
बर्खास्त सहायक टैक्स दरोगा सह नाजिर के पैनकार्ड से जुड़े बैंक अकाउंट की होगी जांच
जांच कमिटी गठित होने के बाद नप में हडकंप
राम विलास
राजगीर। नगर परिषद राजगीर के बर्खास्त सहायक टैक्स दरोगा सह नाजिर प्रमोद कुमार द्वारा किये गये वित्तीय फर्जीवाड़े की जांच जिला स्तरीय जांच कमिटी द्वारा आरंभ की गयी है। डीएम शशांक शुभंकर द्वारा बिहारशरीफ नगर निगम आयुक्त की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच कमिटी गठित की गयी है। नगर आयुक्त के अलावे इस जांच कमिटी में सहायक राज्य कर आयुक्त और सहायक कोषागार पदाधिकारी शामिल हैं।
डीएम द्वारा जांच दल गठित करने के बाद नगर परिषद में खलबली और हड़कंप मच गया है। जांच के लपेटे में कौन- कौन आ सकते हैं। इसकी कानाफूसी होने लगी है। कुछ लोग कहते हैं कि इस वित्तीय अनियमितता में प्रमोद कुमार अकेले नहीं, बल्कि और लोग हैं। पंजाब नेशनल बैंक के नगर परिषद नजीर अकाउंट से 14 लख रुपए निकासी करते सहायक टैक्स दरोगा सह नाजिर प्रमोद कुमार के पकड़े जाने के बाद जिला प्रशासन हरकत में आ गया है।
नगर परिषद के फाइनेंशियल कस्टोडियन नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी होते हैं। बावजूद किस परिस्थिति में अथवा किसी उद्देश्य से नगर परिषद नजीर के नाम से बैंक में अकाउंट खोला गया है। इस आशय की भी जांच, जांच दल द्वारा की जा रही है। नगर परिषद नजीर अकाउंट में धन कहां से कब-कब आया और उस अकाउंट से कब-कब धन निकला गया है। तथा उस खाते से किस-किस को मनि ट्रांसफर किया गया है।
इस बिन्दु पर भी जांच की जा रही है। इ सब के बाद तत्कालीन कार्यपालक पदाधिकारी के उपर भी अंगुलियां उठने लगी है। चर्चा है कि नगर परिषद नजीर के अकाउंट से कुछ वार्ड पार्षदों के निजी खाते में भी धन ट्रांसफर किए गए हैं। यदि यह सत्य है तो किस काम के लिए किस वार्ड पार्षद को कितना धन ट्रांसफर किया गया है। इसकी भी पड़ताल की जायेगी।
नगर परिषद के सरकारी अकाउंट से किसी वार्ड पार्षद को भुगतान करना कितना जायज है। यह तो जांच पदाधिकारी ही बता सकते हैं। सूत्रों की माने तो डीएम द्वारा गठित जांच दल द्वारा नगर परिषद के बर्खास्त सहायक टैक्स दरोगा सह नाजिर प्रमोद कुमार के पैन कार्ड से जुड़े सभी खातों की जांच की जा रही है।
प्रमोद कुमार के पैन नंबर से किस किस बैंक में कितने खाते का संचालन किया जा रहा है। उन खातों में कब-कब कितना धन जमा – निकासी किया गया है । उन खातों से किन-किन लोगों को धन ट्रांसफर किया गया है। सभी बिंदुओं पर जांच की जा रही है।
जानकार बताते हैं कि मामले की गहराई और ईमानदारी से जांच हुई तो इस वित्तीय घोटाले की जांच की आंच के दायरे में कई वार्ड पार्षद एवं अन्य आ सकते हैं। कुल मिलाकर यह कहना गलत नहीं होगा कि जांच बाद बर्खास्त सहायक दरोगा सह नाजिर और कार्यपालक पदाधिकारी दोनों ईडी जांच के दायरे में आ सकते हैं।