बी. कृष्णा
सनातन परंपरा के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नव वर्ष का आरंभ होता है| ब्रह्म पुराण के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही सृष्टि का निर्माण हुआ था। अथर्ववेद में भी इस बात का संकेत मिलता है| इस वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा की शुरुआत 8 अप्रैल 2024 को रात्रि 11 बजकर 50 मिनट और 44 सेकंड से होगी| इस वर्ष का वर्षेश / राजा कौन ?
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को जो वार होता है वही वारेश वर्ष का राजा नियुक्त होता है| 8 अप्रैल को सोमवार है और इसका वारेश चंद्र है, इसलिए इस वर्ष का राजा चंद्र होगा|
वर्षेश / राजा के निर्धारण में तकनीकी त्रुटि
इसकी चर्चा करनी इसलिए आवश्यक है क्योंकि प्रायः इसकी वजह से वर्षेश भिन्न हो जाता है| सही में कुछ और होता है और गणनात्मक त्रुटि की वजह से कुछ और हो जाता है| इसको बहुत स्पष्टता से समझने की जरूरत है| इस घालमेल की वजह से गलत वर्षेश का निर्धारण हो जाता है| गलत तथ्य के प्रकाशन के साथ साथ भ्रम की स्थिति बन जाती है|
एक सवाल – 8 अप्रैल को जिस भी बच्चे का जन्म रात्रि में 11:50:44 बजे होगा उसकी माह,पक्ष , तिथि और वार क्या लिखी जाएगी?
क्या ऐसा नहीं लिखेंगे ?
माह – चैत्र
पक्ष- शुक्ल
तिथि – प्रतिपदा
वार- सोमवार
ठीक इसी प्रकार 8 अप्रैल 2024 भारतीय समयानुसार रात्रि के 11:50:44 बजे वर्ष प्रतिपदा की जो कुंडली बनेगी वहां माह, पक्ष, तिथि और वार में लिखा जायेगा- चैत्र माह शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि और सोमवार|
ऐसा नहीं होगा न कि कुंडली तो हम रात्रि के समयानुसार बनाएं और तिथि, वार आदि दूसरे दिन सूर्योदय काल से लें|
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार एक सूर्योदय से दूसरे सूर्योदय तक वार नहीं बदलता इसलिए 8 अप्रैल को सोमवार रहेगा और सोमवार का वारेश चंद्र है इसलिए वर्ष का राजा चंद्र होगा|
ज्योतिषीय गणना से चैत्र शुक्ल प्रतिपदा एवं चैत्र नवरात्र की शुरुआत कब से है ?
चूँकि नव संवत्सर की शुरुआत 8 अप्रैल को देर रात्रि में हो रही है इसलिए शक्ति साधना के लिए नवरात्र की शुरुआत 8 तारीख से न होकर 9 अप्रैल प्रातः काल से की जाएगी|
9 अप्रैल प्रातः काल से चैत्र नवरात्र की शुरुआत होगी और 8 अप्रैल को रात्रि 11 : 50 :44 बजे से चैत्र शुक्ल प्रतिपदा की शुरुआत होगी|
सूर्य के मेष राशि में प्रवेश के अनुसार वर्ष का मंत्री नियुक्त होता है| इसके अनुसार इस वर्ष का मंत्री शनि होगा|
हिन्दू नव वर्ष 2024 का राजा चंद्र और मंत्री शनि होगा| चंद्र और शनि दोनों एक दूसरे से भिन्न प्रकृति एवं प्रवृति के ग्रह हैं|
वराह मिहिर के अनुसार जिस वर्ष का राजा चंद्र होता है वह वर्ष धरती जलमग्न हो जाती है| सभी प्रकार के धान्य प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होते हैं| लोगों के बीच आपसी प्रेम में बढ़ोतरी होती है|
यह अधूरा कथन है, क्योंकि इसके आगे कुछ नहीं कहा गया है कि राजा और मंत्री कि स्थिति के अनुसार वर्ष कैसा होगा या राजा का अन्य ग्रहों के साथ बनने वाले संबंधों के आधार पर वर्ष कैसा रहेगा|
वराह मिहिर के इस कथन से प्रकाश लेते हुए देश काल के साथ अन्य सभी पहलुओं पर विचार करते हुए देखते हैं कि इस वर्ष चंद्र का राजा बनना और शनि का मंत्री बनना क्या संकेत दे रहे है|
वर्ष प्रतिपदा की कुंडली में केतु को छोड़कर अन्य सभी ग्रह सिर्फ 65 डिग्री के अंशात्मक दूरी में होंगे|
वर्षेश चंद्र जलीय राशि में जलीय ग्रह शुक्र के साथ साथ सूर्य और राहु के साथ नज़दीकी संबंध में होगा|
राजा चंद्र का मीन राशि, रेवती नक्षत्र में, सूर्य, राहु और शुक्र के साथ होगा और मंत्री शनि स्व राशि कुंभ राशि, वायु तत्व राशि में मंगल के साथ होगा|
बुध मेष राशि, अग्नि तत्व राशि में वक्री और गंडांत में गुरु के साथ होगा| इसपर वैसे शनि की दृष्टि होगी जो मेष के मालिक मंगल के साथ होगा|
वर्ष प्रतिपदा के दिन ही यानि 8 अप्रैल को सूर्य ग्रहण भी है जो अमेरिका, मेक्सिको, कनाडा में पूर्ण एवं पश्चिमी यूरोप, ग्वाटेमाला, ऐलसालवाडोर, निकारागुआ, पुर्तगाल, आयरलैंड आदि जगहों में आंशिक रूप में देखा जायेगा|
राजा चंद्र की अपेक्षा मंत्री शनि की स्थिति मजबूत होना तथा ग्रहों का आपस में जिस प्रकार का संबंध तैयार हो रहा है वह इस वर्ष क्या संकेत दे रहे हैं?
