दिनेश कुमार कुशवाहा
हर वर्ष मई के महीने में देश के विभिन्न हिस्सों, विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में, तेज आंधी-तूफान आम बात हो गई है। इन आंधियों के कारण कई बार बड़े-बड़े पेड़ या उनकी भारी डालियाँ टूटकर सड़कों, वाहनों या घरों पर गिर जाती हैं। इससे न केवल यातायात बाधित होता है, बल्कि कई बार जान-माल की भी गंभीर हानि होती है। यह एक प्राकृतिक घटना होते हुए भी ऐसी नहीं है जिसे पूरी तरह अनदेखा किया जाए, क्योंकि इसके पीछे कुछ वैज्ञानिक और पर्यावरणीय कारण भी हैं, जिन पर ध्यान देकर इस समस्या को काफी हद तक रोका जा सकता है।
समस्या का कारण
बसंत ऋतु के बाद जब मौसम गर्म होने लगता है, उस समय पेड़ों पर नई-नई कोपलें और पत्तियाँ आने लगती हैं। ये पत्तियाँ अत्यधिक हरी होती हैं और उनमें जल की मात्रा अधिक होती है, जिससे पेड़ों की शाखाएँ और डालियाँ सामान्य समय की तुलना में अधिक भारी हो जाती हैं।
शहरी क्षेत्रों में पेड़ अक्सर अकेले खड़े होते हैं, जिनके चारों ओर पर्याप्त खुली जगह या समर्थन नहीं होता। इसके अलावा, कुछ पेड़ प्रजातियाँ ऐसी होती हैं जिनकी जड़ें गहराई तक नहीं जातीं, या जो समय के साथ बिना देखभाल के कमजोर हो जाती हैं। जब ऐसे पेड़ों पर तेज आंधी आती है, तो उनका गिरना लगभग तय हो जाता है।
प्रभाव
1. जनहानि: कई बार पेड़ गिरने से राहगीरों या वाहन चालकों की मृत्यु तक हो जाती है।
2. धनहानि: मकानों, वाहनों, बिजली के खंभों आदि को क्षति पहुँचती है, जिससे आर्थिक नुकसान होता है।
3. पर्यावरणीय हानि: वर्षों पुराने पेड़ों का गिरना पर्यावरणीय दृष्टिकोण से बड़ा नुकसान है।
4. यातायात अवरोध: सड़कों पर गिरे पेड़ यातायात को घंटों तक रोक सकते हैं।
समाधान: छंटाई (प्रूनिंग) द्वारा रोकथाम
इस समस्या से निपटने के लिए एक सरल लेकिन प्रभावशाली उपाय है – बसंत ऋतु से पहले पेड़ों की वैज्ञानिक और योजनाबद्ध छंटाई।
छंटाई के लाभ:
पेड़ की भारी डालियाँ हल्की हो जाती हैं, जिससे गिरने की संभावना कम होती है।
नई पत्तियाँ अधिक संतुलन के साथ आती हैं।
पेड़ स्वस्थ और संतुलित रूप से बढ़ता है।
आस-पास की संरचनाएँ और लोग सुरक्षित रहते हैं।
किन पेड़ों की छंटाई जरूरी है:
जो पेड़ अकेले खड़े हैं।
जिनकी जड़ें सतही हैं या जो पुराने और कमजोर हैं।
जो अत्यधिक घने या अनियंत्रित रूप से फैले हुए हैं।
अन्य सुझाव
1. नगर निगम और वन विभाग को नियमित सर्वेक्षण कर ऐसे पेड़ों की सूची तैयार करनी चाहिए।
2. स्कूलों, कॉलोनियों और सोसायटियों में लोगों को इसके प्रति जागरूक करना चाहिए।
3. पेड़ लगाने से पहले उनकी प्रजाति, जड़ की गहराई और क्षेत्र की अनुकूलता का ध्यान रखना चाहिए।
निष्कर्ष
तेज आंधी और पेड़ गिरने की घटनाएँ प्राकृतिक होते हुए भी पूरी तरह रोकी जा सकती हैं, यदि हम समय पर सावधानी और वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाएँ। बसंत ऋतु से पूर्व छंटाई करके न केवल जन और धन की सुरक्षा संभव है, बल्कि पर्यावरण की रक्षा और पेड़ों के सतत विकास में भी योगदान दिया जा सकता है।
यह उपाय कम खर्चीला है लेकिन लाभ व्यापक हैं—बस जरूरत है जागरूकता और सक्रियता की।