चरण सिंह
क्या बसपा मुखिया मायावती ने आकाश आनंद को बसपा के सभी पदों से इसलिए हटा दिया है क्योंकि वह अनुशासनहीनता कर रहे थे। क्या बसपा आकाश आनंद का राजनीति में परिपक्व होने का इंतजार करेंगी ? क्या आकाश आनंद की मुश्किलें बढ़ रही हैं ? क्या मायावती आकाश आनंद पर सीतापुर में दर्ज एफआईआर खत्म होने तक आकाश आनंद को बसपा से दूर रखेंगी ? वजह जो भी हो पर आकाश आनंद को बसपा से अलग कर दिया है। बताया जा रहा है कि आकाश आनंद पर उनकी बुआ और बसपा मुखिया मायावती का यह कड़ा फैसला उनका राजनीतिक करियर को बचाने के लिए ही लिया है। मायावती नहीं चाहती कि उनके भतीजे पर कोई मुकदमा चले। वैसे भी खुद मायावती ताज कॉरिडोर और उनका भाई इनकम टैक्स मामले में केंद्र सरकार के दबाव में हैं। ऐसे आकाश आनंद ने सीतापुर में बसपा प्रत्याशी महेंद्र यादव के पक्ष में हो रही रैली में केंद्र सरकार को गद्दार और आतंकवादियों की सरकार ठहरा देना निश्चित रूप से बीजेपी को अखरा होगा। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती पर कितना दबाव होगा ?
निश्चित रूप से मायावती ने आकाश आनंद पर यह कड़ा फैसला उनके राजनीतिक भविष्य को देखते हुए लिया है। वह जानती हैं कि आकाश आनंद के बस का जेल की कुव्यवस्था को झेलना मुश्किल है। मायावती यह भी जानती हूं कि आकाश आनंद के जेल जाने के बाद उनको अपने परिजनों को फेस करना मुश्किल हो जाएगा। ऐसे में पहली प्राथमिकता मायावती की आकाश आनंद को बचाने की है। हां चुनाव को बनाये रखने और पार्टी को बचाने की भी बड़ी चुनौती उनके सामने है। हां यह जरूर कहा जा सकता है कि बसपा में अधिकतर नेता मायावती के इस निर्णय से नाखुश हूं। इन नेताओं का कहना है कि चुनाव में पार्टियां नेता अनाप शनाप बोलते हैं। उनका तो कुछ नहीं बिगड़ता है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को तो भाजपा नेताओं ने नक्सली तक कह दिया था। तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ हुए किसान आंदोलन में भी किसानों को आतंकवादी, नक्सली, देशद्रोही न जाने क्या क्या कह दिया गया। कितने लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।
दरअसल मायावती की कमजोरी भाजपा अच्छी तरह से समझ चुकी है। यही वजह है कि न केवल दिल्ली में सातों सीटों पर बसपा ने प्रत्याशी उतार दिये हैं बल्कि जौनपुर का श्रीकला सिंह की टिकट भी भाजपा के दबाव में ही काटा बताया जा रहा है। आकाश आनंद के भाषण के बाद मायावती फिर से भाजपा के दबाव में आ गई हैं। या यह भी कह सकते हैं कि बीजेपी ने उनकी कमजोरी पकड़ ली है। क्या आकाश आनंद लंबे समय तक राजनीति से दूर रहेंगे ? क्या मायावती आकाश आनंद के अलावा किसी और को अपना उत्तराधिकारी बना सकती है। क्या चंद्रशेखर आजाद आकाश आनंद की अनुपस्थिति का फायदा उठा सकते हैं।