मात्र 42 दिन में ढहा दिया जाएगा। सुब्रत राय निवेशकों के सामने नतमस्तक होना ही पड़ेगा। दिनेश दिवाकर ने कहा है कि लोकतंत्र में जनता भगवान होती है। उसे परेशान करने वाले लोग स्वयं परेशान हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि आज सहारा के पैसे न देने की वजह से देशभर में हजारों लोग आत्महत्या कर रहे हैं। उन्होंने कहा है कि उन्हें अब यकीन होने लगा है कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी भी संवेदनहीन हो गए हैं। उनके क्रियाकलापों को जनता समझ गयी है कि उनका भी भुगतान न होने देने में पूरा हाथ है। दिनेश चन्द्र दिवाकर कहा कि वह विश्वाश दिलाते हैं कि भुगतान की लड़ाई हम लोग जीतेंगे ही चाहे इसके लिए हमें कितनी भी कीमत चुकानी पड़े।
आत्महत्या की : उधर जानकारी मिली है कि सहरा इंडिया के स्थापना के दिन एफ सी तावडू 5987 में भुगतान न होने के कारण फील्ड कार्यकर्ता रामपाल ने की आत्महत्या कर ली है।