लैंगिक समानता से भारत के जीडीपी में 64 लाख करोड़ की वृद्धि संभव
सुभास चंद्र कुमार
समस्तीपुर पूसा। राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान (मैनेज), हैदराबाद (कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार) के सहयोग से डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, बिहार द्वारा 3 दिवसीय राष्ट्रीय स्तरीय प्रशिक्षण (वर्चुअल मोड) कार्यक्रम का आयोजन/शुभारम्भ ‘‘कृषि को लैंगिक मुख्य धारा से जोड़े” (10-12 जून, 2024) विषय पर किया गया।
कार्यक्रम का शुभारम्भ करते हुए कृषि स्नातकोत्तर महाविद्यालय के अधिष्ठाता, डा. मयंक राय ने कहा कि समय आ चुका है, महिलाओं को कृषि की मुख्य धारा से जोड़ने की जरूरत है। उन्होंने कहा कृषि विकास के लिए ‘3 डब्ल्यू’ महिला, जल और खरपतवार का संतुलन आवश्यक है।
मैकिन्से ग्लोबल इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट को उद्धारित करते हुए उन्होंने कहा कि महिलाओं को समान अवसर प्रदान करके भारत 2025 तक अपने सकल घरेलू उत्पाद में 64 लाख करोड़ जोड़ सकता है। इस तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के जेंडर अध्ययन, मैनेज, हैदराबाद के उप निदेशक डॉ. वीनीता कुमारी ने लिंग संबंधी अवधारणाएं और रुढ़ियों को तोड़ने पर बल दिया।
डॉ. लिपि दास प्रधान वैज्ञानिक एवं नोडल, अखिल भारतीय समन्वयक अनुसंधान परियोजना-कृषि में महिलाएं, नोडल ऑफिसर आईसीएआर-शिवा, भुवनेश्वर ने कृषि में नवाचार पर प्रकाश डाला। डॉ. रत्नेश कुमार झा, प्रमुख अन्वेषक, जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम ने लैंगिक मुख्यधारा में जलवायु स्मार्ट कृषि उद्यमों की भूमिका पर विस्तार से चर्चा की।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में 23 राज्य, 95 विभिन्न संस्थानों के 190 प्रशिक्षणार्थी ने भाग लिए। कार्यक्रम का संचालन करते हुए डा. सुधानन्द प्रसाद लाल (काडिनेटर) ने कहा कि जनसंख्या में 48% हिस्सेदारी के बावजूद सकल घरेलू उत्पाद में महिलाओं का योगदान भारत में केवल 18% है, धन्यवाद ज्ञापन डा. सत्य प्रकाश (को-काडिनेटर) ने किया।