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पाकिस्तान पर दुनिया मेहरबान, भारत का दोस्त भी दे रहा पाक का साथ!

फेल ही पीएम मोदी की डिप्लोमेसी, अमेरिका भी बना रहा दबाव

 

नई दिल्ली। भारत-पाकिस्तान संबंधों और कुछ देशों द्वारा पाकिस्तान को दी जा रही आर्थिक सहायता से संबंधित है, जिसे कुछ लोग भारत के हितों के खिलाफ़ “दगाबाजी” के रूप में देख रहे हैं।

पाकिस्तान को आर्थिक सहायतहाल ही में, कुछ X पोस्ट्स में दावा किया गया है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान को 1 अरब डॉलर का ऋण मंजूर किया है, जिसका भारत ने विरोध किया था। इसके अलावा, रूस द्वारा पाकिस्तान के साथ 2.6 बिलियन डॉलर की डील और एशियाई विकास बैंक (ADB) द्वारा 6,800 करोड़ रुपये की सहायता की बात भी सामने आई है।

ये सहायता तब दी जा रही है, जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है, खासकर पहलगाम आतंकी हमले और भारत के “ऑपरेशन सिंदूर” के बाद, जिसमें भारत ने पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों पर हवाई हमले किए। पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है, और वह कर्ज के बोझ तले दबा हुआ है। ऐसे में, अंतरराष्ट्रीय संगठनों और कुछ देशों से मिल रही आर्थिक मदद को भारत के कुछ लोग “दगाबाजी” के रूप में देख रहे हैं, क्योंकि ये देश भारत के मित्र माने जाते हैं।

 

भारत के मित्र देशों का रुख

 

रूस को भारत का लंबे समय से सहयोगी माना जाता है, लेकिन हाल की X पोस्ट्स में दावा किया गया है कि रूस ने पाकिस्तान के साथ 26,000 करोड़ रुपये की डील की है। यह भारत की विदेश नीति के लिए एक चुनौती के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि रूस भारत का रणनीतिक साझेदार रहा है। हालांकि, यह डील सैन्य या आर्थिक हो सकती है, और इसके पीछे रूस के अपने भू-राजनीतिक हित हो सकते हैं।

चीन: चीन को पाकिस्तान का सबसे करीबी सहयोगी माना जाता है, और उसने हाल के वर्षों में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के तहत भारी निवेश किया है। पहलगाम हमले के बाद संयुक्त राष्ट्र की बैठक में भी चीन ने स्पष्ट रूप से पाकिस्तान का समर्थन नहीं किया, जो भारत के लिए एक कूटनीतिक जीत थी।

अमेरिका: एक X पोस्ट में दावा किया गया कि अमेरिका ने पाकिस्तान को 101 मिलियन डॉलर की सहायता दी, जिसे आतंकवाद से लड़ने के लिए बताया गया है, लेकिन कुछ इसे भारत के खिलाफ गतिविधियों के लिए इस्तेमाल होने की आशंका जता रहे हैं।

 

भारत की स्थिति

 

भारत ने हाल के तनावों के बीच कड़े कदम उठाए हैं, जैसे सिंधु जल संधि को निलंबित करना, पाकिस्तानी नागरिकों को भारत छोड़ने का अल्टीमेटम देना, और पाकिस्तानी जहाजों पर भारतीय बंदरगाहों में प्रतिबंध लगाना।

भारत की रणनीति ने पाकिस्तान पर आर्थिक और सैन्य दबाव बढ़ाया है। उदाहरण के लिए, पाकिस्तान को सीमा पर हाई अलर्ट बनाए रखने के लिए रोजाना 4 अरब रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं, जो उसकी कमजोर अर्थव्यवस्था के लिए भारी बोझ है। इसके बावजूद, कुछ X पोस्ट्स में भारत की विदेश नीति पर सवाल उठाए गए हैं, यह दावा करते हुए कि भारत “आतंक समर्थक” देश को रोकने में असमर्थ रहा है।

 

“दगाबाजी” का दृष्टिकोण:

 

“दगाबाजी” शब्द का इस्तेमाल संभवतः उन देशों के लिए किया जा रहा है, जो भारत के मित्र होने के बावजूद पाकिस्तान को आर्थिक या रणनीतिक समर्थन दे रहे हैं। यह भावना भारत में कुछ लोगों के बीच मौजूद है, क्योंकि वे मानते हैं कि ये देश भारत के हितों को नजरअंदाज कर रहे हैं।
हालांकि, भू-राजनीति में देश अपने हितों को प्राथमिकता देते हैं। रूस, अमेरिका, या अन्य देशों की पाकिस्तान के साथ डील उनके व्यापारिक, सामरिक, या क्षेत्रीय हितों का हिस्सा हो सकती है, न कि भारत के खिलाफ कोई साजिश।

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