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तकलीफ देह खबर

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साथी रमाशंकर सिंह जो इस समय ग्वालियर से बाहर हैं, ने व्हाट्सएप पर दुखदाई खबर दी है कि डॉ अरविंद दुबे, हम सबके अजीज, मौला मस्त, खुलूस मोहब्बत से सराबोर, भारतीय तथा पाश्चात्य ज्ञान परंपरा के जिज्ञासु अध्येता, हिंदी, उर्दू साहित्य की कविता, शायरी, मीमांसा कथा साहित्य, आलोचना, हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के रसिक के रूप में हमने एक महारथी को खो दिया।
एक मशहूर नेत्र चिकित्सक के रूप में तो उनकी शोहरत से सब लोग वाकिफ है ही, आंखों की सर्जरी के सर्जन के रूप में उनकी काबिलियत तथा मशहूरी को पूरा शहर तथा आसपास के अंचल की जनता बखूबी जानती है। परंतु मैंने देखा है कि एक सर्जन के साथ-साथ अपने मरीजों की माली हालत को देखकर उनके अंदर की करुणा, मानवीयता उन्हें पैसे को दरकिनार कर किसी भी प्रकार अपने मरीज की मदद करने की रहती थी। ग्वालियर के सांस्कृतिक आयोजनों में न केवल उनकी हाजिरी लगती थी उसमें उनकी भागीदारी की अपेक्षा भी श्रोताओं में रहती थी। समय-समय पर होने वाली मुख्तलिफ सेमिनारों, सिंपोजियम में विज्ञान की नई खोजो, उपलब्धियां तथा उससे होने वाली हानियां के साथ-साथ समसामयिक विषयों पर वह धारा प्रवाह अपनी बात रखते थे। गांधी विचार के अनुगामी, मजहबी पोंगापंथी तथा नफरती नजरियों के खिलाफ हमेशा बिगुल बजाए रहते थे।
ऐसा हो ही नहीं सकता था कि मेरे ग्वालियर आगमन पर रमाशंकर सिंह से उनकी बात ना हो। सचमुच में हमने एक हरदिल अजीज को खो दिया, उनकी कमी हमेशा खलेगी। दुख की इस घड़ी में उनके गमजदा परिवार के साथ हम सब खड़े हैं।
– राजकुमार जैन