दल-बदलुओं के लिए आसान नहीं जीत की राह, कहां पर किसका है कड़ा इम्तिहान 

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UP Election: 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कुछ दलबदलू उम्मीदवारों की भी प्रतिष्ठा दांव पर है। स्वामी प्रसाद मौर्य पडरौना के बजाय फाजिलनगर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं

द न्यूज 15 
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के मौजूदा विधानसभा चुनाव में विभिन्न पार्टियों के कई दावेदार अपनी संभावनाओं को देखते हुए पाला बदलते हुए दिखाई दिए। दलबदलू उम्मीदवार जिन सीटों से अपनी लोकप्रियता के दम पर चुनाव लड़ रहे हैं, उनके लिए मुकाबला आसान नहीं लग रहा है।
दलबदलू उम्मीदवारों के क्षेत्रों में रहने वाली अधिकतर जनता का मानना है कि इनकी वजह से परिस्थितियां काफी मुश्किल हो गई हैं। लेकिन उन्हें यह भी लगता है कि अगर वह किसी ऐसे व्यक्ति को चुनते हैं जो मंत्री पद का दावेदार हो तो वह अपने क्षेत्र के लिए कुछ अच्छा काम कर सकता है। रायबरेली के हरचंदपुर इलाके के पान विक्रेता कृष्ण पाल सिंह ने कहा कि, “ये दल-बदलू जीते या न जीते लेकिन पब्लिक को कंफ्यूज कर देते हैं।
स्वामी प्रसाद मौर्य, फाजिलनगर विधानसभा सीट: प्रख्यात ओबीसी नेता और बीजेपी सरकार में मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्या ने यूपी चुनाव शुरू होने के कुछ दिन पहले ही सपा की सदस्यता ली। समाजवादी पार्टी ने मौर्य को कुशीनगर की फाजिलनगर विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है, जहां से बीजेपी नेता गंगा सिंह कुशवाहा लगातार दो बार से विधायक बन रहे हैं। कभी मायावती के करीबी रहे मौर्य ने 2017 विधानसभा चुनाव के पहले बीजेपी ज्वाइन की थी।स्वामी प्रसाद मौर्य ने भले ही अपने राजनीतिक जीवन का अधिक समय समाजवादी पार्टी से लड़ने में लगाया लेकिन वर्तमान में मौर्य के चुनाव ऑफिस के बाहर पोस्टर पर अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव की ही तस्वीर दिख रही है। मौर्य नॉन यादव ओबीसी चेहरा है पूर्वांचल में और इसके पहले मौर्य कुशीनगर की पडरौना और रायबरेली की ऊंचाहार सीट से भी विधायक रह चुके हैं। 2022 के चुनाव में उन्होंने फाजिलनगर विधानसभा सीट को चुना जहां पर मुस्लिम और ओबीसी अच्छी संख्या में है। स्वामी प्रसाद मौर्य को सपा छोड़कर बसपा में शामिल हुए इलियास अंसारी और बीजेपी के सुरेंद्र कुशवाहा चुनौती दे रहे हैं।
दारा सिंह चौहान, घोसी विधानसभा सीट: मौर्य की तरह ही दारा सिंह चौहान भी वरिष्ठ ओबीसी नेता है और बीजेपी सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। चौहान पूर्व में बीएसपी में भी थे। 2015 में उन्होंने बीएसपी छोड़कर बीजेपी ज्वाइन की और उन्हें बीजेपी ने यूपी ओबीसी मोर्चा का अध्यक्ष बना दिया। बीजेपी के टिकट पर उन्होंने मऊ जिले की मधुबन विधानसभा सीट से जीत दर्ज की और योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री बन गए। हालांकि 2022 विधानसभा चुनाव के पहले उन्होंने दल बदल कर समाजवादी पार्टी को ज्वाइन कर लिया और घोसी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।
दारा सिंह चौहान को बीजेपी के वर्तमान विधायक विजय राजभर चुनौती दे रहे हैं।
लालजी वर्मा, कटेहरी विधानसभा सीट: 5 बार के विधायक और पूर्व बीएसपी नेता लालजी वर्मा ने अंबेडकर नगर जिले की कटेहरी विधानसभा सीट से बीएसपी के टिकट पर 2017 में जीत दर्ज की थी। लेकिन 2022 के चुनाव में वह समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं।
