जिन्ना पर फंसे समीकरण को सुधारने को अखिलेश ले रहे गन्ने का सहारा 

द न्यूज 15  
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव की शुरुआत पश्चिमी यूपी यानी गन्ना बेल्ट से होने जा रही है। वैसे तो हर चुनाव में यूपी के इस हिस्से में गन्ना फोकस में रहता है लेकिन इस बार गन्ना के साथ जिन्ना की भी खूब चर्चा हो रही है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के मुंह से पिछले दिनों जैसे ही जिन्ना निकला, भारतीय जनता पार्टी ने इसे लपक लिया। बीजेपी की आक्रामक घेराबंदी की काट के लिए अब अखिलेश यादव को हाथ में गन्ना लेकर प्रचार करना पड़ रहा है। बुधवार को शामली में जब अखिलेश यादव ने जयंत चौधरी के साथ प्रचार किया तो दोनों नेता हाथ में गन्ना लिए दिखे।
क्यों गन्ना लेकर घूमने को मजबूर हुए अखिलेश : दरअसल बीजेपी इस चुनाव को ‘गन्ना बनाम जिन्ना’ की लड़ाई बता रही है। समाजवादी पार्टी पर जिन्ना और पाकिस्तान प्रेमी होने का आरोप लगाकर बीजेपी यह दावा कर रही है कि केवल वही गन्ने की बात कर सकती है। बीजेपी गन्ना किसानों को रिकॉर्ड भुगतान का दावा करते हुए वादा कर रही है कि यदि 15 दिनों के भीतर किसानों को भुगतान नहीं हुआ तो ब्याज भी मिलेगा। लड़ाई को ‘गन्ना बनाम जिन्ना’ बनाने से बीजेपी दोहरा फायदा देख रही है। एक तरफ गन्ना के नाम पर वह किसानों को अपने पाले में कोशिश कर रही है तो दूसरी तरफ जिन्ना के बहाने ध्रुवीकरण और राष्ट्रवाद को हवा देने की कोशिश की जा रही है। बीजेपी की रणनीति को भांपते हुए जयंत और अखिलेश बीजेपी के अभियान की काट निकालने में जुटे हैं। हाथ में गन्ना लेकर प्रचार को भी इसी अभियान का हिस्सा माना जा रहा है।
यूपी में चुनाव से ठीक पहले अखिलेश यादव ने जिन्ना को स्वतंत्रता का नायक और गांधी-पटेल जैसे महापुरुषों के साथ नाम लेकर विवाद खड़ा कर दिया। उन्होंने कहा, ”सरदार पटेल, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, जिन्ना एक ही संस्था में पढ़क बैरिस्टर बने। उन्होंने आजादी दिलाई।” अखिलेश के मुंह से जिन्ना का नाम निकलते हुए बीजेपी ने तुरंत इसे लपक लिया और जिन्ना के सहारे चुनाव को राष्ट्रवाद की ओर मोड़ने में जुट गई। इसके बाद एक इंटरव्यू में अखिलेश की ओर से यह कह देने पर कि पाकिस्तान असली दुश्मन नहीं है, बीजेपी को नया हथियार मिल गया। हिंदू-मुस्लिम की मिश्रित आबादी वाले यूपी के इस हिस्से में बीजेपी ध्रुवीकरण और राष्ट्रवाद के सहारे वोटर्स को लुभाने की कोशिश में जुटी है तो दूसरी तरफ सपा-रालोद गठबंधन की कोशिश कृषि कानूनों के खिलाफ चले आंदोलन को भुनाने की है। गठबंधन आंदोलन के सहारे मुस्लिम और जाट किसानों को एकजुट करना चाहता है, जिनके बीच 2013 के मुजफ्फनगर दंगे के बाद से चौड़ी खाई बन गई थी। ऐसे में यदि यह चुनाव गन्ना बनाम जिन्ना का होता है तो बीजेपी एक बार फिर 2014, 2017 और 2019 की सफलता को दोहराने में कामयाब हो सकती है।

Related Posts

प्रचंड जीत के बीच कुछ सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों की जमानत जब्त, पूर्वांचल में लगा है तगड़ा झटका
  • TN15TN15
  • March 14, 2022

द न्यूज 15 लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव…

Continue reading

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You Missed

आईपीएस के पति आईआरएस अधिकारी पर हमला!

  • By TN15
  • May 29, 2025
आईपीएस के पति आईआरएस अधिकारी पर हमला!

पाक पीएम शाहबाज शरीफ ने जताई बातचीत की इच्छा : रणधीर जायसवाल

  • By TN15
  • May 29, 2025
पाक पीएम शाहबाज शरीफ ने जताई बातचीत की इच्छा : रणधीर जायसवाल

इतिहास रचेगा इतिहास! 

  • By TN15
  • May 29, 2025
इतिहास रचेगा इतिहास! 

Hathras News : दोहरे हत्याकांड में फांसी की सजा!

  • By TN15
  • May 29, 2025

NCLT मुंबई के अफसर समेत 2 गिरफ्तार 

  • By TN15
  • May 29, 2025
NCLT मुंबई के अफसर समेत 2 गिरफ्तार 

40 देशों की सैन्य नेतृत्व के साथ विशेष रूप से होगी बातचीत : CDS

  • By TN15
  • May 29, 2025
40 देशों की सैन्य नेतृत्व के साथ विशेष रूप से होगी बातचीत  : CDS