चरण सिंह
लोकसभा चुनाव में भाजपा को भले ही अपने दम पर बहुमत न मिला हो पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की तानाशाही में कोई कमी नहीं हुई है। चाहे घटक दलों को मंत्रालय देने की बात हो विपक्ष को लोकसभा उपाध्यक्ष देने की बात हो या फिर अपने सांसदों को मंत्रालय देने की बात हो हर मामले में इन दोनों नेताओं ने जो चाहा वही किया। यह मोदी और अमित शाह की ताकत रही कि मध्य प्रदेश में शिवराज चौहान, राजस्थान में वसुंधरा राजे, छत्तीसगढ़ में रमन सिंह को मुख्यमंत्री नहीं बनने दिया गया। स्थिति यह है कि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के अलावा दूसरे भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री बिना केंद्र की सहमति के कोई निर्णय नहीं ले सकते हैं। ऐसे में योगी आदित्यनाथ इन दोनों नेताओं के दबाव में नहीं आ रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ को घेरने के लिए दोनों उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक पूरी तरह से लगे हैं। कई विधायक योगी आदित्यनाथ के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं। योगी आदित्यनाथ पर इस्तीफा देने के लिए दबाव बनाने के लिए प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी से हार की जिम्मेदारी लिवाते हुए इस्तीफा लेने की तैयारी है। इन सबके बावजूद योगी आदित्यनाथ इनके घेरे में नहीं आ रहे हैं। उल्टे योगी आदित्यनाथ ने १० सीटों पर उप चुनाव के लिए लगाये ३० मंत्रियों की सूची में केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक का नाम नहीं रखा है। मतलब इन चुनाव में दोनों उप मुख्यमंत्रियों की कोई भूमिका नहीं रहेगी। उप चुनाव योगी आदित्यनाथ अपने दम पर उप चुनाव लड़ेंगे। योगी की घेराबंदी करने के लिए बड़ा दांव चला गया है। यदि उप चुनाव में बीजेपी हार जाती है तो योगी की कुर्सी को खतरा हो जाएगा। हालांकि योगी आदित्यनाथ का काम करने का जो तरीका है उसके आधार पर कहा जा सकता है कि योगी उप चुनाव में बड़ी उपलब्धि हासिल कर सकते हैं। उप चुनाव जीतते ही योगी आदित्यनाथ अमित शाह को खुलकर ललकारते दिखाई देंगे। यदि योगी की विरोधी लॉबी उप चुनाव हरवाती है तब भी योगी आदित्यनाथ हार की समीक्षा कराकर इस लॉबी को बेनकाब करने का काम कर सकते हैं। हां यदि विरोधी लॉबी भितरघात नहीं करती है और बीजेपी उप चुनाव हार जाती है तो ऐसी स्थिति में योगी आदित्यनाथ के लिए दिक्कतें खड़ी हो सकती हैं।
दरअसल भारतीय जनता पार्टी में लोकतंत्र होने के बड़े बड़े दावे किये जा रहे हैं पर जब से पार्टी की बागडोर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के हाथों में आई है तब से पूरी पार्टी इन दोनों नेताओं पर केंद्रित होकर रह गई है। २०१४ में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भाजपा में किसी और नेताओं का कोई वजूद दिखाई नहीं दिया। जो इन दोनों नेताओं ने जो चाहा वह देश में हुआ। मतलब बीजेपी में कोई नेता इन दोनों नेताओं की बात काट न सका। अब योगी आदित्यनाथ खुलकर इन नेताओं से मोर्चा ले रहे हैं।