सहारा से अलग होकर अपना अलग चैनल खोलने वाले उपेंद्र राय आखिर सहारा का चेयरमैन सुब्रत राय के निधन के बाद सहारा में इतनी दिलचस्पी क्यों दिखा रहे हैं। यह प्रश्न सहारा कर्मियों और निवेशकों के मन में पूरी तरह से कौंध रहा है। प्रश्न उठना स्वाभाविक भी है क्योंकि सुब्रत राय के करीबी तो बहुत लोग रहे हैं पर सुब्रत राय निधन से लेकर ब्रह्मभोज तक उपेंद्र राय की सक्रियता सहारा में दूसरे नंबर के निदेशक रहे ओपी श्रीवास्तव और सुब्रत राय के छोटे भाई जयब्रत राय से भी ज्यादा देखी गई। यह तब चल रहा था जब सुब्रत राय के दोनों बेटों सुशांतों राय और सीमांतों राय में एक भी न तो सुब्रत राय के अंतिम संस्कार में आया था और न ही ब्रह्मभोज में। काफी लोग तो उपेंद्र राय को सुब्रत राय के बेटे की भूमिका में देख रहे थे।
जानकारी तो यह भी मिल रही है कि ब्रह्मभोज में अतिथियों का स्वागत भी खुद उपेंद्र राय कर रहे थे। इस बीच उनकी खास मुलाकात सहारा मीडिया देख रहे जयब्रत राय से भी होने की बात सामने आई है। इतना ही नहीं उपेंद्र राय ने अपने चैनल के साथ ही विभिन्न अखबारों में भी सुब्रत राय को श्रद्धांजलि देने के लिए विशेष कार्यक्रम चलाया। कहा तो यह भी जा रहा है कि ७ नवम्बर को जब सुब्रत राय ने सहारा से जुड़े वरिष्ठों की मीटिंग ली और ओपी श्रीवास्तव को पैराबैंकिंग और अपनी पत्नी स्वप्ना राय को फाइनेंस की जिम्मेदारी दी तो उस मीटिंग में उपेंद्र राय भी मौजूद थे। ऐसे कयास लगाये जा रहे हैं कि उपेंद्र राय की सहारा में भूमिका के बारे में कुछ सुब्रत राय बोलकर गये हैं। उपेंद्र राय जैसे लाइजनर की इसलिए भी सहारा में आवश्यकता बताई जा रही है क्योंकि सहारा निवेशकों ने सहारा के निदेशकों पर हजारों एफआईआर दर्ज करा रखी हैं। भुगतान को लेकर देशभर में निवेशक आंदोलन कर रहे हैं। तीन लाख से ऊपर का भुगतान निवेशकों का सहारा पर बताया जा रहा है। सहारा रिफंड पोर्टल लांच होने के बाद भी निवेशकों का आक्रोश कम नहीं हुआ है।
दरअसल सुब्रत राय के निधन के बाद सहारा में अब ग्रुप को हथियाने के प्रयास तेज होने के आसार जताये जा रहे हैं। ग्रुप में इस समय ओपी श्रीवास्तव, स्वप्ना राय और जयब्रत राय मुख्य किरदार माने जा रहे हैं। इन सबमें व्यक्तिगत रूप से सुब्रत राय को श्रद्धांजलि अर्पित करने में उपेंद्र राय सबसे आगे दिखाई दिये। इसमें दो राय नहीं कि मीडिया में या तो गोविंद दीक्षित को बड़े अधिकार मिले थे या फिर संस्था में उपेंद्र राय को। एक समय ऐसा भी था कि उपेंद्र राय मीडिया के साथ ही पूरे ग्रुप में कहीं पर भी हस्तक्षेप कर सकते थे। यह उपेंद्र राय की सुब्रत राय से नजदीकियां ही थी कि उपेंद्र राय एक बार नहीं बल्कि तीन बार पूरी पावर के साथ सहारा मीडिया में आये। पिछले दिनों जब वह मीडिया देख रहे थे तो सुमित