जन सुराज पार्टी के नेता प्रशांत किशोर ने जातिवाद राजनीति पर हमला बोलते हुए साधा तेजस्वी यादव पर निशाना
चरण सिंह
पटना। क्या बिहार विधानसभा में जातिवाद का मुद्दा छाने जा रहा है ? क्या इस बार बिहार में जातीय समीकरण काम नहीं आएंगे ? क्या प्रशांत किशोर जातिवाद की राजनीति के खिलाफ माहौल बना ले जाने में सफल हो जाएंगे।
दरअसल जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने बिहार विधानसभा चुनाव में जातिवाद का मुद्दे को पूरी तरह से उठा दिया है। उनका कहना है कि देश में जातिवाद की राजनीति ने ऐसा माहौल बना दिया है लोगों के अंदर इस तरह की असुरक्षा की भावना पैदा हो गई है कि यदि उनकी जाति के वोट नहीं हैं तो वे चुनाव नहीं लड़ सकते हैं। उनका कहना है कि क्या लालू प्रसाद और नीतीश कुमार बिड़ला के लड़के थे ? जाति के नाम पर ही वह नेता बने हैं । प्रशांत किशोर ने कहा है कि देश में ऐसा माहौल बना दिया है कि यदि आपके अपने जाति के वोट नहीं हैं तो आप चुनाव नहीं लड़ सकते हैं।
उन्होंने कहा है कि बिहार ही नहीं बल्कि देश के सभी राज्यों में जातिवाद का बोलबाला है। गुजरात, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र समेत सभी राज्यों में जातिवाद का बोलबाला है। दरअसल उप चुनाव हारने के बाद तेजस्वी यादव ने पाने पिता लालू प्रसाद एक एमवाई समीकरण को छोड़कर ए टू जेड समीकरण पर काम करना शुरु कर दिया है।
बात यदि जातिवाद की राजनीति की की जाए तो बिहार में तेजस्वी यादव लालू प्रसाद के बेटे, चिराग पासवान रामविलास के बेटे। पशुपति पारस रामविलास के भाई। मीसा यादव, रागनी आचार्य, तेजप्रताप सिंह ये सभी जातिवाद के नेते हैं।
उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव, मायावती, आकाश आनंद, चंद्रशेखर आज़ाद, ओमप्रकाश राजभर, अनुप्रिया पटेल जातिवाद राजनीति की उपज है। ऐसे ही हरियाणा में ओम प्रकाश चौटाला, अजय चौटाला, अभय चौटाला, भूपेंद्र हुड्डा, दीपेंद्र हुड्डा तो महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे, सुप्रिया सुले, अशोक चौहान, अजित पवार सभी जातिवाद की राजनीति की दें हैं। ऐसे ही तमिलनाडु में एक के स्टालिन जातिवाद की देन हैं।