रेलवे ने स्वीकार नहीं किया इस्तीफा, फंस गया है पेंच
रेलवे के अनुसार इस्तीफा देने से पहले देना होता है तीन महीने का नोटिस
एनओसी के बिना स्वीकार नहीं होगा आवेदन
चरण सिंह
नई दिल्ली/चंडीगढ़। तो क्या विनेश फोगाट फिर से राजनीति की शिकार होने वाली हैं ? क्या विनेश फोगाट चुनाव नहीं लड़ पाएंगी ? दरअसल विनेश फोगाट ने जो रेलवे से इस्तीफा दिया है वह स्वीकार नहीं हुआ है। और चुनाव लड़ने के लिए रेलवे से एनओसी चाहिए। बिना एनओसी के आवेदन स्वीकार नहीं होगा।
दरअसल राजनीतिक गतिविधियों की ओर बढ़ते देख रेलवे ने 4 सितम्बर को विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। उसके बाद दोनों ही पहलवानों ने 6 सितम्बर को रेलवे से इस्तीफा दे दिया और कांग्रेस की सदस्यता ले ली। कांग्रेस ने बजरंग पूनिया को राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया तो विनेश फोगाट को जनपद जींद की जुलाना विधानसभा सीट से टिकट दे दिया। अब विनेश फोगाट के चुनाव लड़ने में पेंच फंस गया है। जानकारी मिल रही है कि रेलवे ने विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया दोनों ही पहलवानों के इस्तीफे स्वीकार नहीं किये हैं।
दरअसल विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया दोनों ही उत्तर रेलवे के खेल विभाग में ओएसडी के पद कार्यरत हैं। रेलवे के अनुसार यदि कोई कर्मचारी इस्तीफा देना चाहता है तो पहले उसे 3 महीने का नोटिस देना पड़ता है। मतलब विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया को पहले तीन महीने के नोटिस देना होगा तीन महीने बाद उनके इस्तीफा स्वीकार होंगे। ऐसे में विनेश फोगाट चुनाव नहीं लड़ पाएंगी।
दरअसल चुनाव आयोग के अनुसार सरकारी पद पर रहते हुए कोई व्यक्ति चुनाव नहीं लड़ सकता है। पहले उसे संबंधित विभाग से एनओसी लेनी पड़ती है। एनओसी बिना रिटर्निंग अधिकारी किसी भी उम्मीदवार का आवेदन स्वीकार नहीं करते। ऐसे में यदि विनेश पर्चा भरती भी हैं तो वह स्वीकार नहीं होगा। मतलब विनेश फोगाट की चुनाव लड़ने की जल्दबाजी भारी पड़ने वाली है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि क्या कांग्रेस के दिग्गजों को इस बारे में जानकारी नहीं थी। कांग्रेस में बैठे वकील क्या कर रहे थे ? या फिर विनेश फोगाट ने टिकट घोषणा होने से पहले इस बार में जानकारी क्यों नहीं जुटाई। देखने की बात यह है कि विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया के मामले में बीजेपी कोई भी मौका नहीं छोड़ना चाहेगी।