राम विलास
राजगीर। उद्घाटन के औपचारिकता बिना सोमवार से राजगीर का श्रावणी मेला शुरू हो गया है। देवघर जाने वाले अधिकांश कांवरिया राजगीर आते हैं। यहां के गर्म जल के झरनों व कुंडों में स्नान कर थकान दूर करते हैं। इसके साथ ही यहां के सुरम्य प्राकृतिक वातावरण और धरोहरों का खूब आनंद लेते हैं। इस वर्ष कांवरिया सभी कुंडों में स्नान का लाभ नहीं ले सकेंगे।
इसका कारण है कि यहां के अनेकों गर्मजल के कुंड महीनों से सूखे पड़े हैं। अनंत ऋषि कुंड, गंगा यमुना कुंड, व्यास कुंड आदि के झरने पूरी तरह सूख गए हैं। मार्कंडेय कुंड में तेल की धार जैसी पानी का बहाव हो रहा है। गर्मजल कुंड के नाम पर राजगीर में ब्रह्मकुंड, सूर्य कुंड और चंद्रमा कुंड ही प्रतिष्ठा बनी हुई है। इसके अलावे सप्तधारा कुंड है, जो देशी- विदेशी सैलानियों और स्थानीय लोगों को स्नान के लिये सुलभ है। सप्तधारा कुंड भी अब पहले की तरह नहीं है। इस कुंड में सात की जगह अब केवल पांच झरने ही वहते हैं। दक्षिण के दो झरने गायब हो गये हैं।
वह दो झरना कब और कैसे गायब हुआ है। इसकी खोज खबर प्रशासन द्वारा भी नहीं ली जाती है। सूर्यकुंड क्षेत्र के केवल सूर्यकुंड, चंद्रमा कुंड और एक और कुंड जीवित है शेष सभी कुंड डेड है। यह कहना गलत नहीं होगा कि राजगीर में इन दिनों जीवित कुंड से अधिक मृत कुंड हैं। यह भविष्य के लिए चिंता की बात से कम नहीं है।
Leave a Reply