देश में काम कर रहा भ्रष्टाचारियों का सु संगठित गिरोह 

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रघु ठाकुर   
पिछले कुछ दिनों से समाचार पत्रों में निरंतर भ्रष्टाचारियों के पकड़े जाने की खबरें आ रही हैं।  एक फार्म हाउस से बताया जा रहा है की श्री सौरभ शर्मा जो परिवहन विभाग में सिपाही थे की कार से 54 किलो सोना और दस करोड़ रुपए नकदी बरामद हुआ है । इसी प्रकार एक सिपाही के घर से 234 किलो चांदी और 1=72 करोड़ रु नगद मिले हैं ।यह आंकड़ा आश्चर्यजनक है साथ ही मध्य प्रदेश के भ्रष्टाचार की कहानी को भी सिद्ध करता है। आयकर और लोकायुक्त  की टीम इसकी जांच कर रही है ।
परंतु अब सरकार को यह भी सोचना चाहिए कि अगर एक सामान्य अधिकारी या एक सिपाही इतना पैसा भ्रष्टाचार में कमा सकता है तो क्या वह अकेला यह कर सकेगा ?
मेरी यह समझ है कि इस भ्रष्टाचार के पीछे एक सु संगठित गिरोह रहा होगा जो ऊपर के अधिकारियों व सरकार  का संरक्षण प्राप्त रहा होगा ।
कोई भी आरटीओ या कोई सिपाही बगैर ट्रांसपोर्ट कमिश्नर या मंत्री के संरक्षण के ऐसे भ्रष्टाचार के काम को अंजाम नहीं दे सकता।  जो आरटीओ की चौकियों पर नियुक्तियां होती हैं उन्हें भी वह अपने आप नहीं कर सकता। इसका मतलब है कि भ्रष्टाचार के मामलों में तत्कालीन ट्रांसपोर्ट कमिश्नर या जो पदाधिकारी व मंत्री आदि रहे होंगे  उन सब की भी हिस्सेदारी होगी।
अगर एक आरटीओ के पास से इतनी रकम मिलती है और पचास किलो सोना मिलता है तो फिर जो उच्च अधिकारी और सरकार के  मंत्री रहे होंगे जिन्होंने आंखें बंद कर ऐसे भ्रष्टाचार की अलिखित अनुमति दी होगी उनके पास कितना पैसा होगा।
में मुख्यमंत्री जी से मांग करूंगा कि वह न केवल इनकी जांच कराएं बल्कि लोकायुक्त पुलिस को कहे कि वह जिस कार्यकाल  में यह पैसा इकट्ठा किया गया है उस समय के जो अधिकारी व मंत्री थे उन सब की संपत्ति की भी जांच करें ताकि कुछ जड़ तक जांच पहुंच सकें। और भ्रष्टाचार की जड़ तक लोकायुक्त के हाथ पहुंच सके और कुछ निर्णायक कदम भ्रष्टाचार के खिलाफ उठाए जा सके ।

( लेखक लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के संरक्षक हैं)

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