बिहार में ‘ट्रैक चेंज’ पॉलिटिक्स!

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 नीतीश कुमार को लेकर बीजेपी के विरोधाभासी बयानों के मायने समझिए

दीपक कुमार तिवारी

पटना/नई दिल्ली। बिहार की नीतीश नीत एनडीए की राजनीति में कुछ तो खिचड़ी पक रही है। ऐसा इसलिए कि हाल के दिनों में राज्य के नामचीन नेताओं के जिस तरह से बयान आ रहे हैं, वो एक-दूसरे के बयान के साथ खड़े होते नहीं दिखते। हां, एक-दूसरे के बयान को सीधा-सीधा काटते नजर आ रहे हैं। ये भाजपा जैसी अनुशासित पार्टी के संदर्भ में स्वीकार करना सहज नहीं। जब कभी भी किसी बयान को लेकर भाजपा का स्टैंड उससे इतर आया, भाजपा नेतृत्व उसे उस भाजपा नेता का निजी बयान कह कर अपना पल्ला झाड़ती रही है। मगर, हाल के दिनों में विरोधाभास भरे भाजपा के कई बयान आए मगर न तो किसी के बयान का खंडन आया और न भाजपा नेतृत्व ने उनका निजी बयान कह कर अपना पलड़ा झाड़ा।
एक तो अमित शाह के बयान को लेकर नीतीश कुमार पहले से नाराज थे, अब उस पर भाजपा का नया हमला अटल जयंती के बहाने राज्य के उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा ने क्या कर दी, भाजपा और जदयू की राजनीति बेपटरी होती दिखी। उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने बिहार में बीजेपी की सरकार बनने वाली की इच्छा व्यक्त करते हुए कार्यकर्ताओं से कहा कि जब तक हमारी अपनी सरकार नहीं बनेगी, तब तक हमारे मन के अंदर की आग शांत नहीं होगी। इसलिए हमें एकजुट होकर पूरे जोश के साथ इस मिशन को पूरा करने के लिए अपनी ताकत झोंक देना चाहिए। भाजपा की सरकार होगी, तभी मन शांत होगा। साथ ही ये भी कह डाला कि अटल जी का सपना तभी सच होगा, जब बिहार में भारतीय जनता पार्टी की अपनी सरकार बनेगी।
बस होना क्या था, एनडीए की राजनीति में भूचाल आ गया। इसे इस तरह समझा जा सकता है कि कुछ ही देर बाद उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा ने अगला विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ने की बात कही। नीतीश कुमार ही एनडीए के नेता हैं। नीतीश कुमार अटल जी के सबसे प्रिय थे और उन्हें बिहार में सुशासन स्थापित करने के लिए भेजा गया था। 2005 से 2010 के बीच जंगलराज को खत्म करने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। जंगलराज के लिए जिम्मेदार लोगों को बिहार में दोबारा मौका नहीं मिलेगा। अगली सरकार अटल जी की विचारधारा और नीतीश कुमार के नेतृत्व में बनेगी।
विगत दिनों अमित शाह ने बिहार में मुख्यमंत्री कौन बनेगा, का जब सवाल पूछा गया तो जवाब में उनका कोई सीधा हां या ना में जवाब नहीं आया। अपने घुमावदार भाषा का प्रयोग करते बहुत सलीके से अपना पल्ला छुड़ाते कहा कि ये तो पार्लियामेंट्री बोर्ड डिसाइड करेगी? इसके साथ-साथ ये भी कह दिया कि भाजपा का अनुशासित सिपाही हूं, अपनी स्ट्रेटजी को कैसे बाहर प्रकट करूंगा।
अमित शाह के बयान के बाद एनडीए की राजनीति धार पर चढ़ गई। तब डैमेज कंट्रोल करते भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने कहा है कि एनडीए राज्य में 2025 का विधानसभा चुनाव सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ेगा। नेतृत्व को लेकर कोई कन्फ्यूजन नहीं है। पहले भी वे हमारे मिशन के चेहरे थे और आज भी वही हैं। हमें 2025 में नीतीश कुमार को नेता मानकर एनडीए की जीत के लिए काम करने के निर्देश दिए गए हैं।
भाजपा की तरफ से कभी तीता तो कभी मीठा बयान को लेकर राजनीति के गलियारों में चर्चा तेज हो गई है। क्या मानसिक रूप से नीतीश कुमार की सक्रिय राजनीति से अलग-थलग करने का कोई मिशन तो नहीं बीजेपी चला रही है? ऐसा इसलिए कि एक तरफ से भाजपा की तरफ से लगातार नीतीश कुमार को नाराज करने के लिए बयान दिए जा रहे हैं तो दूसरी तरफ भाजपा के केंद्रीय मंत्री तक नीतीश कुमार को भारत रत्न देने की मांग कर रहे हैं।
सवाल उठता है कि भाजपा के भीतर दो धारा नहीं रहा है। राजनीतिज्ञों का मानना है कि बार-बार भाजपा की तरफ से इस तरह का बयान देकर सीएम नीतीश कुमार को राजनीति से एग्जिट करने का रास्ता दिखाया जा रहा है। अगर, इसमें सफलता मिल गई तो भाजपा को फायदा ही फायदा। गर नहीं हुआ तो भाजपा दो-दो उपमुख्यमंत्री के साथ एनडीए की राजनीत कर ही रही है।

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