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प्रशांत किशोर की जन सुराज से ‘एमवाई’ का मोह क्यों भंग?

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 देवेंद्र और मोनाजिर के इस्तीफे का ‘राज’ जानिए

दीपक कुमार तिवारी

नई दिल्ली/पटना। अब इसे प्रशांत किशोर की रणनीति का दोष कहे या फिर उनके राजनीतिक दुर्भाग्य की गाथा। पर हो यह रहा है कि पार्टी अभी पूरी तरह से खड़ी भी नहीं हो पाई थी कि जन सुराज के ‘एम वाई’ समीकरण को किसी की नजर लग गई। जन सुराज की रीढ़ माने जा रहे दो कद्दावर नेताओं ने पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया। अचानक से राज्य के दो नामचीन नेताओं ने जन सुराज के प्रति अपनी नाराजगी प्रकट कर एक तरह से अलविदा ही कह दिया है।
बिहार में चार सीटों पर हुए विधानसभा उपचुनाव में एक हद तक मुस्लिम मतों को पाने वाली पार्टी जन सुराज को आज बड़ा झटका लगा है। जन सुराज के कद्दावर नेता पूर्व सांसद मुनाजिर हसन और पूर्व केंद्रीय मंत्री देवेंद्र प्रसाद यादव ने आज प्रशांत किशोर का साथ छोड़ दिया। कारण का खुलासा तो नहीं किया, लेकिन यह मामला तब सामने आया जब जन सुराज की कोर कमेटी गठित हुई। इसके तुरंत बाद जन सुराज के नायक प्रशांत किशोर को भेजे पत्र में पूर्व सांसद मुनाजिर हसन और पूर्व केंद्रीय मंत्री देवेंद्र प्रसाद यादव ने इस्तीफा देने की घोषणा कर दी। हालांकि उन्होंने अपने पत्र में कहा है कि वे कोर कमेटी से इस्तीफा दे रहे हैं, पर जन सुराज की प्राथमिक सदस्यता से नहीं।
उत्तर बिहार के कद्दावर नेताओं में पूर्व सांसद देवेंद्र प्रसाद यादव शुमार किए जाते रहे हैं। जून 1996 में इनकी राजनीति चरम पर पहुंची जब तत्कालीन प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा और इंद्र कुमार गुजराल के मंत्रिमंडल में वाणिज्य के अतिरिक्त प्रभार के साथ खाद्य, नागरिक आपूर्ति, उपभोक्ता मामले और सार्वजनिक वितरण मंत्री बने। मिथिलांचल क्षेत्र में झंझारपुर लोकसभा क्षेत्र (1989-1998 और 1999-2009) से सांसद रह चुके हैं। फुलपरास विधानसभा क्षेत्र (1977-1990) से विधायक भी चुने गए थे। वे युवा लोक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। राजद सुप्रीमो के करीबी रहे देवेंद्र यादव ने इस बीच कई पार्टियां बदली, समाजवादी पार्टी में भी रहे। कुछ ही माह पहले 2024 को जन सुराज में शामिल हुए थे।
पूर्व संसद मोनाजिर हसन भी राजद सुप्रीमो के करीबी रहे। ये चर्चा में तब आए जब वे 15वीं लोकसभा (2009 से 2014) में बेगूसराय लोकसभा से चुनाव लड़े और पहले मुस्लिम नेता बने, जिन्होंने बेगूसराय लोकसभा से भूमिहार जाति के वर्चस्व को समाप्त किया। जुलाई 2024 को जन सुराज पार्टी में ये शामिल हुए थे।
हालांकि दोनों नेताओं ने कारण बताने से इनकार किया। लेकिन राजनीतिक गलियारों में चर्चा यह है कि कोर कमिटी की घोषणा के बाद ही दोनों नेताओं की नाराजगी सामने आई। कहा जा रहा है कि वरीयता का ख़्याल नहीं रखने से दोनों वरिष्ठ नेताओं में नाराजगी थी। कहा जा रहा है कि डॉ. मोनाज़िर हसन सरीखे क़द्दावर मुस्लिम नेता को कोर कमिटी की सूची में 20वें नम्बर पर रखा गया। वहीं देवेन्द्र यादव की भी वरीयता का ख्याल नहीं रखा गया था।
मुजफ्फरपुर में आयोजित एक बैठक में प्रशांत किशोर ने मुस्लिम नेताओं को नाराज कर दिया था। मुजफ्फरपुर से जन सुराज के सचिव जावेद अख्तर कुछ कहना चाह रहे थे। लेकिन प्रशांत किशोर ने उन्हें यह कहते हुए रोक दिया कि इसे राजद न बनाएं।। बस क्या था, जावेद अख्तर ने 200 मुस्लिम कार्यकर्ताओं के साथ जन सुराज पार्टी से इस्तीफा दे दिया। मुस्लिम नेताओं ने प्रशांत किशोर का पुतला फूंका और उन्हें ‘पॉलिटिकल किलर’ करार दे दिया।