बीजेपी ने इस सीट को अपने गठबंधन सहयोगी निषाद पार्टी को दिया है, जिसके टिकट पर अवधेश द्विवेदी चुनाव लड़ रहे हैं। द्विवेदी 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के टिकट पर लाल जी वर्मा के खिलाफ लड़े थे, लेकिन हार गए थे। समाजवादी पार्टी बीएसपी सांसद रितेश पांडे के पिता राकेश पांडे का भी उपयोग कर रही है ,जो लाल जी वर्मा के लिए प्रचार कर रहे हैं। जबकि पूर्व बीएसपी नेता राकेश पांडे स्वयं बगल की जलालपुर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।
राम अचल राजभर, अकबरपुर विधानसभा सीट: अकबरपुर से 5 बार के विधायक राम अचल राजभर जो बीएसपी में 4 दशकों तक थे ,इस बार समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। राम अचल राजभर को कड़ी टक्कर देने के लिए बीएसपी ने दलबदलू नेता चंद्र प्रकाश वर्मा को टिकट दिया है, जिन्होंने 2017 के चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था और कुल वोट का 28% वोट हासिल किया था। इस बार निषाद पार्टी के साथ गठबंधन की वजह से बीजेपी ने धर्मराज निषाद को उम्मीदवार बनाया है। बीजेपी उम्मीद कर रही है कि वह ओबीसी वोट बैंक में सेंधमारी करेगी।
अदिति सिंह, रायबरेली सदर सीट: अदिति सिंह रायबरेली सदर से पांच बार के विधायक अखिलेश सिंह की बेटी हैं ,जिन्होंने 2017 में अपनी विरासत अदिति सिंह को सौंपने का फैसला किया। अखिलेश सिंह ने 5 बार इस विधानसभा सीट से जीत हासिल की है। तीन बार कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में, एक बार निर्दलीय और एक बार पीस पार्टी के उम्मीदवार के रूप में उन्होंने जीत हासिल की थी।
2017 के विधानसभा चुनाव में अदिति सिंह ने कांग्रेस के टिकट पर 62% वोट हासिल किया। हालांकि 2022 का विधानसभा चुनाव अदिति सिंह ने बीजेपी के टिकट पर लड़ने का फैसला किया है। उन्हें समाजवादी पार्टी के आरपी त्रिपाठी और कांग्रेस के मनीष सिंह चौहान से कड़ी टक्कर मिल रही है। इस विधानसभा क्षेत्र में त्रिकोणीय लड़ाई दिख रही है।
विनय शंकर तिवारी, चिल्लूपार विधानसभा सीट: विनय शंकर तिवारी जो 2017 में बीएसपी के टिकट पर गोरखपुर जिले की चिल्लूपार विधानसभा सीट से चुनाव जीते थे ,उन्होंने अब समाजवादी पार्टी को ज्वाइन कर लिया है। विनय शंकर तिवारी के पिता हरिशंकर तिवारी 6 बार इसी विधानसभा सीट से विधायक रहे। हरिशंकर तिवारी को गोरक्षनाथ मठ और उसके प्रमुखों से टकराव के कारण भी जाना जाता है। हरिशंकर तिवारी का ब्राह्मण वोटों पर काफी प्रभाव है। हालांकि 2007 और 2012 के चुनाव में हरिशंकर तिवारी को बीएसपी के राजेश त्रिपाठी से हार का सामना करना पड़ा था। 2017 में राजेश त्रिपाठी ने बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन बीएसपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे विनय शंकर तिवारी से हार का सामना करना पड़ा।
2022 के विधानसभा चुनाव में विनय शंकर तिवारी समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे जबकि बीजेपी ने एक बार फिर से राजेश त्रिपाठी को उम्मीदवार बनाया है। वहीं बीएसपी ने राजेंद्र सेही को मैदान में उतारा है। लोकल लोग मानते हैं कि पाला बदलने से विनय शंकर तिवारी के लिए मुश्किल खड़ी हो रही है।

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