कालचक्र के अनुसार मोटे अनाजों की खेती करने की जरूरत : कुलपति

 समस्तीपुर पूसा डा राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविधालय स्थित संचार केंद्र के पंचतंत्र सभागार फसल उत्पादन, मूल्य संवर्धन, मूल्य श्रृंखला एवं विपणन, किसान उत्पादक संगठनों की संरचना सहित बीज उत्पादन विषय पर श्री अन्न हितधारकों के लिए ग्यारह तीन दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का कुलपति डा पीएस पांडेय सहित आगत अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर शुभारंभ किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वैज्ञानिक सह परियोजना निदेशक डा स्वेता मिश्रा ने श्री अन्न प्रशिक्षण से संबंधित थीम को प्रस्तुत करते हुए कहा कि इस परियोजना की शुरुआत बिहार सरकार के सौजन्य से चौथे कृषि रोड मैप में किया गया है। इस परियोजना के अंतर्गत छह प्रकार के मिलेट्स पर कार्य करने का निर्णय लिया गया है। जिससे श्री अन्न के उत्पादन को बढ़ावा देते हुए गुणवतापूर्ण बीज का भी निर्माण करना संभव हो सके। प्रशिक्षण के उद्घाटन सत्र में किसानों को संबोधित करते हुए बतौर मुख्य अतिथि कुलपति डा पुण्यव्रत सुविमलेंदु पांडेय ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के दौर में किसानों को वैज्ञानिकी विधि से समय चक्र के अनुसार मोटे अनाजों की खेती करने की जरूरत है। जो बिहार राज्य से कुपोषण मिटाने के लिए आज के समय की मांग भी है। शुद्धता की भारी कमी हो गई है। बीमारियों से भरे समाज में लोग जिंदगी जीने को मजबूर है। सम्पूर्ण वातावरण दूषित हो गया है। अब इस तरह के अप्रत्याशित ढंग से दूषित वातावरण को शुद्ध करने में आप सभी प्रशिक्षणार्थियों की महती भूमिका है। धान गेहूं के अलावे पोषक तत्व से भरपूर अनाजों का उत्पादन करने की जरूरत है। आज भी ऊंचे तबके के परिवार में श्री अन्न का भरपूर उपयोग किया जा रहा है। मोटे अनाजों को खेती पर भारत में बृहत पैमाने पर अनुसंधान कार्य किया जा रहा है। लोगों को मोटे अनाजों के प्रति धैर्यपूर्वक संयमित रखने की जरूरत है। मोटे अनाजों की एक भी व्यंजन प्रत्येक थाली में परोसे जाने की संकल्प लेने की आवश्यकता है। मोटे अनाजों के उत्पादन में स्वाद लाने के लिए अपने व्यवसाय पर भरोसा रखने की भी इच्छाशक्ति होना जरूरी है। प्रतिभागियों में कुछ ही नही वरन बहुत कुछ करने की जज़्बा होने की जरूरत है। प्रशिक्षण सत्र में रुचि पैदा करने का प्रयास किया जा रहा है। श्री अन्न की खेती वैज्ञानिकी ढंग से करने की जरूरत है। प्रदेश में लाखों कमाने वाले व्यक्तियों ने कृषि कार्य से जुड़कर अपने गांव में ही रह गए जो आज बेहतर कर रहे हैं। मोटे अनाज की खेती में आंगनबाड़ी एवं जीविका से जुड़े महिला सदस्यों को जोड़ने की जरूरत है। किसानों के समूह बनाकर मोटे अनाजों की खेती कर इसके उत्पादों का निर्माण कर वैल्यू एड कर बेहतर पैकेजिंग के आधार पर बाजार मिलने की प्रबल संभावना होती है। गुणवत्ता को मेंटेन रखने की जरूरत है। साख में किसी भी कीमत पर समझौता करने की जरूरत नहीं है। उन्नतशील बीज विश्वविद्यालय के माध्यम से उपलब्ध कराया जाएगा। एफपीओ का निर्माण कर मोटे अनाज की खेती करें । कृषि में व्यवसाय को समाहित करने की जरूरत है। आज के नई पीढ़ी में युवा युवतियों का खेती में अहम योगदान है। निदेशक अनुसंधान डॉ अनिल कुमार सिंह ने कहा मोटे अनाज देश के लोगों की थाली से विलुप्त होता चला गया है। आवश्यकतानुसार नए-नए प्रभेदों का विकास होता गया। आने वाले समय में अस्पताल की संख्या बढ़ रही है उसमें मरीजों की संख्या भी उसी अनुपात में बढ़ रही है। कुलपति के अगुवाई में श्री अन्न पर कार्य करने के लिए विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने कमर कस ली है। विश्वविद्यालय स्तर पर 18 श्री अन्न का प्रभेद विकसित किया गया है। खेत से ताली तक एक कार्यक्रम चलाने का प्रयास किया जा रहा है। जिसमें मोटे अनाजों के उत्पादन के लिए जागरूकता फैलाने का भी कार्यक्रम शामिल है। श्री अन्न के मूल्य संवर्धन कर बेहतर आमदनी ले सकते हैं। समूह बनाकर श्री अन्न की खेती एवं व्यवसाय करने की जरूरत है। डीन पीजीसीए डा मयंक राय ने कहा कि समाज में श्री अन्न को भुलाया नही गया है। इतना जरूर है कि श्री अन्न की खेती किसान बिल्कुल ही छोर चुके है। चुके उस समय लोगों को पेट भरने की आवश्यकता थी। अब पोषणयुक्त भोजन की बात है। निदेशक प्रसार शिक्षा डॉक्टर एमएस कुंडू ने कहा मिलेट्स का उत्पादन कर मूल्य संवर्धन करने की जरूरत है। किसानों को समय के अनुसार परिवर्तनशील होना चाहिए। आने वाले समय में मिलेट्स से बेहतर लाभ मिलने की संभावना है। जल जीवन हरियाली मिशन के अनुसार बेहतर जीवन जीने का संदेश दिया जा रहा है। बिहार में फिलवक्त गेहूं पकता नहीं बल्कि सूखता है। यह जलवायु परिवर्तन का प्रमुख दोष है। संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रसार शिक्षा उपनिदेशक प्रशिक्षण डॉ जितेंद्र कुमार ने की। मौके पर सूचना पदाधिकारी डॉ कुमार राजवर्धन, डॉक्टर राजीव कुमार श्रीवास्तव, डॉ कौशल किशोर, डॉ गीतांजलि चौधरी, डा हेमलता सिंह, डॉ ऋतंभरा सिंह, पुरुषोत्तम पांडेय, दीपक कुमार आदि मौजूद थे।

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