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आने लगी फसल की आहट और प्रकृति का उल्लास

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 दीपक कुमार तिवारी 

 धान की खुशबू और सितम्बर का आगमन

सितम्बर की शुरुआत होते ही खेतों में धान की महक हवा में घुलने लगती है। सावन की नदी, जो नैहर आयी थी, अब वापस जाने को तैयार है। ताल का पानी स्थिर हो चुका है, जैसे समय ठहर गया हो। यह समय प्रकृति की मोहकता और शांति का होता है, जहां सूरज की किरणें ताल में खेलती हैं, और जल के ऊपर उठते सिंदूरी बुलबुले दिन की समाप्ति की घोषणा करते हैं।

सांझ का लुभावना दृश्य:

सितम्बर की शामें खास होती हैं। ललछिमहे बादल दिशाओं के सामने इस तरह झुकते हैं जैसे प्यासा कोई अपने होंठों से पानी की अंजुरी छू रहा हो। पोखर में सूर्यास्त के समय का दृश्य एक प्रेमपूर्ण मिलन की तरह प्रतीत होता है, जहां जल और बादल जैसे एक-दूसरे को गले लगा रहे हों।

खेतों की समृद्धि और हरियाली:

बजड़ी, तिल, पटसन, और ऊख के खेतों की हरियाली दिल को सुकून देती है। बँसवारी के पार बड़े तालाब में डूबता सूरज पूरे गाँव को सोने की आभा में रंग देता है। यह दृश्य किसी उत्सव का आभास कराता है, जहां हरियाली और पकते फसलें जैसे किसी आयोजन की तैयारी कर रही हों।

त्योहारों का आरंभ और पकवानों की खुशबू:

रसोई से उठती पकवानों की खुशबू और घृत होम की संझा त्योहारों के आगमन का संकेत देती हैं। मक्के के खेतों में सुनहली होती बालियाँ एक नए उत्सव की आहट सुनाती हैं। यह समय है जब घर और प्रकृति दोनों में उत्सव का माहौल होता है।

खंजन पक्षी का संदेश और प्रकृति का मधुर मिलन:

सितम्बर वह समय है जब बरखा और शरद का संधिकाल होता है। खंजन पक्षी का आगमन प्रेम और मिलन का संदेश लेकर आता है। यह महीना हमें प्रकृति के इस सुंदर मिलन को महसूस करने और इसे अपने हृदय में धारण करने की प्रेरणा देता है।
यह तस्वीर सितम्बर के ग्रामीण परिदृश्य को दर्शाती है, जिसमें धान के हरे-पीले खेत, तालाब में सूर्यास्त का प्रतिबिंब और आकाश में ललछिमहे बादल दिखाई दे रहे हैं। यह दृश्य शांत और मोहक वातावरण को व्यक्त करता है, जिसमें फसलों और त्योहारों की तैयारी की अनुभूति हो रही है।
सितम्बर का यह समय हमें सिखाता है कि मिलन की मधुरता और समृद्धि के क्षणों को पूरी तरह से जीया जाए।