चरण सिंह
एनकाउंटर मामलों में अक्सर बहस छिड़ जाती है। पुलिस मुठभेड़ दिखाकर एनकाउंटर करती है तो काफी लोग इसे फर्जी एनकाउंटर करार देते हैं। दरअसल एनकाउंटर के नाम पर बदमाशों को मारने पर काफी विवाद होता रहा है। विकास दुबे समेत न जाने कितने एनकाउंटर किये गए। बवाल भी मचा पर पुलिस का रवैया वही रहा। उत्तर प्रदेश में एनकाउंटर को लेकर विवाद रहा है। ऐसा नहीं है कि योगी आदित्यनाथ के शासनकाल में ही एनकाउंटर को लेकर हाय तौबा मच रहा है।
मुलायम सिंह यादव, मायावती और कल्याण सिंह के शासनकाल में भी फर्जी एनकाउंटर को लेकर बवाल मचा था। मुलायम सिंह यादव के शासनकाल में सबसे अधिक फर्जी एनकाउंटर होने की बातें सामने आती हैं। ऐसे में प्रश्न उठता है कि ऐसे तो पुलिस किसी से भी मुठभेड़ दिखाकर उसका एनकाउण्टर कर देगी ? ऐसा होता भी है न जाने कितने निर्दोष लोगों का फर्जी एनकाउंटर कर दिया जाता है। कुछ पुलिस वाले तो एनकाउंटर स्पेशलिस्ट बनने की हनक में कुछ इंस्पेक्टर न जाने कितने फर्जी एनकाउंटर कर देते हैं। कितनी बार तो कोटा पूरा करने के चक्कर में निर्दोष छात्रों की ही हत्या कर दी जाती है। कई बार कोर्ट भी इन इंस्पेक्टर को सजा देता है पर क्या मरे हुए व्यक्ति को वापस लाया जा सकता है ?
दरअसल नोएडा में जेवर थाना क्षेत्र में करीब तीन साल पहले बी-टेक के एक छात्र से पुलिस की कथित मुठभेड़ के मामले में अदालत के आदेश पर जेवर थाने के तत्कालीन प्रभारी अंजनी कुमार समेत 12 पुलिसकर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। मतलब तीन साल बाद तो एफआईआर दर्ज की गई है। वह भी कोर्ट के आदेश पर। न्याय कब मिलेगा कहा नहीं जा सकता है ?
दरअसल फरवरी में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था जिसके बाद बीती रात को जेवर पुलिस ने मामला दर्ज किया। दरअसल कदंब विहार के निवासी तरुण गौतम ने आरोप लगाया है कि चार सितंबर 2022 की रात करीब 9:45 बजे उनके घर पर बिना पंजीकरण संख्या की दो गाड़ियां आकर रुकीं, जिनमें सादी वर्दी में 10 – 12 लोगों सवार थे।
गौतम के अनुसार इन लोगों ने खुद को पुलिसकर्मी बताया और जबरन घर में घुसकर तोड़फोड़ की। 22 हजार रुपये नकदी ले ली और उनके बेटे सोमेश गौतम के बारे में पूछा। तरुण गौतम के अनुसार जब उन्होंने बताया कि बेटा दिल्ली में कोचिंग कर रहा है। तब भी विश्वास न करते हुए घर की तलाशी ली गई। उन्होंने कहा कि इसके बाद उन्हें जबरन गाड़ी में डालकर अज्ञात स्थान पर ले जाया गया जहां उनकी पिटाई की गई। अगले दिन सुबह उन्हें उनके बेटे के पास दिल्ली ले जाया गया।
तरुण गौतम ने आरोप लगाया कि पुलिस उनके बेटे सोमेश को पड़कर थाना जेवर ले आई तथा झूठा अपराध कबूल करवाने के लिए दबाव बनाया और फिर कथित रूप से फर्जी मुठभेड़ में घायल कर दिया। तरुण ने आरोप लगाया कि कई प्रयासों के बावजूद उनकी शिकायत के आधार पर प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई।
तरुण गौतम ने आरोप लगाया कि पुलिस उनके बेटे सोमेश को पड़कर थाना जेवर ले आई तथा झूठा अपराध कबूल करवाने के लिए दबाव बनाया और फिर कथित रूप से फर्जी मुठभेड़ में घायल कर दिया। तरुण ने आरोप लगाया कि कई प्रयासों के बावजूद उनकी शिकायत के आधार पर प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई।
थाना जेवर के प्रभारी निरीक्षक संजय कुमार सिंह ने बताया कि अदालत के आदेश पर बीती रात इस मामले में तत्कालीन कोतवाली प्रभारी अंजनी कुमार, उप निरीक्षक राकेश बाबू, उपनिरीक्षक अनिरुद्ध यादव, उपनिरीक्षक शरद यादव, उपनिरीक्षक चंद्रवीर, उपनिरीक्षक सनी कुमार ,उपनिरीक्षक नीलकांत, कांस्टेबल रोहित कुमार ,कांस्टेबल भूरी सिंह, कांस्टेबल जयप्रकाश, कांस्टेबल मनोज कुमार, कांस्टेबल छित्तर सिंह के खिलाफ मामला दर्ज किया गया।
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