राजनीति करने में जल्दी कर गईं विनेश फोगाट, लोकसभा चुनाव में आजमाने चाहिए थे हाथ

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चरण सिंह

विनेश फोगाट ने राजनीति में आने में जल्दी कर दी। उन्हें अभी लोकसभा चुनाव तक आंदोलनों से जुड़ना चाहिए था। लोकसभा चुनाव के करीब आने पर किसी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की घोषणा कर किसी पार्टी से जुड़ना चाहिए था। चाहिए आंदोलन हो या फिर सदन आजाद समाज पार्टी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद विनेश फोगाट के लिए ज्यादा लड़े हैं। कांग्रेस ज्वाइन करने के बाद अब विनेश फोगाट के आंदोलन पर भी उंगली उठनी शुरू हो जाएगी। बृजभूषण शरण सिंह ने तो भावुक होकर कांग्रेस पर उनके साथ राजनीति करने का आरोप लगा दिया है। विनेश फोगाट और दूसरे पहलवानों को उन्होंने इस्तेमाल करने की बात कही है। वैसे भी बृजभूषण शरण सिंह ने भावुक होते हुए कांग्रेस पर उन्हें फंसाने का आरोप लगा दिया है। खुद विनेश फोगाट के साथ आंदोलन में कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाले उनकी साथी साक्षी मलिक ने उन्हें नसीहत दे डाली है। उनका कहना है कि उन्हें भी राजनीति करने का ऑफर मिला था। हमें त्याग करना चाहिए। इसी तरह से बीजेपी के साथ और भी लोग उन पर राजनीति करने का आरोप लगाएंगे। आंदोलन को भी राजनीति से प्रेरित बताएंगे। वैसे भी कुश्ती फेडरेशन को लेकर दीपेंद्र हुड्डा और बृजभूषण शरण सिंह में विवाद देखा गया था। पहलवान और कोच अधिकतर हरियाणा के होने की वजह से बृजभूषण शरण सिंह कहीं न कहीं निशाने पर रहे हैं।
दरअसल अंतरराष्ट्रीय पहलवान विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया ने कांग्रेस ज्वाइन कर ली है। बजरंग पुनिया को स्टार प्रचारक बनायो जा सकता है तो विनेश फोगाट को जींद जिले की जुलाना सीट से चुनाव लड़ाया जा सकता है। दरअसल जुलाना में विनेश फोगाट की ससुराल भी है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि क्या अब बृजभूषण सिंह के खिलाफ खोले गये मोर्चे को लेकर विनेश फोगाट को घेरा नहीं जाएगा। या फिर चुनाव लड़ना विनेश फोगाट की जल्दी नहीं मानी जाएगी।
दरअसल जिस तरह से विनेश फोगाट ने कुश्ती फेडरेशन का अध्यक्ष और सांसद रहते समय बृजभूषण शरण सिंह पर लगे यौन शोषण को लेकर उनके खिलाफ मोर्चा खोला। जिस तरह से विनेश फोगाट ने ओलंपिक में कुश्ती में अपने वेट में फाइनल में जगह बनाई। जिस तरह से उनको फाइनल में १०० ग्राम वेट अधिक होने पर अयोग्य घोषित कर दिया। जिस तरह से वह किसानों के आंदोलन में शामिल हुईं। जिस तरह से पहलवानों के आंदोलन के समय वह न तो गृहमंत्री अमित शाह से मिलीं और न ही तत्कालीन खेल मंत्री अनुराग ठाकुर से, जबकि बजरंग पुनिया और साक्षी मलिक ने इन दोनों नेताओं के साथ मीटिंग की। जिस तरह से वह बृजभूषण शरण सिंह के निशाने पर रहीं।
इन सब मामलों के चलते विनेश फोगाट का चेहरा विधानसभा चुनाव लड़ने का नहीं बल्कि लोकसभा चुनाव लड़ने का बन गया है। लोकसभा चुनाव तक वह कांग्रेस के कार्यक्रमों के साथ ही विभिन्न आंदोलनों में शामिल होकर राजनीति के दांव पेंच भी सीख जाएंगी। ऐसे में विनेश फोगाट को चाहिए कि भले ही वह कांग्रेस में शामिल हो जाएं पर अभी हरियाणा विधानसभा चुनाव न लड़ें। विनेश फोगाट को यदि चुनाव लड़ना है तो लोकसभा चुनाव लड़ना चाहिए। लोकसभा चुनाव में उनका चेहरा और उभर जाएगा। वह संसद में पहुंचकर राष्ट्रीय स्तर के मुद्दे भी उठा पाएंगी। क्योंकि विनेश फोगाट हमेशा राष्ट्रीय मुद्दों पर ही बोली हैं।
दरअसल खिलाड़ी तो राजनीति में बहुत आये पर चल नहीं पाए। चाहे गौतम गंभीर हों, कीर्ति आजाद हों, अजहरउद्दीन हों, योगेश्वर दत्त हों या फिर बबीता फोगाट इनकी राजनीति कोई प्रभाव नहीं छोड़ पाई। विनेश फोगाट के राजनीति में आगे बढ़ने के चांस इसलिए हैं क्योंकि वह खेल के साथ ही जमीनी मुद्दे भी उठाती रही हैं। वह हक के लिए लड़ने के साथ ही दूसरों के लिए भी लड़ना जानती हैं।
देखने की बात यह है कि विनेश फोगाट के साथ कांग्रेस जंतर मंतर आंदोलन से ही खड़ी दिखाई दी। जंतर मंतर पर भी न केवल दीपेंद्र हुड्डा ओैर भूपेंद्र हुड्डा उनके आंदोलन में पहुंचे थे बल्कि प्रियंका गांधी ने भी आंदोलन में शिरकत की थी। ऐसे ही जब ओलंपिक में कुश्ती के फाइनल में उनको अयोग्य घोषित कर दिया गया तो कांग्रेस ने मामले को संसद में उठा दिया था। बाकायदा कांग्रेस ने विनेश फोगाट के अयोग्य ठहराने के पीछे भाजपा का षड्यंत्र तक करार दे दिया था।

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