
सीजफायर की जानकारी देश को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मिली। ट्रंप सीजफायर की घोषणा करते हुए यह भी कहा कि उन्होंने व्यापार रोकने की चेतावनी देकर सीजफायर कराया। उसके बाद ट्रंप लगातार सीजफायर का श्रेय ले रहे हैं। विदेश मंत्री एस. जयशंकर लगातार कह रहे हैं कि सीजफायर पाकिस्तान और भारत दोनों देशों की सहमति से हुआ है। न कि किसी तीसरे देश की मध्यस्थता से। अब फिर जब अमेरिका ने पाकिस्तान के परमाणु बम छोड़ देने की बात करते हुए सीजफायर कराने की बात की तो फिर से एस जयशंकर अमेरिकी दावों का खंडन करते हुए कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच हाल का संघर्ष विराम (सीजफायर) दोनों देशों की सीधी बातचीत का नतीजा था, न कि किसी तीसरे पक्ष, जैसे अमेरिका, की मध्यस्थता का।
उन्होंने डच प्रसारक एनओएस को दिए साक्षात्कार में स्पष्ट किया कि पाकिस्तान ने 10 मई को हॉटलाइन के जरिए गोलीबारी बंद करने की इच्छा जताई, जिसके जवाब में भारत ने सहमति दी। जयशंकर ने जोर देकर कहा कि भारत आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख रखता है और पाकिस्तान को आतंकवाद पर रोक लगानी होगी।
ऐसे में प्रश्न उठता है कि यदि एस जयशंकर की बात सही मान भी ली जाए तो फिर इतनी आसानी से सीजफायर क्यों कर लिया गया ? क्या पहलगाम हमले के आतंकी गिरफ्तार कर लिए गए हैं ? क्या पीओके पर कब्ज़ा कर लिया गया है ? क्या बलूचिस्तान को अलग देश बना दिया गया है ?क्या पाकिस्तान स्थित सभी आतंकी शिविर तबाह कर दिए गए हैं ? तो फिर सीजफायर किस बात का ?
यदि अमेरिका ने सीज फायर नहीं कराया तो फिर पाकिस्तान या भारत में से किसी देश सीजफायर की घोषणा क्यों नहीं की ? या किसी देश ने मध्यस्थता नहीं की तो डोनाल्ड ट्रंप को सीजफायर का पता कैसे चला। कैसे उन्होंने सीजफायर की घोषणा की ? कैसे प्रधानमंत्री मोदी उनकी बयानबाजी पर चुप हैं ?