यूपी चुनाव में सपा की मुश्किलें बढ़ा सकता है उन्नाव कांड 

उन्नाव कांड 

चुनावी मुद्दा बना रही है भाजपा और बसपा 

चरण सिंह राजपूत 
विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के दुष्कर्म कांड में सजा होने पर भाजपा के लिए परेशानी खड़ा करने वाला उन्नाव इन विधानसभा चुनाव में सपा के लिए मुश्किलें खड़ी करने जा रहा है। इस बार मामला दलित लड़की की हत्या कर शव को सेप्टिक टैंक में दफना देने का है। हत्या का आरोप सपा सरकार में राज्यमंत्री रहे फतेहबहादुर सिंह के बेटे रजोल सिंह पर लगा है। मामला भले ही दो महीने पुराना हो पर उत्तर प्रदेश चुनाव यह मामला पूरी तरह से गरमा गया है। भाजपा और बसपा दोनों ने मामले में सपा को घेरना शुरू कर दिया है।
 मामले पर यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने  ट्वीट किया है कि अखिलेश यादव सपा नेता के खेत में दलित बेटी का शव बरामद, जब बेटी की मां आपकी गाड़ी के सामने गिड़गिड़ा रही थी तो उनकी बात नहीं सुनना और सपा नेता का संरक्षण करोगे, नई सपा में सपाइयों का हर घिनौना अपराध माफ करोगे, जांचकर दोषी को दंड पीड़ित को न्याय दिलाने कसर नहीं छोड़ेंगे।”
इस हत्याकांड को भाजपा ने चुनावी मुद्दा बना लिया है। भले ही कानून-व्यवस्था को लेकर बीजेपी सरकार पर भी सवाल उठ रहे हों पर मामले में सपा नेता की संलिप्तता होने की वजह से मामले में बीजेपी फायदा उठाती दिखाई दे रही है।
उधर दलितों की राजनीति करने वाली बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने भी इसे बेहद गंभीर मामला बताते हुए सरकार के सख्त कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने ट्वीट किया, ”उन्नाव जिले में सपा नेता के खेत में दलित युवती का दफनाया हुआ शव बरामद होना अति-दुःखद व गंभीर मामला। परिवार वाले पहले से ही उसके अपहरण व हत्या को लेकर सपा नेता पर शक कर रहे थे। उन्होंने मांग की है कि राज्य सरकार पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए दोषियों के खिलाफ तुरन्त सख्त कानूनी कार्रवाई करे।” हालांकि कानून व्यवस्था पर मायावती की न बोलना बीजेपी से सांठगांठ भी दर्शाता है।
दरअसल सपा सरकार में राज्यमंत्री रहे फतेहबहादुर सिंह के बेटे रजोल सिंह पर दो महीने पहले कांशीराम कॉलोनी की महिला रीता ने बेटी पूजा को गायब करने का आरोप लगाया था। ऊंचे रसूख के चलते उस समय पुलिस ने रिपोर्ट तो दर्ज कर ली थी पर कार्रवाई नहीं की गई थी। कार्रवाई न होने के बाद आहत रीता ने 24 जनवरी को लखनऊ में अखिलेश यादव के काफिले के आगे कूदकर जान देने की कोशशि की थी। इसके बाद मामले ने तूल पकड़ा तो पुलिस ने आनन-फानन में रजोल को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। मामले में चुनावी फायदा होते देख भाजपा मामले में सक्रिय हुई और 4 फरवरी को पुलिस ने रजोल को पीसीआर रिमांड पर लेकर आठ घंटे पूछताछ की। पूछताछ में उसके साथी हरदोई थाना मुबारकपुर के नवा गांव निवासी साथी सूरज के बारे में पता चला। इसके बाद पुलिस ने आरोपित के आश्रम के पीछे प्लॉट स्थित सेप्टिक टैंक के गड्ढे की खुदाई कराई तो  गड्ढे से युवती का शव बरामद हुआ।
दरअसल सदर के कांशीराम कॉलोनी में रहने वाली दलित महिला रीता की बेटी पगत दिसंबर माह से गायब थी। मां ने 8 दिसंबर को गुमशुदगी दर्ज कराई थी। 11 जनवरी को एससीएसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज हुआ था। अब भले ही यह चुनावी मुद्दा बनता दिखाई दे रहा हो पर मां न्याय की गुहार लगाती रही  मगर किसी ने उसकी एक न सुनी थी ।
मामले पर कार्रवाई न होती देख 24 जनवरी को लखनऊ में अखिलेश यादव के गाड़ी के आगे मां कूद गई थी। अखिलेश यादव ने भले ही उसकी मदद न की और पर मामला गरमा गया था और पुलिस ने 25 जनवरी को आरोपी रजोल सिंह को जेल भेज दिया। हालांकि उस समय बेटी पूजा की मौत की खबर मिलने पर घटनास्थल पहुंची पीड़ित मां ने सीओ व इंस्पेक्टर और दरोगा पर लापरवाही का आरोप लगाया था। हालांकि अब मामले को संज्ञान में लेते हुए एसपी दिनेश त्रिपाठी ने जांच के बाद सदर कोतवाली इंस्पेक्टर अखिलेश चंद्र पांडेय को निलंबित भी कर दिया है। मृतक लड़की की मां को भले ही न्याय न मिले पर मामला चुनावी मुद्दा जरूर बन गया है। अब जब उत्तर प्रदेश में भाजपा की सीधी टक्कर सपा से है तो बीजेपी और बसपा मामले को पूरी तरह से उठा रही हैं।

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