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पर्सनल डाटा की सुरक्षा में अब नहीं लग पाएगी सेंध, पास हुआ डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल

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सरकार ने बहुप्रतीक्षित ड्राफ्ट डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल को प्रकाशित किया है, जिसमें गैर अनुपालन और नियामक बनाने के लिए 500 करोड़ रुपये तक के जुर्माने की बात कही गई है। ये ड्राफ्ट यूजर्स के पर्सनल डेटा को सुरक्षित करने के लिए पेश किया गया है।
नई दिल्ली। सरकार ने हाल ही में एक नया डाटा प्राइवेसी बिल, डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल 2022 प्रस्तावित किया है। इस बिल को यूजर्स के पर्सनल डाटा को रेगुलेट करने के लिए तैयार किया गया है। अगर कोई कंपनी किसी यूजर के निजी डाटा का गलत इस्तेमाल करती है तो उस पर 500 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।

अगस्त में वापस लिया गया पुराना बिल

यह उस पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल के स्थान पर पेश किया गया है, जिसे अगस्त में वापस ले लिया गया था। सरकार ने कहा कि एक और व्यापक कानूनी ढांचा जल्द ही पेश किया जाएगा। दरअसल नया प्रस्ताव प्रस्तावित विधेयक की चौथी पुरानवृत्ति है। इसके लिए डाटा संरक्षण कानून 2017 से काम कर रहा है। जब सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि निजता यानी प्राइवेसी हर भारतीय नागरिक का मौलिक अधिकार है। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिक मंत्रालय ने 17 दिसंबर तक जनता से ड्राफ्ट विधेयक पर प्रतिक्रिया की मांग की है। बता दें कि यह प्रतिक्रिया मायगोव वेबसाइट पर प्रस्तुत की जा सकती है। लेकिन क्या ये आम यूजर्स के लिए मददगार होगी ? आइये इसके बारे में जानते हैं।

कंपनी पर लगेगा 500 करोड़ रुपये तक का जुर्माना

सरकार द्वारा पारित किये गये नए प्रोटेक्शन बिल में किसी यूजर के पर्सनल डाटा को गलत इस्तेमाल करने या चुराने पर लगने वाले जुर्माने तो बढ़ाकर 500 करोड़ रुपये कर दिाय गया था। बता दें कि इस जुर्माने की राशि 15 करोड़ रुपये या किसी यूनिट के वैश्विक कारोबार का 4 प्रतिशत था।

सरकार करेगी ये बदलाव

सरकार के पास उन देशों को निर्दिष्ट करने की शक्ति होगी, जिन्हें कंपनियां पर्सनल डाटा ट्रांसफर कर सकती है। इससे कंपनियों को उस लिस्ट के देशों में स्थित सर्वरों को यूजर डेटा भेजने की अनुमति मिलेगी। सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा हित में प्रस्तावित कानून के स्टेट एजेंसियों को डाटा प्रोसेसिंग से मुक्त कर सकती है। प्रस्तावित कानून का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए सरकार एक डाटा प्रोटेक्शन बोर्ड स्थापित करेगी जो, कंज्यूमर्स की शिकायतें भी सुनेगा। इसके साथ ही केंद्र सरकार नोटिफिकेशन द्वारा इस अधिनियम के प्रयोजजनों के लिए एक बोर्ड की स्थापना करेगी, जिसे डाटा प्रोटेक्शन बोर्ड ऑफ इंडिया कहा जाएगा। ड्राफ्ट में यह भी बताया गया है कि कार्य का आवंटन, शिकायतों की प्राप्ति, सुनवाई के लिए समूहों का गठन, निर्णयों की घोषणा और बोर्ड के अन्य कार्य डिजाइन द्वारा डिजिटल होंगे। कंपनियों के आकार के आधार पर उनके द्वारा संसाधित किये जाने वाले डाटा की मात्रा को ध्यान में रखते हुए कानून के प्रावधानों के अनुपालन का मूल्यांकन करने के लिए एक स्वतंत्र डेटा ऑडिटर नियुक्त किया जाएगा। इसके साथ ही डाटा संरक्षण बोर्ड गैर अनुपालन के लिए वित्तीय दंड लगा सकता है। डाटा उल्लंघनों को रोकने के लिए उचित सुरक्षा उपाय करने में संस्थाओं की विफलता के परिणामस्वरूप 2.5  बिलियन रुपये (30.6 डालर) तक का जुर्माना हो सकता है।

सुरक्षित रहेगा आपका डाटा

कंपनियों को यूजर डाटा को सेव रखने की प्रक्रिया को रोकने की जरूरत होगी, अगर वे उस व्यावसायिक उद्देश्य को पूरा नहीं करते हैं, जिसके लिए इसे एकत्र किया गया था। इसके साथ ही यूजर्स को अपने व्यक्तिगत डाटा में सुधार करने और मिटाने का अधिकार होगा। किसी भी व्यक्तिगत डाटा को संसाधित करने से पहले माता-पिता की सहमति की जरूरत होगी। कानून ऑनलाइन एकत्र किये गये व्यक्तिगत डाटा और ऑफलाइन डाटा को डिजिटाइज करेगा। वहीं अगर किसी डाटा में भारतीय यूजर्स की प्राफाइलिंग या उन्हें सेवाएं बेचना शामिल है तो यह नियम विदेशों में व्यक्तिगत डाटा की प्रोसेसिंग पर भी लागू होगा।