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दिल्ली में मायावती के कंधे का इस्तेमाल ?

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चरण सिंह 

भाजपा भले ही 400 के पार का नारा दे रही हो पर जिस तरह से विपक्ष को घेरने के लिए फिल्ङिंग सजाई जा रही है, उसको देखकर कहा जा सकता है कि भाजपा में सीटों को जीतने को लेकर असमंजस की स्थिति है। यही वजह है कि कहीं पर विपक्षी प्रत्याशियों के पर्चे वापस करा दिये जा रहे हैं तो कहीं पर वोट काटने के लिए असदुद्दीन ओवैसी का इस्तेमाल किया जा रहा है और कहीं पर बहुजन समाज पार्टी को लगा दिया जा रहा है। उत्तर प्रदेश में बसपा मुखिया मायावती ने उस लोकसभा सीट पर मुस्लिम प्रत्याशी उतारा है जहां पर इंडिया गठबंधन की ओर से मुस्लिम प्रत्याशी जीतने की स्थिति में है। ऐसे ही दिल्ली में सातों सीटों पर बहुजन समाज पार्टी ने प्रत्याशी घोषित किये हैं। इन प्रत्याशियों में से दो मुस्लिम समाज से हैं। बसपा ने चांदनी चौक से एडवोकेट अब्दुल कलाम, साउथ दिल्ली से अब्दुल बासित को प्रत्याशी बनाया है। अब्दुल बासित कभी आरजेडी का हिस्सा हुआ करते थे। पूर्वी दिल्ली से ओबीसी समाज से एडवोकेट राजन पाल को चुनावी समर में उतारा गया है। उत्तर पूर्वी दिल्ली से डॉक्टर अशोक कुमार हैं जो एससी समुदाय से आते हैं। नई दिल्ली से एडवोकेट सत्यप्रकाश गौतम, उत्तर पश्चिमी दिल्ली से विजय बौद्ध और पश्चिमी दिल्ली से विशाखा आनंद को उम्मीदवार बनाया गया है।

मायावती का दिल्ली में सभी सीटों पर प्रत्याशी उतारना चर्चा का विषय बना हुआ है। खुद दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण सिंह कहते हैं कि जो वोटबैंक बसपा का आम आदमी पार्टी और कांग्रेस की ओर चला गया था वह अब वापस बसपा क साथ आ रहा है। मतलब बहुजन समाज पार्टी इंडिया गठबंधन का वोट बैंक काटेगी। यही वजह है कि मायावती पर बीजेपी के दबाव में चुनावी समर में उतरने का आरोप लगा रहे हैं। दरअसल बीजेपी इन चुनाव में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है। दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के मिलने से इंडिया गठबंधन की स्थिति मजबूत हुई है। मुख्यमंत्री केजरीवाल के जेल में जाने के बाद लोगों में आम आदमी पार्टी के प्रति सहानुभूति देखी जा रही है। मुस्लिम वोट बैंक कांग्रेस पर एकतरफा जा रहा है। ऐसे में भाजपा की यह रणनीति हो सकती है कि मायावती को सभी सीटों पर लड़वाकर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का वोट कटवा दिया जाए। भाजपा को इस बार दिखाई दे रहा है कि यदि थोड़ी सी भी लापरवाही रह गई तो चुनाव हाथ से निकल जाएगा। पहले और दूसरे चरण के कम मतदान से बीजेपी हाईकमान के माथे पर सिलवटें हैं।

दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के मिलकर चुनाव लड़ने से इंडिया गठबंधन की स्थिति मजबूत हो गई है। इंडिया गठबंधन की ओर से दिल्ली में आम आदमी पार्टी 4 तो कांग्रेस तीन सीटों पर चुनाव लड़ रही है। बीजेपी इस बार भी पिछले चुनाव का रिकॉर्ड दोहराना चाहती है। ऐसे में बसपा इंडिया गठबंधन के वोट काटेगी तो भाजपा को फायदा होगा। हालांकि बसपा दिल्ली में लंबे समय से चुनाव लड़ रही है। बसपा को 2009 के लोकसभा चुनाव में 9 फीसदी वोट मिला था। 2014 में 6 तो 2019  में एक फीसदी वोट बसपा का रह गया था। इस बार मायावती के साथ ही उनका भतीजा आकाश आनंद स्टार प्रचारक हैं। आकाश आनंद भी बीजेपी को ललकार रहा है। ऐसे में न केवल बसपा कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार हुआ है बल्कि उसका वोट बैंक भी वापस आ सकता है।