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UP Politics : जाटों को साधने के लिए भाजपा ने भूपेंद्र सिंह को बनाया यूपी का अध्यक्ष

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UP Politics : राकेश टिकैत और जयंत चौधरी की ताकत को कम करने के प्रयास में लगे हैं बीजेपी के रणनीतिकार

चरण सिंह राजपूत

किसान आंदोलन का चेहरा बने राकेश टिकैत के लगातार भाजपा पर निशाना साधने और पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की राजनीतिक विरासत संभाल रहे रालोद के अध्यक्ष जयंत चौधरी के अखिलेश यादव के हाथ मिलाने के बाद जाट वोटबैंक भाजपा से खिसकता जा रहा है। Western Uttar Pradesh में बड़ी ताकत माने जाने वाले जाटों की नाराजगी को दूर करने के लिए भाजपा ने बड़ा दांव चला रहा है। जाटों में अच्छी खासी पकड़ रखने वाले पुराने RSS Worker और योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री भूपेंद्र सिंह को उत्तर प्रदेश का अध्यक्ष बनाया गया है। Bharatiya Janata Party
के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने विधिवत रूप से भूपेंद्र सिंह के प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त करने की घोषणा कर दी है। दरअसल स्वतंत्र देव सिंह के इस्तीफे के बाद उत्तर प्रदेश अध्यक्ष का पद खाली हुआ था। भूपेंद्र सिंह योगी सरकार में पंचायती राज मंत्री हैं।

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बुधवार को दिल्ली बुलाया गया था दिल्ली

दरअसल भूपेंद्र सिंह को बुधवार को दिल्ली बुलाया गया था, जिसके बाद उनके यूपी Bharatiya Janata Party
के प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने को लेकर अटकलें तेज हो गई थी। उन्होंने जेपी नड्डा से भी मुलाकात की थी। बताया जा रहा है कि आजमगढ़ में आनन-फानन में दिल्ली आकर भूपेद्र सिंह ने नड्डा से मुलाकात की थी। पश्चिमी यूपी के Jat Community से आने वाले भूपेन्द्र सिंह को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपकर भाजपा ने एक तीर से कई निशाने हैं। जानकारों का कहना है कि इसके जरिये भाजपा ने क्षेत्रीय और जातीय समीकरण साधने की कोशिश की है। जाट वोटबैंक को साधने के लिए भूपेंद्र सिंह सबसे मजबूत चेहरा माने जा रहे थे।

वैस भी पूर्वांचल की राजनीति पर तो योगी आदित्यनाथ की मजबूत पकड़ है ही भाजपा को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मजबूत चेहरा चाहिए था। साथ ही भाजपा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के Jat Community नेता को संगठन का कमान सांैपकर जाटों मे एक अच्छा संदेश देना चाहती है। यही वजह है कि संगठन की कमान पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट नेता का देने को पार्टी की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। इसके अलावा भूपेंद्र सिंह पुराने स्वयंसेवक भी हैं और CM Yogi Adityanath के भी बेहद करीबी माने जाते हैं।

Swatantra Dev Singh के इस्तीफे के बाद यूपी भाजपा के अगले अध्यक्ष को लेकर कयासों का दौर लगातार जारी रहा। इस रेस में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का नाम भी शामिल था। उनके संगठन सरकार से बड़ा वाले ट्वीट के बाद इन अटकलों को औेर भी बल मिला था। दूसरी ओर कई ब्राह्मण और दलित चेहरों पर भी मंथन चल रहा था। इसमें सांसद सतीश गौतम, दिनेश शर्मा और श्रीकांत शर्मा भी रेस में बताये जा रहे थे।

दरअसल नये  Agricultural Laws के विरोध में 13 महीने तक चले किसान आंदोलन में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट बहुतायात में थे। मुजफ्फरनगर के रहने वाले भाकियू अध्यक्ष नरेश टिकैत और प्रवक्ता राकेश टिकैत की वजह से जाट समुदाय भाजपा से नाराज हो गया था। दरअसल किसान आंदोलन के चलते गाजीपुर बार्डर पर Rakesh Tikait की गिरफ्तारी की तैयारी योगी सरकार ने जो की थी उस समय टिकैत के आंसू निकलने के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश का जाट एकजुट होकर किसान आंदोलन से जुड़ा था। यह वजह थी कि न केवल रालोद बल्कि सपा को भी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में फायदा हुआ था।

अब जब केंद्र सरकार ने एमएसपी गारंटी कानून के अलावा किसानों पर Filed Lawsuits के मामले में ढुलमुल रवैया अपनाया। किसानों के मसले निपटाने के लिए बनाई गई समिति में आरएसएस के किसान नेताओं के अलावा कृषि कानूनों के पक्ष में रहे नेताओं को लेने से किसान जाट नेता बहुत नाराज हैं। केंद्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्रा उर्फ टेनी की गिरफ्तारी को लखीमपुर खीरी में चले धरने और उसके बाद दिल्ली जंतर मंतर पर किसान पंचायत होने के बाद भाजपा को फिर से किसान आंदोलन के सुलगने से जाटों के उससे नाराज होने की आशंका होने लगी है। ऊपर से टेनी ने किसानों की तुलना कुत्ते से करने और राकेश टिकैत को दो कौड़ी का आदमी बताकर जले पर नमक डालने का काम किया है। ऐसे में २०२४ के आम चुनाव का देखते हुए Bharatiya Janata Party ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाटों को साधने के लिए भूपेंद्र सिंह को उत्तर प्रदेश का अध्यक्ष बनाया है।

भूपेंद्र सिंह चौधरी यूपी विधान परिषद के सदस्य हैं। वह 2016 में बीजेपी के एमएलसी चुने गये थे।
दरअसल भूपेंद्र सिंह का जन्म मुरादाबाद के महेंद्री सिकंदपुर गांव में एक किसान परिवार में हुआ था। यहीं जिले के मुरादाबाद के आरएन इंटर कॉलेज से १२वीं तक की पढ़ाई की है उनका अपने गृह जिले से जुड़ा बना रहा है। भूपेंद्र सिंह जाट समुदाय में भी अच्छी पकड़ रखते हैं। भूपेंद्र सिंह की शुरुआत Vishwa Hindu Parishad से हुई थी। वीएचपी से ही वो बीजेपी में आए हैं। भूपेंद्र सिंह 1991 में सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं लेकिन वे उस चुनाव में हार गये थे।

दरअसल UP Politics को देखते हुए भूपेद्र सिंह चौधरी को यूपी में पार्टी की कमान सौंपकर पश्चिमी यूपी में आरएलडी-सपा के गठबंधन का असर कम करने की रणनीति मानी जा रही है। बीजेपी को 2022 के चुनाव में राज्य के जिस इलाके में सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ रहा है। भूपेंद्र सिंह पश्चिमी उत्तर प्रदेश यूपी के सहारनपुर से लेकर मुजफ्फरनगर, बिजनौर, मुरादाबाद, अमरोहा, बरेली और रामपुर के जाट आते हैं। बताया जा रहा है कि इससे पश्चिमी यूपी की जाटों वाली डेढ़ दर्जन लोकसभा सीटों पर बीजेपी को फायदा हो सकत है। जाट समुदाय से आने वाले भूपेन्द्र सिंह को बीेजपी के शीर्ष नेतृत्व का भी करीबी माना जाता है।