पांच सूबों के नतीजों ने बढ़ाईं गांधी परिवार की मुश्किलें, विरोधी अब होंगे ज्यादा मुखर

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सबसे अहम चीज ये है कि पंजाब में कांग्रेस ने केजरीवाल के हाथों सत्ता गंवा दी। माना जा रहा है कि आम आदमी पार्टी अब राष्ट्रीय राजनीति में कांग्रेस का विकल्प बनेगी

द न्यूज 15 

नई दिल्ली । पांच सूबों के चुनावी नतीजों ने कांग्रेस के साथ गांधी परिवार की मुश्किलों में इजाफा कर दिया है। कांग्रेस जहां राष्ट्रीय राजनीति में अलग-थलग पड़ती दिखाई दे रही है वहीं गांधी परिवार के लिए आने वाला समय आसान नहीं होगा। विरोधी गुट अब हर कीमत पर नेतृत्व परिवर्तन की कोशिश में जुट जाएगा। कहने की जरूरत नहीं कि राहुल-प्रियंका के साथ सोनिया गांधी के सामने भी अब बहुत सारी चुनौतियां सिर उठाने जा रही हैं।
पांचों सूबों की हार को सीधे गांधी परिवार से जोड़कर देखा जा रहा है। यूपी में जहां प्रियंका ने अपने बूते चुनाव लड़ा तो पंजाब में कैप्टन अमरिंदर को बाहर का रास्ता दिखाकर नवजोत सिद्धू को अहमियत देने का काम गांधी परिवार ने ही किया। गोवा में उनके विश्वस्त चिदंबरम कमान संभाले थे वहीं उत्तराखंड में भी हरीश रावत को उनका करीबी माना जाता है। मणिपुर के नतीजों ने आग में घी डालने का काम किया। सबसे अहम चीज ये है कि पंजाब में कांग्रेस ने केजरीवाल के हाथों सत्ता गंवा दी। माना जा रहा है कि आम आदमी पार्टी अब राष्ट्रीय राजनीति में कांग्रेस का विकल्प बनेगी। इससे पहले हुए पश्चिम बंगाल, असम जैसे सूबों के चुनावों ने भी कांग्रेस को हाशिये पर लाकर खड़ा कर दिया था। बंगाल में तो उसका खाता तक नहीं खुल सका। वहीं असम में तमाम गठजोड़ करने के बाद भी कांग्रेस बहुमत से दूर रही। तमिलनाडु में डीएमके जीती पर उसमें कांग्रेस का रोल न के बराबर ही था।
जानकार कहते हैं कि जी-23 के नेता अब ज्यादा मुखर होंगे। गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल लगातार विरोध के स्वर तेज कर रहे हैं। मनीष तिवारी भी गाहे बगाहे नेतृत्व को निशाना बनाते रहते हैं। और भी कई नाम हैं जो गांधी परिवार को नहीं भाते। ये सारे अब नेतृत्व परिवर्तन की आवाज बुलंद करेंगे। वैसे भी कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव जल्दी ही कराया जाना है। जाहिर है कि हार के बाद हार को सामने रख विपक्षी तेवर तीखे करेंगे।

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