चरण सिंह
बिहार पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने राजनीतिक वजूद अपने दम पर बनाया है। बीपीएससी छात्रों के पक्ष में वह आंदोलन करते नजर आ रहे हैं। इस मुद्दे पर वह राज्यपाल मो. आरिफ खान से भी मिले हैं। दिलचस्प बात यह है कि पप्पू यादव ने प्रशांत किशोर को शिखंडी कह दिया है और 12 जनवरी को होने वाले आंदोलन की अगुवाई करने का न्योता तेजस्वी यादव को दे दिया है। मतलब पप्पू यादव ने बिहार की राजनीति में एक बड़ी बहस छेड़ दी है। देखने की बात यह है कि पप्पू यादव को तो लालू प्रसाद यादव तेजस्वी यादव काराजनीतिक प्रतिद्वंदी मानते रहे हैं। 2024 के लोकसभा में चुनाव लालू प्रसाद यादव ने पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी का विलय कांग्रेस में भी करा दिया पर पूर्णिया सीट कांग्रेस को नहीं दी। वह सीट अपने खाते में रख ली और बीमा भारती को चुनाव लड़ने के लिए पूर्णिया भेज दिया। वह पप्पू यादव का जनाधार ही था कि उन्होंने अपने दम सीट निकाल ली। ऐसे में पप्पू यादव तो लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव पर खार खा रहे थे पर अचानक क्या हुआ कि अब तेजस्वी यादव को अपने आंदोलन की अगुआई करने का न्योता दे रहे हैं। मतलब पप्पू यादव बड़ा खेल करने जा रहे हैं। देखने की बात यह भी है कि आरजेडी अब तक तो बीपीएससी छात्रों के आंदोलन से दूरी बनाकर चल रहा था पर अब क्या हुआ कि 9 जनवरी को बिहार बंद का आह्वान कर दिया। मतलब जब तक नीतीश कुमार के इंडिया में आने की उम्मीद थी तो आरजेडी को बीपीएससी छात्रों से कोई मतलब नहीं था। अब उनके आरजेडी के साथ आने की उम्मीद बिल्कुल क्षीण हो गई तो आरजेडी को बीपीएससी छात्रों की चिंता सताने लगी है। दरअसल बिहार की राजनीति में इस समय बीपीएससी छात्रों का आंदोलन मुख्य मुद्दा बना हुआ है। जन सुराज पार्टी के नेता प्रशांत किशोर की जिस तरह से गिरफ्तारी हुई। जिस तरह से उनको जेल हुई। जिस तरह से उनको जमानत मिलने के बाद उन्होंने बीपीएससी छात्रों के साथ रहे का ऐलान कर दिया और अस्पताल में एडमिट हो गए। ऐसे में महागठबंधन का 9 जनवरी को बिहार बंद का ऐलान और पप्पू यादव का तेजस्वी यादव को आंदोलन की अगुवाई करने का ऑफर। यह बिहार विधानसभा का एजेंडा तैयार कर रहा है। देखने की बात यह है कि चाहे नीतीश कुमार हों या फिर लालू प्रसाद हों या फिर ललन सिंह सभी नेता छात्र राजनीति से निकले हुए हैं पर किसी को छात्रों की समस्या दिखाई नहीं दे रही है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार प्रगति यात्रा के नाम पर विभिन्न जिलों में तो जा रहे हैं पर पर उनके द्वार पर जो छात्र समस्या लेकर आए हैं, उनसे मिलने का उनके पास समय नहीं है। ऐसे में जब नीतीश कुमार ने एनडीए में ही रहने का एलान कर दिया है। तेजस्वी यादव ने उनके लिए दरवाजे तो दूर की बात है खिड़की भी नहीं खोलने की बात कर दी है। तो ऐसे में पप्पू यादव तेजस्वी यादव के लिए वरदान साबित हो सकते हैं।