दादागीरी क्या करती है, चुप बैठ… कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत पर भड़क गए BJP नेता 

डिबेट में चर्चा के दौरान कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत और बीजेपी प्रवक्ता प्रेम शुक्ला के बीच खूब तू-तू, मैं-मैं हुई

द न्यूज 15 
नई दिल्ली। पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही नेताओं की जुबानी जंग भी तेज हो गई है। कई तरह के आरोप-प्रत्यारोप लगाए जा रहे हैं। जिन्ना, पाकिस्तान, गर्मी और चर्बी जैसे शब्द तो नेताओं की जुबान से सुनना बेहद आम हो गया है। हालांकि ये सब पहली बार नहीं हो रहा है लेकिन टीवी पर चर्चा के दौरान अगर नेतागण मर्यादा भूल जाएं तो ये भी चिंता की ही बात है। एक निजी न्यूज के एक डिबेट शो में कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत और बीजेपी प्रवक्ता प्रेम शुक्ला अपनी पार्टी का पक्ष रखने के लिए शामिल हुए थे। इस डिबेट में यूपी में चुनाव-प्रचार और नेताओं के बयानबाजी पर चर्चा हो रही थी लेकिन कब कांग्रेस और बीजेपी प्रवक्ता एक-दूसरे पर गोडसे और राजीव गांधी पर चर्चा करने लगे, पता ही नहीं चला।
चुनाव पर चर्चा के दौरान कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि इस शो में बैठा हुआ कोई भी व्यक्ति, चाहे वो आरएसएस के प्रचारक हों, बीजेपी के प्रवक्ता हों या फिर सपा या बसपा के…हम में से कोई भी, आजादी के 75 वर्ष मानते हुए गांधी के पुण्यतिथि के दिन गोडसे की जय जयकार होती है तो क्या सभ्य समाज या प्रधानमंत्री और गृह मंत्री का सिर शर्म से झुकना चाहिए या नहीं? जब लोग खड़े होकर गांधी को मां-बहन की गाली देते हैं तो सभ्य समाज में ये कबूल होना चाहिए या नहीं?
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रीम श्रीनेत आक्रोशित होकर बीजेपी प्रवक्ता पर जोरदार हमला बोल रही थी तो प्रेम शुक्ला बीच-बीच टोकने लगे। कर्कश आवाज, आपको शर्म नहीं आती, आप इतनी बेशर्म हैं… जैसे शब्दों का प्रयोग लगातार प्रेम शुक्ला कर रहे थे। प्रेम शुक्ल ने कहा कि मैं गोडसे मुर्दाबाद बोलता हूं लेकिन तुम्हारे में हिम्मत है तो सिखों के हत्यारे राजीव गांधी मुर्दाबाद बोलो। बीच में बार-बार बोलने पर सुप्रिया श्रीनेत भड़क गईं और उन्होंने डांटते हुए लहजे में प्रेम शुक्ला को चुप रहने के लिए कहा। सुप्रिया श्रीनेत की इसी बात पर प्रेम शुक्ला भी भड़क गये और उन्होंने कहा कि हे, ज्यादा दादागीरी मर कर, चुप-चुप क्या बोलती है? तू चुप हो, बकवास करती है’। हालांकि इसके बाद शो की एंकर रुबिका लियाकत बीच बचाव करती हैं और दोनों को शब्दों की मर्यादा बनाए रखने की नसीहत देती हैं।

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