उत्कृष्ट शैक्षणिक व्यवस्था से ही सामाजिक परिवर्तन संभव
शिक्षा के उन्नयन के लिए योग्यता साथ श्रमशीलता जरुरी
राजगीर। शहर के पूज्य तपस्वी श्री जगजीवन जी महाराज सरस्वती विद्या मंदिर में विद्यालय स्तरीय तीन दिवसीय आचार्य कार्यशाला गुरुवार को आरंभ हुआ। इस कार्यशाला में शैक्षणिक सत्र 2023-24 की शैक्षणिक गतिविधियों की समीक्षा और 2024-25 के नये शैक्षणिक सत्र की तैयारियों और चुनौतियों को लेकर गंभीर चर्चा की गयी। कार्यशाला का उद्घाटन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उपेंद्र भाई त्यागी और प्राचार्य अमरेश कुमार द्वारा संयुक्त रूप से मां सरस्वती को पुष्प अर्पित एवं दीप प्रज्वलित कर किया गया। इस अवसर पर उपेंद्र भाई त्यागी ने कहा की स्थापना कल से ही विद्या भारती व्यक्ति निर्माण का कार्य कर रही है। शिक्षा के माध्यम से समाज और व्यवस्था में बदलाव लाना है।
सामाजिक परिवर्तन, शिक्षा, कृषि, विज्ञान, उद्योग, कला, फिल्म हर क्षेत्र में दिख रहा है। देशभक्ति और राष्ट्रभक्ति का जलवा युवकों में दिख रहा है। गुरु का वंदन और छात्रों का अभिनंदन हो रहा है। उन्होंने कहा कि सामाजिक समरसता का निर्माण, स्वयं और परिवार में करने की आवश्यकता पर जोर दिया है। विद्यालय परिसर और आसपास के पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए प्लास्टिक मुक्त परिसर बनाना है। वृक्षारोपण कार्यक्रम हर उत्सव के समय करना चाहिए। कुटुंब प्रबोधन, स्वदेशी वस्तु का उपयोग, स्वदेशी भाव का जागरण, नागरिक कर्तव्य का अक्षरशः पालन का हर संभव प्रयास करना है।
प्राचार्य अमरेश कुमार ने कहा कि वार्षिक कार्यशाला में हम विचार करें, उपलब्धि भरे सत्र में हम और हमारा विद्यालय कहां स्थित है। हमारी सहभागिता एवं गतिविधि अपने बच्चों के लिए कैसी रही है। इसका आत्मावलोकन करना आवश्यक है। हम अपनी जिम्मेवारी का निर्वहन अपनी योग्यता मात्र से ही नहीं कर सकते, अपितु योग्यता के साथ श्रमशीलता से अधिक करें। इस अवसर पर सभी आचार्य एवं दीदी उपस्थित थे।