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लौट कर बुद्धू घर को आये, सीएम समेत महत्वपूर्ण मंत्रालय बीजेपी के पास!

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चरण सिंह
महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री तो बीजेपी का ही बनने जा रहा है। साथ ही गृह मंत्रालय और वित्त मंत्रालय के साथ ही दूसरे महत्वपूर्ण मंत्रालय भी बीजेपी अपने पास रखने जा रही है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता चंद्रकांत पाटिल ने जिस तरह से 137 विधायक बीजेपी के पास होने का दावा करते हुए देवेंद्र फडणवीस का नाम विधायक दल के नेता के लिए प्रस्तावित किया उससे समझा जा सकता है कि सहयोगी दल शिवसेना और एनसीपी दोनों को ही स्पष्ट संकेत दे दिया गया कि उनकी पार्टी बहुमत से मात्र 8 सीटें पीछे है। बीजेपी के 132 विधायक हैं पांच और विधायकों का समर्थन होने की बात चंद्रकांत पाटिल ने दूसरे दलों को महत्वपूर्ण मंत्रालय न मिलने का संकेत देते हुए कही है। मतलब एकनाथ शिंदे के साथ जिस तरह का व्यवहार किये जाने का अंदेशा जताया जा रहा था ठीक उसी तरह से उनके साथ व्यवहार किया गया है।
एकनाथ शिंदे केंद्र में गठित एनडीए सरकार में बीजेपी के सहयोगी दलों की स्थिति देखकर भी नहीं समझ पाये और नखरे दिखाने लगे। शिंदे को यह समझ लेना चाहिए था कि जब केंद्र में सहयोगी दल टीडीपी और जदयू के दबाव में बीजेपी ने मंत्रालय नहीं दिये तो फिर एकनाथ शिंदे कौन से खेत की मूली हैं। केंद्र में सरकार के गठन के पहले टीडीपी के भी गृह मंत्रालय मांगने की चर्चा चली थी पर क्या टीडीपी को गृह या फिर कोई दूसरा महत्वपूर्ण मंत्रालय मिला ? नहीं न। शिंदे को यह बात समझ में नहीं आई कि जिस शिंदे को बीजेपी ने बाला साहेब की शिवसेना से तोड़कर मुख्यमंत्री बनाया उसके नखरे बीजेपी कैसे झेल सकती है ? वैसे भी एक कार्यक्रम में शिंदे मंच पर पीएम मोदी के बगल में आकर खड़े हो गये थे तो पीएम मोदी ने उनका हाथ पकड़कर पीछे कर दिया था। मतलब शिंदे को उनकी औकात बता दी गई थी।
एकनाथ शिंदे ही नहीं बीजेपी के दूसरे सहयोगी दलों को भी यह समझ लेना चाहिए कि बीजेपी की नीति अंग्रेजों जैसी है जिस तरह से अंग्रेज भारतीयों का इस्तेमाल करते थे और फिर ज्यादा भाव दिखाने पर या तो साइड कर देते थे। बीजेपी यह भली भांति समझ चुकी है कि जो एकनाथ शिंदे बाला साहेब के बेटे उद्धव ठाकरे के नहीं हुए वह बीजेपी के क्या हो जाएंगे ? राजनीति तो समीकरण का खेल है। समीकरण आपके पास हैं तो हर पार्टी में आपकी पूछ होगी और जब समीकरण गड़बड़ा जाएंगे तो कोई नहीं पूछेगा। बिना एकनाथ शिंदे के भी बीजेपी सरकार बनाने की स्थिति में है। एकनाथ शिंदे की सरकार में रहना मजबूरी है। वह किसी महत्वपूर्ण मंत्रालय पर अड़ भी नहीं पाएंगे। ज्यादा अडेंगे तो मुख्यमंत्री के पद पर रहने वाले नेता की क्या कमजोरी होती है वह बीजेपी भली भांति जानती है। मतलब उनको नुकसान भी झेलना पड़ सकता है। तो यह माना जाए कि एकनाथ बीजेपी के रहमोकरम पर सत्ता का सुख भोगेंगे।