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What is Operation Unicorn? : महारानी एलिजाबेथ की मौत पर क्यों किया गया ऑपरेशन यूनिकॉर्न

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What is Operation Unicorn? जानिए लंदन ब्रिज से क्या है इसका कनेक्शन?

शिवानी मांगवानी 

महारानी एलिजाबेथ, जिनका बीते दिन ब्रिटेन की सत्ता पर 70 साल शासन करने के बाद 96 साल की आयु में स्कॉटलैंड के बाल्मोरल कैसल में निधन हो गया । बता दें कि 21 अप्रैल 1926 को जन्मी क्वीन एलिजाबेथ का पूरा नाम एलिजाबेथ एलेक्जेंडरा मैरी विंडसर था, जिस वक्त क्विन का जन्म हुआ था उस समय ब्रिटेन में किंग जॉर्ज पंचम का राज था वही एलिजाबेथ के पिता किंग जॉर्ज छह भी..बाद में ब्रिटेन के राजा बने थे.एलिजाबेथ द्वितीय दुनिया में सबसे लंबे समय तक राज करने वाली शासक थी । एलिजाबेथ द्वितीय सिर्फ ब्रिटेन ही नहीं बल्कि 14 और देशों की रानी भी थी..1952 में जब महारानी एलिजाबेथ द्वितीय को राजगद्दी मिली थी तो उनकी उम्र उस समय महज 26 साल थी तो इस महान हस्ती को खौने के बाद पुरी दुनिया शोक में है जिसको लेकर महारानी के निधन के बाद ऑपरेशन यूनिकॉर्न को भी शुरू कर दिया गया है अब आप सोच रहे होंगे की ये कैसा ऑपरेशन है ?शायद आप में से कुछ लोग जानते भी हो लेकिन जो लोग नही जानते है, ये वीडियो उन्ही के लिए है ।

ऑपरेशन यूनिकॉर्न 

ब्रिटेन के अधिकारियों के अनुसार, महारानी की मौत और अंतिम संस्कार के बीच पहले 10 दिनों के दौरान घटनाओं को मैनेज करने के लिए ऑपरेशन लंदन ब्रिज तैयार किया गया था । अगर स्कॉटलैंड में मृत्यु होती है तो ऑपरेशन यूनिकॉर्न के बारे में सोचा गया था । इसी के साथ लंदन ब्रिज इज डाउन के साथ ऑपरेशन यूनिकॉर्न भी शुरू हो गया है, वही बता दें कि यूनिकॉर्न स्कॉटलैंड का नेशनल पशु है ।

ऐसे में लंदन की जगह स्कॉटलैंड में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की मौत को अब ऑपरेशन यूनिकॉर्न नाम दिया गया है । साथ ही यह पहले से तय था कि अगर स्कॉटलैंड में महारानी का निधन होता है तो ऑपरेशन का नाम स्कॉटलैंड के राष्ट्रीय पशु के नाम पर होगा। इसके तहत ऑपरेशन के कुछ हिस्सों को पहले सक्रिय कर दिया गया है। ऑपरेशन लंदन ब्रिज के तहत खबर को भी एंकर ने काले कपड़े पहनकर समाचार पढ़ा। इस बीच, डाउनिंग स्ट्रीट पर राष्ट्रीय ध्वज को पहले आधा झुका दिया गया और राजनेता शोक प्रस्ताव और राजकीय अंतिम संस्कार की तैयारी शुरू हो गई। शाही परिवार पहले से बाल्मोरल में है और राजा चार्ल्स के अंतिम संस्कार से पहले दिनों में देश के दौरे पर जाने की संभावना है।

डी-डे किया जाएगा घोषित 

ऑपरेशन लंदन ब्रिज के मुताबिक महारानी की मौत के दिन को ‘डी-डे’ कहा जाएगा और उनके अंतिम संस्कार तक आने वाले हर दिन को डी + 1,डी + 2″ के रूप में बताया जाएगा. जबकि महारानी की मृत्यु का संदेश देने के लिए कोड ‘लंदन ब्रिज डाउन’ है. इस योजना के तहत भीड़ से निपटने के लिए बड़ा सुरक्षा बंदोबस्त किया जाएगा. ऑपरेशन लंदन ब्रिज का खुलासा पहली बार मई 2017 में द गार्जियन में हुआ था, जिसमें बताया गया था कि महारानी की मृत्यु के अगले दिन से 10 दिनों की अवधि के दौरान क्या होगा तो इसके तहत रानी की मृत्यु का संदेश देने के लिए कोड लंदन ब्रिज डाउन है, जारी कि गयी रिपोर्ट में कहा है कि भीड़ और यात्रा के दौरान अराजकता को प्रबंधित करने के लिए सुरक्षा अभियान का अनुसरण किया जाएगा।

