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गैर बराबरी क्यों नहीं बन पा रहा है चुनावी मुद्दा ?

चुनावी मुद्दा
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चरण सिंह राजपूत 
पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में सभी दलों ने हर स्तर से पूरा जोर लगा रखा है। मुद्दे भी एक से बढ़कर एक हैं, वह बात दूसरी है कि इनमें जमीनी मुद्दे नदारद हैं। आरोप प्रत्यारोप भी जमकर हो रहे हैं पर इनमें जनहित कम और व्यक्तिगत ज्यादा है। यह देश का दुर्भाग्य ही है कि चुनाव में यदि बात नहीं होती है तो वह गैर बराबरी की है। इसे देश की विडंबना ही कहा जायेगा कि एक ओर देश में कोरोना के नाम पर लोगों की नौकरियां छीन ली गईं। काम धंधे चौपट कर दिये गये तो दूसरी ओर कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिनकी संपत्ति में लगातार वृद्धि हुई है। गैर बराबरी की खाई को जो पाटने के दावे सरकारों द्वारा लगातार किये जार रहे हैं वे खोखले साबित हो रहे हैं।
प्रख्यात वकील प्रशांत भूषण ने भी अपने फेस बुक पेज पर एक पोस्ट में लिखा है कि देश के 98 लोगों के पास जितना धन है, उतना धन आम जीवन जीने वाले 55.2 करोड़ लोगों के पास है। उनका कहना है कि देश ने पिछले साल 40 अरबपति जोड़े हैं पर गरीबों की संख्या दोगुनी हो गई है । उनके अनुसार देश में असमानता का स्तर ऐसा है कि देश के 10 अमीरों की दौलत 25 साल तक हर बच्चे की स्कूल उच्च शिक्षा के लिए काफी है! यह स्थिति तब है जब भुखमरी के मामले में हम 101 वें स्थान पर हैं।
   गत वर्ष सरकार की तरफ से पेश की गई एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई थी कि ऑल इंडिया डेट एंड इन्वेस्टमेंट सर्वे 2019 के हिसाब से यह पता लगता है कि देश के 10 फीसद अमीरों के पास शहरी इलाके की 55.7 फीसदी तो ग्रामीण इलाके की संपत्ति का 50.8 फीसदी  है। केंद्र सरकार के इस सर्वे में संपत्ति की गणना मौद्रिक आधार पर की गई थी, इसमें यह तय किया गया था कि किसी परिवार के पास कितनी संपत्ति है। इसमें फिजिकल एसेट को भी शामिल किया गया था, जिसमें बिल्डिंग, जानवर और वाहन आदि भी शामिल थे। इसके साथ ही इस सर्वे में कंपनियों के शेयर, बैंक-पोस्ट ऑफिस डिपाजिट आदि शामिल हैं।
ग्रामीण इलाके में भी वही हाल : जनवरी-दिसंबर 2019 के बीच किए गए इस सर्वे में यह अनुमान लगाया गया कि ग्रामीण इलाके में रहने वाले लोगों के पास 274 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति थी, जिसमें से करीब 140 करोड़ रुपये की संपत्ति 10 फीसदी अमीर लोगों के पास है। ग्रामीण आबादी के टॉप 10 फीसदी लोगों के पास करीब 132 लाख करोड़ की संपत्ति है। ग्रामीण आबादी के 50 फीसदी गरीब लोगों के पास कुल संपत्ति का सिर्फ 10 फीसदी हिस्सा है, शहरी इलाके की 50 फीसदी आबादी के पास संपत्ति का सिर्फ 6.2 फीसदी हिस्सा मौजूद है।