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अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा करने के लिए शिक्षा स्तर बढ़ाने की जरूरत : कुलपति

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समस्तीपुर पूसा डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के विद्यापति सभागार में शिक्षा परिषद 2024 की बैठक का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ कुलपति एवं अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित कर किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति डॉ पुन्यव्रत सुविमलेंदु पांडेय ने कहा कि केंद्रीय कृषि विश्वविधालय अंतरराष्ट्रीय शिक्षा मानकों को एक एक कर पूरा कर रहा है और एक अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय बनने की ओर अग्रसर है। इस बैठक में अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा करने के लिए शिक्षा के स्तर बढ़ाने और अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की गई । बैठक के दौरान एक व्यापक रोडमैप तैयार करने पर भी चर्चा की गई जिसमें अगले सौ दिनों का रोड मैप, अगले एक वर्ष का एक रोड मैप और अगले पांच वर्षों का रोड मैप तैयार करने पर भी विचार किया गया । नई शैक्षणिक नीति के कार्यावन्यन एवं नए पाठ्यक्रम तथा अन्य शैक्षणिक क्षेत्रों का विस्तार को लेकर भी निर्णय लिया गया।

 


इस बैठक में प्राकृतिक खेती के सिद्धांतों और प्रयोग को कृषि छात्रों के पाठ्यक्रम में समाहित करने पर भी चर्चा की गई। हाल ही में विश्वविद्यालय ने देश में पहली बार प्राकृतिक खेती में बी एस सी के पाठ्यक्रम का शुरुआत की है।
कुलपति डॉ पांडेय ने कहा कि अब विश्वविद्यालय के कृषि छात्र गाँवों में जायेंगे और किसान के साथ मिलकर उनकी समस्या पर अनुसंधान करेंगे। इसे पाठ्यक्रम के हिस्सा बनाया जायेगा।
इसके अतिरिक्त, जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए कृषि और संबंधित कोर्स के पाठ्यक्रम को पूरी तरह से पुनर्निर्देशित किया जाएगा जिससे कि आने वाले समय में जलवायु परिवर्तन के असर से निपटने के लिए देश पहले से तैयार हो सके।

कुलपति डॉ पुन्यव्रत सुविमालेंदु पांडेय ने कहा कि विश्वविद्यालय के छात्रों ने देश और दुनिया में अपना नाम किया है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के छात्र वर्ल्ड बैंक सहित दुनिया भर के बीस से अधिक देश में कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के शिक्षा के स्तर की पहचान छात्रों से होती है। विश्वविद्यालय के 136 छात्रों ने नेट जेआरएफ परीक्षा में सफल हुए हैं, दस से अधिक छात्र को विदेशी विश्वविद्यालयों से फेलोशिप मिला है और छात्रों का लगभग सौ प्रतिशत प्लेसमेंट हुआ है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय देश को 2047 तक विकसित बनाने में अपना योगदान देने को तत्पर है और उसी अनुरूप अपना लक्ष्य निर्धारित कर रहा है।
विश्वविद्यालय के कुलसचिव डा मृत्युंजय कुमार ने कहा कि विश्वविद्यालय में शार्ट टर्म के साथ साथ अगले पच्चीस वर्ष का भी लक्ष्य तय किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले डेढ़ वर्ष में विश्वविद्यालय ने तीव्र गति से प्रगति की है।
निदेशक शिक्षा डा उमाकांत बेहरा ने कहा कि छात्रों के लिए परंपरागत शिक्षा के अतिरिक्त नेट जेआरएफ की परीक्षा, बीपीएससी और यूपीएससी की परीक्षा के लिए भी तैयार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष से ही इसके लिए विशेष प्रयास शुरू किए गए हैं। छात्रों के लिए पुस्तक और विशेषज्ञों की भी व्यवस्था की गई है। पुस्तकालय के अतिरिक्त प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए अलग से सभी सुविधायुक्त हॉल और कमरे तैयार किये गये है। कार्यक्रम के दौरान, एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग कॉलेज, तिरहुत कृषि महाविद्यालय, मत्स्यकी महाविद्यालय, वानिकी महाविद्यालय, सामुदायिक विग्यान महाविद्यालय, आधारभूत एवं मानविकी महाविद्यालय समेत सभी महाविद्यालय के अधिष्ठाता ने अपने विचार व्यक्त किए और आने वाले वर्षों में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने को लेकर अपने विचार प्रकट किए।
कार्यक्रम के दौरान सभी अधिष्ठाता डा अंबरीश कुमार, डा उषा सिंह, डा कृष्ण कुमार, निदेशक प्रसार शिक्षा, डॉ एम एस कुंडू, डॉ मयंक कुमार, डॉ पीपी श्रीवास्तव, डॉ पीपी सिंह, डॉ अमरेश चंद्रा, एकेडमिक इंचार्ज, विश्वविद्यालय पुस्तकालय अध्यक्ष डॉ राकेश मणि शर्मा सूचना पदाधिकारी डॉ कुमार राज्यवर्धन समेत विभिन्न वैज्ञानिक शिक्षक एवं पदाधिकारी उपस्थित थे।