दुनिया पर अमिट छाप छोड़ने वाले बिहार के पिछड़ने पर हो मंथन!

चरण सिंह  

बिहार दिवस पर प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति समेत तमाम नेताओं ने बधाई दी। कितने लोगों ने बिहार की गौरव गाथा के बारे में बताया। इसमें भी दो राय नहीं कि बिहार ने एक से बढ़कर एक इतिहास रचा है। एक से बढ़कर एक प्रतिभा बिहार में पैदा हुई है। चाहे राजतन्त्र की बात हो, लोकतंत्र ही बात हो, शिक्षा का क्षेत्र हो या राजनीति का। हर क्षेत्र में बिहार अग्रणी भूमिका निभाता है।

पहला गणतंत्र, पहली यूनिवर्सिटी, पहला राजनीतिज्ञ, महान सम्राट, दो धर्म। बिहार दिवस पर प्रश्न उठता है कि इतनी महान उपलब्धि के साथ ही शांति और क्रांति दोनों का संदेश देने वाला बिहार आखिर पिछड़ा हुआ क्यों है ? बिहार का विकास कैसे हो ? बिहार के बीमार होने में कौन कौन लोग जिम्मेदार हैं ? तमाम उपलब्धियों के बावजूद बिहार को बीमार प्रदेश क्यों कहा जाता है ? क्यों बिहार के लोग पलायन करने को मजबूर हैं ? बिहार में रोजगार के संसाधनों का अभाव क्यों है ? आखिरकार कौन करेगा बिहार का विकास ? बिहार दिवस पर सरकारी जश्न मनाने के बजाय मंथन इस बात का होना चाहिए था कि आखिर बिहार आगे कैसे बढ़े ?

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार किस तरह से हरकत कर रहे हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि बिहार के विकास के लिए लोग गंभीर क्यों हैं ? जिस तरह से बिहार दिवस पर बिहार की चिंता को दरकिनार कर आरजेडी नीतीश कुमार का विरोध राजनीतिक एजेंडा लागू कर रहा है। किस तरह से बिहार में हर राजनीतिक दल सत्ता के पीछे भाग रहा है। राजनीतिक दलों को इस बात की चिंता नहीं है कि बिहार कैसे आगे बढ़े। उनको को तो किसी भी  तरह से सत्ता हासिल करनी है। लगभग सभी दलों के मुद्दे सत्ता प्राप्त करने के हैं न कि बिहार को आगे बढ़ाने के।

देखने की बात यह है कि जिस बिहार की धरती पर ज्ञान अर्जित कर सिद्धार्थ महात्मा बुद्ध बने। जिस धरती पर मोहन दास कर्मचंद गांधी महात्मा गांधी बने। जिस धरती को राजनीति की जननी कहा जाता है। जिस धरती से हर बदलाव की आवाज उठी। वह बिहार आखिर पिछड़ कैसे रहा है। कैसे बिहार में रोजगार नहीं मिल रहे हैं ?

यह सब तब है जब बिहार ने हर क्षेत्र में डंका बजाया है। आज गणतंत्र की बात की जाती है पर देखने की बात यह है कि दुनिया का सबसे पहला गणतंत्र बिहार में ही बना। धर्म की बात की जा रही है और दुनिया के दो धर्म जैन और बौद्ध बिहार से ही निकले। शिक्षा में भी बिहार का नाम दुनिया में रहा है। दुनिया की सबसे पुरानी यूनिवर्सिटी नालंदा यूनिवर्सिटी बिहार में ही स्थापित हुई थी।
भले ही आज पूरी दुनिया राजनीति और कूटनीति पर टिकी हो पर दुनिया को राजनीति व कूटनीति का पाठ पढ़ाने वाले चाणक्य बिहार में ही पैदा हुए थे। राम मंदिर दुनिया में विशेष जगह बना चुका है। राम को देश का सबसे बड़ा नायक माना जाता है। भगवान से तुलना की जाती है। बिहार के लिए यह अपने आप में गर्व के विषय है कि रामायण लिखने वाले वाल्मीकि भी बिहार में ही पैदा हुए।
दुनिया को सर्जरी का ज्ञान भी बिहार से ही मिला। सर्जरी के जन्मदाता सुश्रुत भी बिहार से ही थे। यह भी अपने आप में दिलचस्प है कि दुनिया में काम के महान ग्रंथ के तौर पर स्थापित ‘कामसूत्र’ के रचयिता वात्स्यायन भी बिहार के ही रहने वाले थे। पूरी दुनिया गणित पर तिकी है और दुनिया को गणित का ज्ञान देने वाले आर्यभट्ट भी बिहार के ही रहने वाले थे। भारतीय करेंसी पर जो चक्र और लाट बने होते हैं वह सम्राट अशोक ने बनवाई और सम्राट अशोक बिहार में पैदा हुए। अशोक को भारतीय इतिहास के महानतम शासक ,माना जाता है। सवा लाख से एक लड़ाऊं , चिड़ियन तो मैं बाज उड़ाऊँ, तब गुरु गोविन्द सिंह नाम कहलाऊँ। दोहा चरितार्थ करने वाले  सिख धर्म के आखिरी गुरु गुरु गोविंद सिंह जी का जन्म भी बिहार में ही हुआ। दरअसल पटना साहिब सिखों का एक पवित्र धर्मस्थल माना जाता है।
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