राय को मीडिया हेड बनाकर उन्हें सुमित राय को रिपोर्ट करने को कह दिया गया था। उपेंद्र राय सहारा मीडिया में सुप्रीम पॉवर बनकर रहे हैं। यही वजह रही कि उपेंद्र राय ने सहारा छोड़कर अपना चैनल खोल लिया। तब भी उन्होंने कहा था कि यह सब वह सहारा श्री के आशीर्वाद से हो रहा है। अब जब उनका अपना चैनल है तब भी वह सुब्रत राय को श्रद्धांजलि देने की आड़ में सहारा में पूरी दिलचस्पी ले रहे हैं।
दरअसल सहारा संपत्ति में बड़ा खेल है। सहारा की संपत्ति किसी व्यक्ति विशेष के नाम पर नहीं है। खुद सुब्रत राय कहते रहे हैं कि सहारा की संपत्ति सहारा कर्मियों की है। उनके और उनके परिवार के नाम पर सहारा की कोई संपत्ति नहीं है। ऐसे में सहारा की खरबों की संपत्ति है तो ओपी श्रीवास्तव और उपेंद्र राय जैसे लोगों का खेल शुरू हो चुका है। उपेंद्र राय की सहारा में बड़ी हैसियत होने की वजह यह भी है कि सुब्रत राय के खेल की अंदर की सबसे अधिक जानकारी उपेंद्र राय को ही रही है। वैसे भी अमर सिंह के बाद उपेंद्र राय सहारा के बड़े लाइजनर रहे हैं। कहा तो यह भी जाता है कि गत दिनों जब उपेंद्र राय जेल गये तो सुब्रत राय की वजह से गये। इस बात को इसलिए भी बल मिलता है क्योंकि जेल से छुटते ही सुब्रत राय ने फिर से उपेंद्र राय को मीडिया दे दिया था।
दरअसल उपेंद्र राय किसी समय गोविद दीक्षित के राष्ट्रीय सहारा के संपादक रहते हुए उनसे मिलने आया करते थे। बताया जाता है कि वह उन दिनों वह कुछ दिनों स्ट्रिंगर भी रहे। 2004 -05 में जब यूपीए की सरकार बनी और कुछ दिनों बाद ही सुब्रत राय कांग्रेस के निशाने पर आ गए थे तो उन दिनों सुब्रत राय का स्वास्थ्य बहुत खराब हो गया था। उस समय उपेंद्र मुंबई में स्टार न्यूज़ में रिपोर्टर थे। उन्होंने सुब्रत राय का इंटरव्यू लिया था।
उस इंटरव्यू के बाद से ही कहा जाने लगा था कि उपेंद्र राय सहारा में फुल पावर के साथ आ सकते हैं। 2007-2008 में संजीव श्रीवास्तव और उपेंद्र राय सहारा मीडिया में आये। उपेंद्र राय संजीव श्रीवास्तव को रिपोर्ट करते थे। संजीव श्रीवास्तव बीबीसी से आये थे तो वह खाटी पत्रकार थे। उन्होंने उस समय मुलायम सिंह यादव और अमर सिंह की दोस्ती पर राष्ट्रीय सहारा में एक लेख लिख दिया था। मुलायम सिंह यादव और अमर सिंह सुब्रत राय के खासमखास रहे हैं। तो उस समय संजीव श्रीवास्तव को सहारा छोड़ना पड़ गया था। सहारा मीडिया की फुल पावर उपेंद्र राय के हाथों में आ गई थी। उसके बाद उपेंद्र राय की सहारा मीडिया में दो बार एंट्री हुई एक बार वह 2016 में उस समय आये जब सहारा मीडिया में वेतन को लेकर आंदोलन हुआ था। दूसरी बार वह तब आये जब जेल से बाहर आये थे। आज की तारीख में उपेंद्र राय अपना चैनल चला रहे हैं। उपेंद्र राय को आज का बड़ा लाइजनर माना जाता है।
Leave a Reply