आज भाजपा अपना स्थापना दिवस मना रही है। देखने की बात यह है कि भले ही आज की तारीख में भाजपा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी छायी हुई हो, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भाजपा का उभरता सितारा माना जा रहा हो पर वह राम मंदिर आंदोलन ही था कि जिसके बल पर न केवल पार्टी आगे बढ़ी बल्कि सत्ता में भी आई। वह राम मंदिर के नायक ही थे, जिन्होंने कांग्रेस के खिलाफ खड़े होकर भाजपा का अपना वजूद बनाया था। वह पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण की जोड़ी थी, जिन्होंने न केवल भाजपा का गठन किया बल्कि उसे राष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान भी दिलाई। आज भले ही राम मंदिर निर्माण का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लेने में लगे हों पर राम मंदिर आंदोलन के नायकों को कोई पूछ नहीं रहा है।
विनय कटियार : वह राम मंदिर आंदोलन ही था कि 1984 में ‘बजरंग दल’ का गठन किया गया था। सबसे पहले
प्रवीण तोगड़िया : विश्व हिंदू परिषद के दूसरे नंबर के नेता माने जाने वाले प्रवीण तोगड़िया भी राम मंदिर आंदोलन के वक्त काफी सक्रिय रहे थी। अशोक सिंहल के बाद विश्व हिंदू परिषद की कमान उन्हें ही सौंपी गई थी। हालांकि बात में उन्होंने विहिप से अलग होकर अंतराष्ट्रीय हिंदू परिषद नाम का संगठन बना लिया। वह बात दूसरी है कि नरेंद्र मोदी के केंद्र में आते ही प्रवीण तोगड़िया अचानक सीन से गायब हो गए। गत दिनों तो उन्होंने मोदी पर उनकी हत्या कराने के षड्यंत रचने का आरोप लगाया था। वह आज की तारीख में अलग-थलग पड़े हैं।
विष्णु हरि डालमिया : विष्णु हरि डालमिया विहिप के वरिष्ठ सदस्य थे। वह बाबरी मस्जिद ढहाए जाने मामले में सह अभियुक्त भी थे। 16 जनवरी 2019 को दिल्ली में गोल्फ लिंक स्थित उनके आवास पर उनका निधन हो गया। राम मंदिर आंदोलन के नायकों की लिस्ट तो बहुत लम्बी है पर मोदी राज में इनका कोई महत्व नहीं है। दरअसल 6 अप्रैल 1980 को देश की राजधानी में अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी ने भारतीय जनता पार्टी की स्थापना की थी। भाजपा के गठन से पहले ये दोनों नेता भारतीय जनसंघ और उसके बाद जनता पार्टी में चले गए थे। 1984 के लोकसभा चुनाव में भाजपा मात्र दो सीटें ही जीती थी। वह बात दूसरी है कि आज 301 सांसदों के साथ मोदी सरकार का दूसरा कार्यकाल चल रहा है। आज हर स्तर से बीजेपी देश में सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है। इसमें दो राय नहीं है कि अपनी स्थापना के बाद से बीजेपी को यहां लाने में भाजपाइयों ने बड़ा संघर्ष किया है। कई रुकावटों के साथ ही विफलताओं को झेलते हुए पार्टी ने एक बड़ा मुकाम बनाया है। बीजेपी का गठन भले ही 1980 में हुआ हो पर इसकी वैचारिक उत्पत्ति 1951 से मानी जाती है।