उत्तर बिहार में अगले एक-दो दिनों तक अनेक स्थानों पर मेघ गर्जन तथा तेज हवा के साथ बारिश की सम्भावना
सुभाष चंद्र कुमार
समस्तीपुर पूसा। डा राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविधालय स्थित जलवायु परिवर्तन पर उच्च अध्ययन केंद्र के ग्रामीण कृषि मौसम सेवा, एवं भारत मौसम विज्ञान विभाग के सहयोग से जारी 05-09 जून, 2024 तक के मौसम पूर्वानुमानित अवधि में उत्तर बिहार के जिलों में आसमान में हल्के से मध्यम बादल छाये रह सकते हैं। उत्तर बिहार में अगले एक-दो दिनों तक अनेक स्थानों पर मेघ गर्जन तथा तेज हवा के साथ बारिश की सम्भावना रहेगी। उसके बाद वर्षा की संभावना में कमी होने का अनुमान है।
इस अवधि में अधिकतम तापमान 38-41 डिग्री सेल्सियस के बीच रह सकता है। जबकि न्यूनतम तापमान 25-27 डिग्री सेल्सियस के आस-पास रह सकता है।
मंगलवार के तापमान पर एक नजर डालें तो अधिकतम तापमानः 34.0 डिग्री सेल्सियस, सामान्य से 2.4 डिग्री सेल्सियस कम एवं न्यूनतम तापमानः 24.8 डिग्री सेल्सियस, सामान्य से 1.3 डिग्री सेल्सियस कम रहा है।
सापेक्ष आर्द्रता सुबह में 80 से 90 प्रतिशत तथा दोपहर में 40 से 50 प्रतिशत रहने की संभावना है।
पूर्वानुमानित अवधि में औसतन 10 से 12 कि०मी० प्रति घंटा की रफ्तार से पुरवा हवा चलने का अनुमान है।
समसामयिक सुझाव देते हुए मौसम वैज्ञानिक ने बताया कि किसान भाई धान का विचड़ा बीजस्थली में लगाने का काम शुरु करें। 10 जून तक लम्बी अवधि वाले धान का विचड़ा गिराने का उपयुक्त समय है। 10 से 25 जून तक मध्यम अवधि वाले धान का विचड़ा बोने के लिए अनुकूल समय है। जो किसान धान की सीधी बुआई करना चाहते है, वे लम्बी अवधि वाले धान की किस्म की बुआई अगले सप्ताह में कर सकते हैं।
इसके लिए उनके पास सिंचाई की उचित व्यवस्था हो। जिन किसान भाइयों के पास सिंचाई की सुविधा प्रयाप्त हो तथा लम्बी अवधि वाले धान लगाना चाहते है वे राजश्री, राजेन्द्र मंसुरी, राजेन्द्र स्वेता, किशोरी, स्वर्णा, स्वर्णा सब-1 वी०पी०टी०-5204 एवं सत्यम आदि किस्में 10 जुन तक बीजस्थली में गिराने का प्रयास करें।
जितने क्षेत्र में धान का रोप करना हो उसके दषांष हिस्सों में बीज गिरायें। बीज को गिराने से पहले 1.5 ग्राम बविस्टीन प्रति कि० ग्रा० बीज की दर से उपचारित करें। अल्प अवधि वाले धान की किस्म एवं सुगंधित धान का किस्म का विचड़ा बीजस्थली में 20 जून से 10 जुलाई तक बोने के लिए अनुशंसित है। सुगंधित किस्मों का विचड़ा बीजस्थली में पहले से गिराने से उसकी सुगंध खत्म हो जाती है।
भिंडी एवं बोरा जैसे फल वाली सब्जियों में भी नत्रजन का उपरिवेशन करें एवं कीट नियंत्रण हेतु मैलाथियान 2 मि०ली० प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर 7-10 दिनों के अन्तराल पर फल तोड़ने के बाद दो बार छिड़काव करें। कद्दु वर्गीय सब्जियों में चूर्णिलअसिता के आक्रमण होने पर केराथेन 1.5 ग्राम प्रति लीटर या 25 कि०लो० सल्फर पाउडर प्रति हेक्टेयर की दर मुरकाव करें।
पशुओं के चारा के लिए ज्वार, बाजरा तथा मक्का की बुआई करें। इसके साथ मेथ, लोबिया तथा राईस बीन की बुआई अन्तर्वती खेती में करने से चारे की गुणवता बढ़ जायेगी तथा दुधारू पशुओं के लिए पौष्टिक चारा प्राप्त होगा। पशुओं के प्रमुख रोग एन्थ्रेक्स, ब्लैक क्वार्टर (डकहा) एवं एच०एस० (गलघोंटू) से बचाव के लिए पशुओं को टीके लगावें।
लीची तोड़ने के बाद लीची के बगीचों की जुताई कर खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग करे। प्रति प्रौढ़ पेड़ 60 से 80 किलोग्राम कम्पोस्ट अथवा गोबर की सड़ी खाद, 2.5 किलोग्गाम यूरिया, 1.5 किलोग्गाम सिंगल सुपर फॉसफेट, 1.3 किलोगाम म्युरेट ऑफ पोटाष तथा 50 ग्राम सुहागा के मिश्रण को बृक्ष के पूरे फैलाव में समरुप बिछा कर मिट्टी में मिला दें।
हल्दी एवं अदरक की बुआई करें। हल्दी की राजेन्द्र सोनिया, राजेन्द्र सोनाली किस्में तथा अदरक की मरान एवं नदिया किस्में उत्तर बिहार के लिए अनुषंसित है। हल्दी के लिए बीज दर 20 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तथा अदरक के लिए 18 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रखें। बीज प्रकन्द का आकार 30-35 ग्राम जिसमें 3 से 5 स्वस्थ कलियाँ हो। रोपाई की दुरी 30 ग20 से०मी० रखे। बीज को उपचारित करने के बाद बुआई करे। खरीफ मक्का की बुआई के लिए मौसम अनुकुल है।
इसके लिए सुआन, देवकी, शक्तिमान 1, शक्तिमान 2. राजेन्द्र संकर मक्का-3, गंगा-11 किस्मों की बुआई करें। बुआई के समय प्रति हेक्टेयर 30 किलो नेत्रजन, 60 किलो स्फुर एवं 50 किलो पोटाष का व्यवहार करें। प्रति किग्रा० बीज को 2.5 ग्राम थीरम द्वारा उपचारीत कर बुआई करें। बीज दर 20 किग्रा0 प्रति हेक्टेयर रखें।
हरी खाद के लिए सनई और दैचा की बुआई करें। खरीफ प्याज की खेती के लिए नर्सरी (बीजस्थली) की तैयारी करें। स्वस्थ पौध के लिए र्नसरी में गोबर की खाद अवश्य डाले। खरीफ प्याज के लिए एन0-53, एग्रीफाउण्ड डीक रेड, अकर्का कल्याण, भीमा सुपर किस्में अनुशंसित है। प्याज के बीज की व्यवस्था प्रमाणित स्त्रोत से करें। बीज गिराने के पूर्व बीजोपचार कर लें। बीज की दर 8-10 कि०ग्रा० प्रति हेक्टेयर रखें।