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पांच लोगों की टीम ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में कुछ नया काम करने का लक्ष्य रखा

अंतरिक्ष के क्षेत्र में कुछ नया काम करने का
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चेन्नई, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान , मद्रास के पांच शोधकर्ताओं की टीम ने एक स्टार्टअप ‘गैलेक्सीआई’ बनाया है जिसका मकसद अपने अर्थ ऑब्जर्वेशनल सैटेलाइट़्स के जरिए इमेजिंग सेवाओं में क्रांतिकारी परिवर्तन करना है। अपने लक्ष्य को हासिल करने की इनकी कार्यप्रणाली 15 उपग्रहों के समूह का डिजाईन, विकास और इन्हें अंतरिक्ष में प्रक्षेपित करना है। इनमें से प्रत्येक उपग्रह का वजन 150 किलोग्राम है।

इस स्पेसटेक स्टार्टअप का विचार आईआईएम क्यूबेशन सेंटर में आया था और इन्होंने मिलकर गैलेक्सीआई स्पेस साल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड को बनाया। इन पांचों शोधकर्ताओं में सुयश सिंह, सह संस्थापक और सीईओ, डेनियल चावड़ा, सह संस्थापक और सीटीओ, रक्षित भट्ट, उपाध्यक्ष, कंप्यूटिंग, किशन ठक्कर, उपाध्यक्ष, उत्पाद विकास और प्रणित मेहता, उपाध्यक्ष , कोरोबार विकास शामिल है।

चावड़ा ने आईएएनएस को बताया हमें अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में काफी दिलचस्पी थी और हम एक टीम के तौर पर 2020 में मिले तथा मई 2021 में इस कं पनी को बनाया था।

मेहता ने बताया इसके प्रमोटर्स को टीम अविष्कार हाइपरलूप से लिया गया है जो आईआईटी मद्रास के छात्रों का एक समूह है और हाइपरलूप विकसित करने की तकनीकों पर काम कर रहे हैं।

चावड़ा के मुताबिक गैलेक्सीआई उपग्रहों को डिजाइन करेगी और इसके घटकों को जुटाएगी तथा अंतरिक्षयान के निर्माण को आउट्सोर्स कराएगी। अभी हम डिजाइन चरण के मध्य में हैं और हम पेलोड के हिस्सों पर काम करेंगे तथा नए प्रकार के सेंसरों को विकसित करेंगे। इस तरह का पहला उपग्रह वर्ष 2023 की तीसरी तिमाही में तैयार होगा और हमारे सभी उपग्रहों का समूह अगले पांच वर्षो में तैयार हो जाएगा।

उन्होंने बताया कि इसके पेलोड के हिस्सों को तैयार करने के हिस्से के रूप में गैलेक्सीआई मार्च 2022 में एक वायुजनित परीक्षण करेगी।

मेहता ने बतायाअपनी तकनीक को अवधारणा के प्रमाण के साथ मान्य करने के बाद हम इस समय अपने उत्पाद को एक प्रोटोटाइप के साथ सार्थक बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं और ऐसा करने से हमारे भीतर आत्मविश्वास पैदा होगा तथा इससे कोई तकनीकी चूक का जोखिम भी कम रहेगा।

चावड़ा ने बताया कोर डाटा सेट के अलावा हम अपने उपभोक्ताओं को अनुपूरक आंकडे भी उपलब्ध कराएंगे और हम उन्हें बेहतरीन तस्वीरें देना चाहते हैं ताकि अंतरिक्ष के क्षेत्र से जुड़ी हर चीज स्पष्ट हो।

कंपनी इसके लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) तथा रक्षा शोध एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के साथ संपर्क में है।

मेहता के मुताबिक इस समय पृथ्वी निगरानी आधरित उपग्रहों की तस्वीरों(अर्थ ऑब्जर्वेशनल सैटेलाइट्स इमेज) का वैश्विक कारोबार साढ़े तीन से चार अरब डालर का है और अगले दस वर्षों में इसके लगभग साढ़े सात अरब डालर होने का अनुमान है।

इस समय कंपनी के कर्मचारियों की संख्या 25 है और इनकी संख्या में बढ़ोत्तरी के अलावा और तकनीकी विशेषज्ञता हासिल करने की दिशा में प्रयासरत है ताकि अंतरिक्ष में अपने उपग्रहों को भेजने के सपने को साकार किया जा सके।