Village Problem : अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा लच्छीरामपुर गांव का तालाब, बीमारी को दे रहा दावत 

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Village Problem : गांव ने एक से बढ़कर एक प्रतिभाएं दी पर कोई गांव को कुछ देने को तैयार नहीं 

Village Problem : भले ही योगी सरकार उत्तर प्रदेश में तालाबों के सौंदर्यीकरण को लेकर बड़ा अभियान चला रही हो पर बिजनौर के थाना किरतपुर के अंतर्गत आने वाले गांव सुल्तानपुर सादात उर्फ लच्छीरामपुर का तालाब अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। इसे शासन प्रशासन के उपेक्षा कहें या फिर ग्रामीणों अनदेखी यह तालाब आज की तारीख में वरदान की जगह एक अभिशाप साबित हो रहा है। स्थिति यह है कि तालाब में भरा है बदबूदार गंदा पानी एवं समुद्र शोख में विषैले जीव पल रहे हैं । यह Village Problem ही है कि कभी सुंदर और स्वच्छ दिखने वाला यह तालाब बीमारियों की जड़ बना हुआ है। एक समय था कि कभी इस तालाब में पूरे गांव के मवेशी (गाय, भैंस, बैल) सभी पानी पीते थे और गर्मियों के दिनों में घंटो तालाब में पड़े रहते थे। तालाब में बच्चे तैरते थे। 

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Apprehension of Illness : दरअसल पूरे गांव का प्रयोग किया पानी इसी तालाब में आता है। किसी समय गांव की शान माने जाने वाले इस तालाब की स्थिति यह है कि तालाब में घुसना तो दूर तालाब के पास से गुजरना भी मुश्किल है। सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि तालाब के किनारे ही प्राथमिक विद्यालय है। जिसमें छोटे छोटे बच्चे पढ़ने आते हैं। इस तालाब की गंदगी के चलते बच्चों के बीमार होने की आशंका बनी रहती है। बनी रहती है। तालाब की गंदगी के चलते Apprehension of Illness पर विद्यालय की प्रधानाचार्या से बात की तो उन्होंने बताया अभी तक तो कोई किसी तरह का हादसा नहीं हुआ है लेकिन अधिक बारिश होने पर स्कूल के ग्राउंड में पानी भर जाने से खतरे की आशंका बनी रहती है। 

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ग्राम प्रधान संध्या राजपूत से बात करने पर उन्होंने बताया कि इस तालाब को Amrit Sarovar Yojana में लाने का प्रयास किया जा रहा है। शासन प्रशासन की तरफ से कार्यवाही में देरी है। कुछ लोगों से बात करने पर पता चला कि कुछ वर्ष तक तालाब में मछली पालन किया गया जिसके चलते मछुआरों द्वारा तालाब की लगातार सफाई होती रही। हमारा उद्देश्य शासन प्रशासन का ध्यान इस तरफ केंद्रित करना है। गांव में Amrit Sarovar Yojana के तहत काम होगा या नहीं यह तो समय बताएगा पर तालाब का सौंदर्यीकरण होना समय का तकाजा है। 

Pioneer in the field of Education and Politics : यदि लच्छीरामपुर गांव के वजूद की बात की जाए तो। एक बड़ी आबादी वाले इस गांव को शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी माना जाता है। वैसे तो इस गांव ने एक से बढ़कर एक प्रतिभाएं दी हैं पर दो शख्यियत ऐसे हुई हैं जिनके नाम पर क्षेत्र गर्व करता है। इसी गांव के हरगुलाल सिंह राष्ट्रीय स्तर सोशलिस्ट नेता रहे हैं। उन्होंने न केवल पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह और चंद्रशेखर के साथ काम किया बल्कि समाजवाद के प्रणेता डॉ. राम मनोहर लोहिया, जयप्रकाश नारायण के कंधे से कंधा मिलाकर समाजवादी आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसी गांव के ही बलवंत सिंह राजपूत न केवल गढ़वाल बल्कि कुमाऊं यूनिवर्सिटी के कुलपति रहे हैं। भले ही इस गांव ने एक से बढ़कर एक प्रतिभा देश और समाज को दी हो पर आज की तारीख में इस गांव को कुछ देने को कोई तैयार नहीं। 

यह Village Problem ही है कि जहां आज की तारीख में छोटे छोटे गांव में पंचायत घर, अस्पताल और उच्च शिक्षा केंद्र स्थापित किये जा रहे हैं वहीं लच्छीरामपुर गांव में विकास ने नाम पर एक प्राथमिक विद्यालय ही है। वह भी बहुत पुराना। हां गांव के लोगों ने आपसी सहयोग से एक मंदिर का निर्माण जरूर करवाया है। 

  • पवन राजपूत 

 

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