द न्यूज 15
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को युद्ध ग्रस्त यूक्रेन से लौटे छात्र-छात्राओं से गोरखपुर में मुलाकात की और दावा किया कि सिर्फ भारत ही अपने नागरिकों को यूक्रेन से वापस लाने की कार्रवाई कर रहा है। मुख्यमंत्री ने दावा किया, ‘‘यह सुविधा केवल भारतीय नागरिकों और छात्र-छात्राओं को ही मिल सकी, आपने देखा होगा कि आपके साथ अन्य देशों के छात्र-छात्राएं भी पढ़ती होंगी, उनकी सरकारों ने उनका कोई संज्ञान नहीं लिया। वह अपने तरीके से जो निकल पा रहे हैं सो निकल रहे हैं। बाकी सब भगवान भरोसे हैं।”
उन्होंने कहा, “अलग-अलग देशों से जुड़े हुए मामले होने के नाते समस्याएं खड़ी होती हैं लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रोमानिया, हंगरी और पोलैंड के साथ अच्छे संबंध होने की वजह से कहीं कोई समस्या खड़ी नहीं हो पाई। इन देशों की सीमाओं पर भारत के नागरिकों को जो सुविधा मिल रही थी वह अन्य देशों के नागरिकों को नहीं मिल पा रही थी।” योगी ने कहा कि जैसे ही रूस ने यूक्रेन पर हमला किया, अपने नागरिकों को सुरक्षित वापस भारत लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बैठक की। उसके बाद कार्यवाही शुरू हुई। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने भी अपने यहां नोडल अधिकारियों की तैनाती करके यूक्रेन में पढ़ रहे राज्य के सभी लोगों के बारे में जानकारी जुटाई।
यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने ब्रिटेन के सांसदों से रूस को ‘‘आतंकवादी राष्ट्र’’ घोषित करने का अनुरोध किया और मॉस्को पर सख्त प्रतिबंध लगाने का आह्वान किया ताकि ‘‘यह सुनिश्चित किया जा सके कि हमारा देश सुरक्षित रहे।’’ उन्होंने यह अनुरोध ऐसे वक्त किया है जब रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने उनके देश के खिलाफ विशेष सैन्य अभियान छेड़ रखा है।
मंगलवार को वीडियो लिंक के जरिए ‘हाउस ऑफ कॉमंस’ में ‘‘ऐतिहासिक’’ भाषण देने वाले जेलेंस्की (44) को संसद के सदस्यों ने खड़े होकर सम्मान दिया। जेलेंस्की ने ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘हम आपसे, पश्चिमी देशों से मदद की आस लगा रहे हैं। हम इस मदद के लिए आभारी हैं और मैं आपका आभारी हूं, बोरिस।’’
उन्होंने कहा, ‘‘कृपया इस देश (रूस) के खिलाफ प्रतिबंधों का दबाव बढ़ाए और कृपया इस देश को आतंकवादी देश के तौर पर मान्यता दें। कृपया यह सुनिश्चित कीजिए कि हमारा यूक्रेनी आसमान सुरक्षित रहे। कृपया यह सुनिश्चित करें कि आप वह सब करें जो करने की जरूरत है।’’
यूक्रेन और यूरोपीय सहयोगियों को 13.6 अरब डॉलर की सहायता देने के लिए अमेरिकी संसद सदस्यों में बुधवार सुबह एक द्विदलीय समझौते पर सहमति बनी। इसमें, संघीय एजेंसियों को 1500 अरब डॉलर की वित्तपोषण सहायता के हिस्से के रूप में महामारी से निपटने के लिए कई अरब डॉलर की सहायता देना भी शामिल है।
राष्ट्रपति जो बाइडन ने पिछले हफ्ते सैन्य, मानवीय और आर्थिक सहायता के रूप मे 10 अरब डॉलर का अनुरोध किया था। डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन सांसदों का पुख्ता समर्थन मिलने से यह राशि 13.6 अरब डॉलर पर पहुंच गई। व्हाइट हाउस में बाइडन ने कहा, ‘‘ हम उनका (यूक्रेन का) अत्याचार, दमन, हिंसा की कार्रवाई के खिलाफ समर्थन करने जा रहे हैं।”
रूस और यूक्रेन के बीच जंग का आज (नौ मार्च, 2022) 14वां दिन है। वहीं, यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की की ओर से कहा गया है कि उनका जोर नाटो (NATO) ती सदस्यता पर नहीं है। इस बीच, कीव और सुमी समेत पांच शहरों में सीजफायर हो चुका है, जबकि कई जगहों पर पुतिन के मुल्क के हमले जारी हैं।
उधर, यूएस के बाइडन प्रशासन ने दावा किया कि यूक्रेन पर सैन्य कार्रवाई के बाद रूस वैश्विक अर्थव्यस्था के लिए ‘अछूत’ हो गया है और विश्व समुदाय मॉस्को के खिलाफ सख्त प्रतिबंध लगाने की अमेरिकी पहल से जुड़ रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने रूस के खिलाफ घोषित आर्थिक प्रतिबंधों के पैकेज को ‘इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण’ करार दिया है और दावा किया है कि इससे रूसी अर्थव्यवस्था को गहरा नुकसान पहुंचेगा।
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रूस से तेल और गैस आयात पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगाने की घोषणा करने के बाद व्हाइट हाउस में संवाददाताओं से बातचीत में बाइडन ने कहा, ‘‘इससे रूसी अर्थव्यवस्था गर्त में चली गई है। (रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर) पुतिन की ओर से घोषित युद्ध के बाद रूबल का करीब 50 प्रतिशत अवमूल्यन हुआ है और उसकी कीमत एक अमेरिकी सेंट से भी कम हो गई है।’’
मैकडॉनल्ड्स, स्टारबक्स, कोका-कोला, पेप्सिको और जनरल इलेक्ट्रिक जैसे कई वैश्विक ब्रांड ने घोषणा की है कि वे यूक्रेन पर आक्रमण के जवाब में रूस में अपने व्यापार को अस्थायी रूप से निलंबित कर रहे हैं। ‘मैकडॉनल्ड्स’ के अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) क्रिस केम्पचिंस्की ने कर्मचारियों को भेजे एक पत्र में कहा, ‘‘हमारे सिद्धांतों के अनुसार, हम यूक्रेन में लोगों को हो रही अनावश्यक पीड़ा को नजरअंदाज नहीं कर सकते।’’
वैसे, रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद, दो हफ्ते से भी कम वक्त में लगभग 20 लाख लोगों ने पूर्वी यूरोपीय देश छोड़ दिया है। इनमें आधे बच्चे हैं और हर नए दिन के साथ यह पलायन दूसरे विश्व युद्ध के बाद से यूरोप का सबसे बड़ा शरणार्थी संकट बनता जा रहा है। अफसरों ने इसके साथ ही बताया कि रूसी सेना से घिरे यूक्रेनी शहरों में मानवीय स्थिति और अधिक विकट हो गई है, जिसमें मारियुपोल भी है। वहां सड़कों पर हर तरफ शव नजर आ रहे हैं और अभी तक वहां कोई मानवीय मदद नहीं पहुंची है।