इन सबके मद्देनज़र इस वर्ष के महत्वपूर्ण संकेत निम्नांकित हैं-
1 – अमेरिका में राजनैतिक उथल पुथल की स्थिति के साथ साथ वैश्विक मंच पर उसकी स्थिति पहले से और कमजोर हो सकती है|
2 – पश्चिमी यूरोप में भी राजनैतिक उथल पुथल संभव है |
3 – देश, काल का समर्थन प्राकृतिक आपदा के साथ साथ जलवायु परिवर्तन के लिए अनुकूल भूमि प्रदान कर रहे हैं|
4 – हिमालयन रेंज में भूकंप की स्थिति बनेगी|
5 – लंबी अवधि तक चलनेवाली गर्मी की वजह से हिन्दूकुश रेंज में बाढ़ की स्थिति तो बनेगी ही साथ ही साथ जल संकट की स्थिति बनेगी| हिमस्खलन के लिए अनुकूल माहौल तैयार होगा|
भारतवर्ष के सिक्किम, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर में भूकंप, बाढ़ और बादल फटने के साथ साथ जल प्लावन की स्थिति बनेगी|
चीन , जापान में जहाँ भूकंप की स्थिति बनेगी वहीं टेक्सास, मेक्सिको में आगजनी की स्थिति बनेगी| अमेरिका का टेक्सास और मेक्सिको सर्वाधिक प्रभावित होने वाले क्षत्रों में होगा|
ज्वालामुखी विस्फोट, चक्रवातीय तूफान, भूस्खलन, हिमस्खलन, आगजनी जैसे प्राकृतिक उत्पात की घटनाओं में इस वर्ष वृद्धि होगी|
6 – इस वर्ष गर्मी सामान्य से अधिक लम्बे समय तक चलेगी|
7 – सुखा संभावित क्षेत्र में वृद्धि के साथ साथ इस वर्ष लंबी अवधि तक चलने वाली गर्मी और अनियमित तथा अनुमान से कम बारिश की वजह से भू जलस्तर में गिरावट दर्ज की जाएगी|
8 – जलवायु परिवर्तन की वजह से स्वास्थ्य सम्बंधित समस्याओं में वृद्धि होगी,
9 – अन्न संकट और आर्थिक संकट उत्पन्न होगा|
10 – समुद्र जल के pH में बदलाव से कुछ समुद्री जीव जंतुओं जैसे कछुआ के अस्तित्व पर संकट पैदा होगा|
11 – वृक्षों में लगने वाले पुष्प एवं फलों में आयी विकृति से इन पर आश्रित जीव, पशु, पक्षी के सामने खाद्यान्न संकट के साथ साथ कुछ पक्षियों के अस्तित्व पर भी संकट उत्पन्न होगा|
चंद्र और शनि के हाथ में के हाथ में वर्ष का कमान आना और शनि का मजबूत होना महापरिवर्तन की दस्तक, हर स्तर पर व्यापक बदलाव का संकेत दे रहे हैं |
कशमकश की स्थिति का बनना, असमंजस की स्थिति का बनना- इसका संकेत दे रहे हैं|
महापरिवर्तन/ व्यापक बदलाव के इस समय में प्रत्येक व्यक्ति क्या करे ?
सबसे पहले कष्ट सहकर शरीर और मन को अनुशासित/ संयमित करके बुद्धि को सहिष्णु बनाकर सक्षम बनाने का प्रयास शुरू करना आरंभ करें|
इसके पश्चात् भूमि, जल, वायु, समस्त प्राणी, वनस्पति,एवं अन्य शुक्ष्म जीव जंतुओं के बीच के अन्तर्सम्बन्ध के साथ साथ ऋत की पहचान करते हुए इन सबके साथ भावनात्मक सम्बन्ध कायम करना आरंभ करें |
अंत में-
संकल्प सिद्धि का वर्ष होगा यह | इसलिए इस वर्ष अपने जीवन से हर एक ऐसे शब्द को निकाल फेंकिए जो आपके प्रगति पथ में बाधक हैं या आपके भीतर नकारात्मक विचारों के संवाहक हैं|
हमारी शिक्षा केवल सूचनाओं का भंडार बन कर न रह जाये बल्कि शिक्षा के साथ दीक्षा का समन्वय भी हो, यह बतलाने वाला यह समय तो है ही साथ ही साथ समस्त सृष्टि के लिए संभावनाओं का नए द्वार खोलने वाला समय है| आपदा को अवसर में बदलने वाला समय है|
इदं न मम !!
सत्यमृतं बृहत् !!!
(लेखिका ज्योतिषी, योग और अध्यात्मिक चिंतक हैं)