2025 में बदलेगा बिहार का निजाम!

0
8
Spread the love

 नीतीश कुमार की चुप्पी और बीजेपी से बढ़ती दूरी ने दिया फाइनल संकेत

दीपक कुमार तिवारी

पटना/नई दिल्ली। बिहार की राजनीति में भूचाल के संकेत मिल रहे हैं। इसके केंद्र में हैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार। नीतीश कुमार को लेकर एनडीए में जितनी बेचैनी है, उससे कम ‘इंडिया’ में नहीं। चर्चा है कि आरजेडी को नीतीश कुमार के इंडिया ब्लॉक में लौट आने के आसार नजर आ रहे हैं तो भाजपा बिना किसी शोरगुल के उन्हें निपटाने की तैयारी में है। इन सबके बीच नीतीश कुमार खामोश हैं। उनकी खामोशी से ही अटकलों को आधार मिल रहा है।
बिहार की राजनीति में नीतीश की चुप्पी और नए साल की शुरुआत का संयोग ही अटकलों का आधार है। जानकार मान रहे हैं कि जब-जब नीतीश खामोश होते हैं, बिहार में सियासी उलट-फेर होता है। चाहे एनडीए छोड़ कर इंडिया ब्लॉक में जाना हो या इंडिया ब्लॉक से एनडीए में लौटना, यह उनकी कुछ दिनों की चुप्पी के बाद ही होता है। दूसरा कि बिहार में मकर संक्रांति के बाद ही पिछली बार बिहार में सत्ता का खेमा बदला था। नीतीश कुमार अपने ही तैयार किए इंडिया ब्लॉक को छोड़ कर एनडीए में शामिल हो गए थे। इस बार भी वे चुप हैं। महीना भर से अधिक हो गया, वे मीडिया के सामने नहीं आए। सामान्य स्थिति में वे मीडिया के लोगों से खूब बातें करते हैं।
कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार भाजपा से नाराज हैं। उनकी नाराजगी के कई कारण बताए जाते हैं। पहला यह कि अमित शाह ने अगली बार उन्हें सीएम बनाए जाने के सवाल पर ऐसा बयान दे दिया कि उनका नाराज होना स्वाभाविक है। शाह ने कहा कि संसदीय बोर्ड सीएम का फैसला करेगा। शाह का बयान इसलिए भी नीतीश कुमार को नागवार लग सकता है कि महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे के साथ जो हुआ, उसकी पुनरावृत्ति के आसार बिहार में भी दिख रहे हैं। वैसे नीतीश कुमार की नाराजगी का उनकी चुप्पी के कारण सिर्फ अनुमान भर है।
नीतीश कुमार की नाराजगी को लोग इसलिए भी महसूस कर रहे हैं कि उन्होंने दिल्ली की यात्रा की और भूतपूर्व पीएम मनमोहन सिंह के परिजनों से मिल कर उन्हें सांत्वना दी, लेकिन भाजपा नेताओं से बिना मिले वे एक दिन पहले ही दिल्ली से लौट आए। अमित शाह द्वारा बुलाई एनडीए की बैठक से भी नीतीश ने दूरी बना ली थी। लोग इन्हीं तारों को जोड़ कर उनके भाजपा से नाराज होने का अनुमान लगा रहे हैं।
नीतीश कुमार की नाराजगी का एक और कारण माना जा रहा है। जेडीयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा और केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह भाजपा के अधिक करीब इन दिनों दिख रहे हैं। माना जा रहा है कि नीतीश कुमार की मर्जी के खिलाफ दोनों भाजपा के इशारे पर चल रहे हैं। अगर ऐसा है तो नीतीश कुमार का नाराज होना स्वाभाविक है। उनका मुंह एक बार जल चुका है। आरसीपी सिंह भी जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते राज्यसभा गए थे। नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल में वे मंत्री बने तो भाजपा की भाषा बोलने लगे थे। बाद में नीतीश ने उन्हें जेडीयू से निकाल कर दम लिया था। उसी तरह का खतरा नीतीश के सामने फिर पैदा हो गया है। कहा तो यह भी जा रहा है कि नीतीश ने नाराजगी में अगर एनडीए से अलग होने का फैसला किया तो जेडीयू ही टूट जाएगा।
इंडिया ब्लॉक में आरजेडी को इन्हीं वजहों से छींका टूटने के आसार नजर आ रहे हैं। आरजेडी को उम्मीद है कि नीतीश ने नाराजगी में एनडीए छोड़ा तो इंडिया ब्लॉक में आने के अलावा उनके पास कोई चारा नहीं बचेगा। नीतीश के एनडीए छोड़ कर आरजेडी के साथ आने की बातें उसके विधायक भाई वीरेंद्र कह चुके हैं। वीरेंद्र की बातों पर लोगों को भरोसा इसलिए है कि वे लालू यादव के परिवार के करीबी बताए जाते हैं। तेजस्वी यादव तो तब से खेला होने की बात कह रहे हैं, जब नीतीश महागठबंधन से अलग होकर एनडीए में शामिल हो गए थे।
एनडीए में नीतीश की नाराजगी और नए साल में दही-चूड़ा भोज की तारीख करीब देख कर यह अनुमान लगाना स्वाभाविक है कि वे फिर पाला बदल करेंगे। ऐसा हुआ तो तीन संभावनाएं दिखती हैं। पहली यह कि नीतीश विधानसभा भंग कर चुनाव में जाएं। वे पहले से ही समय से पहले विधानसभा चुनाव कराने की मांग करते रहे हैं। दूसरा कि एनडीए से अलग हों और इंडिया ब्लाक उनकी मर्जी के मुताबिक बाहर या भीतर से उन्हें सरकार बनाने में सहयोग करे। बिहार की सियासी हलचल खरमास खत्म होने तक बरकरार रहेगी। अगर नया कुछ होना होगा तो मकर संक्रांति से दिखाई देने लगेगा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here