शाही परिवार महारानी के अंतिम संस्कार की योजना की घोषणा करेगा। रानी की मृत्यु के दस दिन बाद ही ब्रिटेन के नवनियुक्त प्रधानमंत्री लिज ट्रस बयान देने वाले सरकारी पहली सदस्य होंगी। पीएम और सरकार के अन्य सदस्यों के बयान के बाद सभी सैल्यूटिंग स्टेशनों पर तोपों की सलामी की व्यवस्था की गई है। इसके बाद, लिज ट्रस नए राजा के साथ जनता के लिए एक जनसभा में किंग चार्ल्स देश को संबोधित करेंगे। महारानी का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ वेस्टमिंस्टर एब्बे में होगा। विंडसर कैसल के सेंट जॉर्ज चैपल में एक कमिटमेंट सर्विस होगी। इसके बाद, महारानी एलिजाबेथ द्वितीय को महल के किंग-जॉर्ज मेमोरियल चैपल में दफना दिया जाएगा।

ट्रेंड हो रहा कोहिनूर 

महारानी की मौत पर वैसे तो बहुत कुछ ट्रेंड कर रहा है लेकिन एक और चीज अचानक ट्रेंड करने लगी है और वो है कोहिनूर, इस बीच सोशल मीडिया पर ‘कोहिनूर’ ट्रेंड होने लगा है, अब तक कोहिनूर को लेकर हजारों ट्वीट्स किए जा चुके हैं, लेकिन ये इतना ट्रेंड क्यो हो रहा है जरा ये भी जानिए दरअसल इन सबकी मुख्य वजह है महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का ताज, जिस पर भारत का मशहूर हीरा कोहिनूर लगा हुआ है । बताया जाता है कि इसके अलावा उनके ताज पर दो हजार 8 सौ से ज्यादा हीरे लगे हैं, जिनमें सबसे चर्चित हीरा कोहिनूर ही है, फिलहाल सोशल मीडिया पर यूजर्स महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के निधन के बाद कोहिनूर हीरे की वापसी की बात कर रहे हैं ।

महारानी का भारत दौरा 

वहीं अगर बात करें महारानी एलिजाबेथ के भारत दौरे की तो महारानी ने 1997 में अपना आखिरी दौरा किया था. महारानी इस दौरे पर अपने पति प्रिंस फिलिप के साथ भारत पहुंची थी । इस दौरान ब्रिटिश क्वीन ने कई धार्मिक स्थलों का भ्रमण किया था । उन्होंने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में जाकर वहां पर माथा टेका था । इसके साथ ही जलियांवाला बाग में जाकर श्रद्धांजलि भी दी थी। ऐसा करने वाली महारानी ब्रिटेन की पहली राष्ट्राध्यक्ष थीं । वहीं भारत की उनकी अंतिम यात्रा देश की आजादी की 50वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में हुई थी. इस दौरान उन्होंने पहली बार औपनिवेशिक इतिहास के कठोर दौर का जिक्र किया था. उन्होंने कहा था,यह कोई रहस्य नहीं है कि हमारे अतीत में कुछ कठोर घटनाएं हुई हैं । जलियांवाला बाग एक दुखद उदाहरण है ।

महारानी एलिजाबेथ की विवादों में रही शादी 

दरअसल क्वीन एलिजाबेथ की शादी साल 1947 में राजकुमार फिलिप से हुई थी. महारानी के चार बच्चे भी हैं, जिनके नाम चार्ल्स, ऐने, राजकुमार एंड्रयू और राजकुमार एडवर्ड हैं । राजकुमार फिलिप उनके दूर के रिश्तेदार हैं और दोनों को बहुत छोटी उम्र में ही एक दूसरे से प्यार हो गया था, दोनों की पहली मुलाकात 1939 में हुई थी । महारानी एलिजाबेथ बताती हैं कि उनको 13 वर्ष की उम्र में ही एक दूसरे से प्यार हो गया था और वो एक दूसरे को प्रेम पत्र तक भेजने लगे थे. वही बात करें क्विन की शादी के बारे में तो महारानी की शादी में कई तरह विवाद देखने को मिले. यहां तक कि एलिजा बेथ को अपने परिवार के लोगों के विरोध का भी सामना करना पड़ा,  बताया जाता है कि उनके परिवार वाले फ्लिप को किन्हीं वजहों के चलते पसंद नहीं करते थे. इसके अलावा बताया यह भी जाता है कि महारानी की शादी में उनकी बहनों को भी नहीं बुलाया गया था. इतना ही नहीं राजकुमारी के ताऊ व विंडसर के ड्यूक, जो पहले राजा एडवर्ड अष्टम थे को भी इस विवाह में नहीं बुलाया गया था ।