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बिहार में कौन सी खिचड़ी रही पक ?

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 नायब सैनी के शपथ में ललन सिंह,  कटिहार में मंच से सीएम नीतीश की सफाई

दीपक कुमार तिवारी

पटना। हरियाणा विधासभा चुनाव में अप्रत्याशित जीत दर्ज करने के बाद नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की नई सरकार गुरुवार को बन गई है। सैनी सरकार के शपथ ग्रहण समारोह के जरिए बीजेपी ने एनडीए के घटक दलों के नेताओं को आमंत्रित कर सैनी सरकार ने मैसेज देने की कोशिश की है कि उनका गठबंधन पूरी तरह से एकजुट है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के शपथ ग्रहण समारोह में जेडीयू की तरफ से मुख्यमंत्री और पार्टी अध्यक्ष नीतीश कुमार के बजाय केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन ऊर्फ ललन सिंह की मौजूदगी को लेकर कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं।
नायब सिंह सैनी के शपथ ग्रहण समारोह में बीजेपी के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा समेत बीजेपी शासित प्रदेशों के तमाम मुख्यमंत्री शामिल दिखे। इसके अलावा एनडीए के तमाम घटक दलों के नेता भी सैनी के शपथ ग्रहण समारोह के गवाह बने। इस दौरान जेडीयू की तरफ से केंद्रीय मंत्री ललन सिंह उपस्थिति दर्ज कराते हुए दिखे। बतौर जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार के शपथ ग्रहण समारोह में नहीं होने पर कई तरह की चर्चाएं होती दिखी।
उधर, सैनी सरकार के शपथ ग्रहण समारोह से ठीक एक दिन पहले नीतीश कुमार बिहार के कटिहार की जनसभा में एक बार फिर से सफाई देते दिखे कि वह एनडीए गठबंधन में बने रहेंगे। पूरे लोकसभा चुनाव के दौरान वह इस बात को कई बार कह चुके हैं। अब बिहार में चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव है तब वह एक बार फिर से इस बात को दोहराते दिखे।
कटिहार की जनसभा में नीतीश कुमार ने कहा, ‘दो बार गलती से हमलोग उधर चले गये, लेकिन अब यह गलती कभी दोबारा नहीं करेंगे। हम लोग पूरी मजबूती के साथ एकजुट रहकर बिहार की तरक्की और जनता की भलाई के लिए काम करते रहेंगे। आप सभी इस कार्यक्रम में शामिल हुए। पुनः मैं आपका अभिनंदन करता हूं और आप सबके प्रति आभार प्रकट करता हूं।’
राजनीति में नीतीश कुमार की ऐसी छवि रही है कि वह कब पलटी मार लें यह कहा नहीं जा सकता है। इतिहास पर नजर डालें तो नीतीश कुमार जब कभी जोर देकर कहते हैं कि वह किसी गठबंधन में बने रहेंगे उसके कुछ घंटे बाद ही पाला बदलते रहे हैं। पिछली बार जब आरसीपी सिंह जेडीयू कोटे से केंद्रीय मंत्री थे और नीतीश कुमार ने बिहार में पलटी मारकर आरजेडी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई थी। तब बिहार सीएम ने कहा था कि आरसीपी सिंह बतौर जेडीयू अध्यक्ष खुद से मंत्री बन गए थे।
इससे पहले ललन सिंह को लेकर भी राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं उठती रही है कि कभी आरजेडी के साथ तो पिछले कुछ समय से बीजेपी नेताओं से उनकी खासी नजदीकी रिश्ते रहे हैं। हालांकि ललन सिंह कई मौकों पर तमाम अटकलों पर बयान देकर विराम लगाते रहे हैं।
पिछले कुछ समय की राजनीति पर ध्यान दें तो कई ऐसे मुद्दे हैं जिसपर जेडीयू और बीजेपी की राह अलग रही है। सबसे ताजा मामला केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह की ओर से बिहार में हिंदू स्वाभिमान यात्रा निकालने पर जेडीयू ने इसपर तीखी प्रतिक्रिया दी है। यहां तक की खुद नीतीश कुमार ने कहा है कि बीजेपी के साथ चल रही उनकी सरकार में मुस्लिमों के कई काम हुए हैं।
इससे पहले बीजेपी विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल की ओर से बिहार के सीमांचल इलाके को अलग कर उसे केंद्र शासित प्रदेश बनाने की मांग की गई तो इसपर जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन ने तत्काल प्रभाव से आपत्ति जताई। राजीव रजंन ने कहा कि इस तरह की बातें बेबुनियाद है।
इससे पहले वक्फ संशोधन बिल पर भी लोकसभा में ललन सिंह ने समर्थन दिया। वहीं बिहार जेडीयू के नेताओं ने एकसुर में इस बिल का विरोध किया। हाल की ऐसी कई बातें हैं जिनको लेकर जेडीयू और बीजेपी में दुराव दिखा है। इस बीच नायब सिंह सैनी के शपथ ग्रहण समारोह में जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार के बजाय ललन सिंह की मौजूदगी कई तरह के सवाल को जन्म देना लाजिमी है।