गीता ज्ञान दाता परमपिता परमात्मा शिव हैं, श्रीकृष्ण गीता ज्ञान की सर्वश्रेष्ठ रचना : पूजा बहन

गीता ज्ञान से तो धरती पर स्वर्ग अर्थात् सतयुग आना चाहिए। जहां सभी का संपूर्ण आचरण धर्म युक्त होता है

सुभाष चंद्र कुमार
समस्तीपुर, पूसा। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के खुदीराम बोस पूसा रेलवे स्टेशन रोड स्थित सेवा केंद्र पर चल रहे सात दिवसीय राजयोग मेडिटेशन शिविर के सातवें दिन ब्रह्माकुमारी पूजा बहन ने गीता का भगवान कौन विषय पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि गीता में ही वर्णित है कि मैं अजन्मा, अभोक्ता हूं। साधारण मनुष्यों की भांति मेरा जन्म नहीं होता, मेरा जन्म दिव्य और अलौकिक है। मैं निराकार हूं। जबकि श्रीकृष्ण ने माता के गर्भ से जन्म लिया।

उन्होंने माता-पिता की पालना भी ली। उनका स्वरूप भी साकारी है, निराकार नहीं। भगवान की महिमा में तो कहा जाता है- बिनु पग चलहि, सुनहि बिनु काना…. अर्थात् वह बिन पग चलता है और बिन कानों के सुनता है। लेकिन श्रीकृष्ण के तो खुद के पग और कान हैं। इससे स्पष्ट होता है कि गीता ज्ञान श्रीकृष्ण ने नहीं दिया। गीता में ही लिखा है कि धर्मग्लानि के समय अधर्म के विनाश और धर्म की स्थापना के लिए मैं आता हूं। यदि श्रीकृष्ण ने गीता ज्ञान दिया तो और ही घोर कलियुग क्यों आ गया? और ही अधर्म चरम पर क्यों पहुंच गया? विवेक कहता है गीता ज्ञान से तो धरती पर स्वर्ग अर्थात् सतयुग आना चाहिए। जहां सभी का संपूर्ण आचरण धर्म युक्त होता है।

दिखाया गया है गीता ज्ञान युद्ध के मैदान में श्री कृष्ण ने अर्जुन को दिया। क्या युद्ध की मनोस्थिति और युद्ध के माहौल में इतनी गूढ़ विद्या दी जा सकती है? क्या भगवान यदि ज्ञान देंगे तो सिर्फ एक को ही देंगे? क्या भगवान जो सभी आत्माओं के पिता हैं, वह अपने ही बच्चों को हिंसा के लिए उकसायेंगे? जबकि अहिंसा को सबसे बड़ा धर्म कहा गया है।

इन सभी बातों पर विचार करने पर यह समझ में आता है कि बहुत सारी चीज़ें जो बताई गई हैं, वह प्रतीकात्मक हैं। उसके पीछे एक भाव छिपा है। जैसे चित्रकार एक चित्र बनाता है उस चित्र में उसका भाव छिपा होता है। ऐसे ही गीता भी भगवान शिव द्वारा सुनाया गया वह ज्ञान-संगीत है, जिसमें सृष्टि के रचयिता और उसकी रचना के ज्ञान के गहरे राज छिपे हैं।

यह सच्चा गीता ज्ञान परमपिता परमात्मा शिव अपने साकार माध्यम प्रजापिता ब्रह्मा के तन में आकर अभी स्वयं दे रहे हैं। चूंकि परमात्मा का अपना कोई शरीर नहीं, वह निराकार हैं इसलिए परमात्मा ने जिस तन में आकर गीता ज्ञान दिया और जिस ज्ञान की जीवन में संपूर्ण धारणा के फलस्वरुप वह आत्मा अगले जन्म में श्रीकृष्ण बनी, उसे ही गीता का भगवान कह दिया गया यानी पिता के बदले बच्चे का नाम डाल दिया गया।

अर्जुन गीता ज्ञान सुनने की पात्रता को दर्शाता है। अर्जुन का अर्थ है ज्ञान का अर्जन करने वाला। अर्जुन के रथ में ही पांच अश्व दिखाये हैं, किसी और योद्धा के रथ में नहीं। पांच अश्व पांच इंद्रियों के प्रतीक हैं। जब हम अपने बुद्धि की डोर परमात्मा को सौंप देते हैं अर्थात् उन्हें अपना सारथी और साथी बना लेते हैं तो इंद्रियां हमारे नियंत्रण में रहती हैं और संसार रूपी धर्मक्षेत्र-कुरुक्षेत्र में हमारी मनोविकारों पर विजय सुनिश्चित होती है।

सलिए अर्जुन के रथ पर जो ध्वज दिखाया गया है उसमें हनुमान अंकित हैं। जिन्होंने कभी पराजय का स्वाद नहीं चखा, अपने अभियान में सदा सफल और विजयी रहे। गीता ज्ञान अर्जुन को शस्त्र उठाकर लड़ने के लिए प्रेरित करता है। परमात्मा काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार आदि मनोविकारों के विरुद्ध लड़ने के लिए ज्ञान-योग के अस्त्र-शस्त्र उठाने का ज्ञान और शक्ति देते हैं।

यह युद्ध वास्तव में हिंसक नहीं होकर अहिंसक युद्ध है। गीता में ही कहा गया है विकार नरक का द्वार है। हम यह पढ़ भी रहे थे, सुन भी रहे थे लेकिन विकारों के आगे घुटने टेके हुए थे। अभी हम भगवान द्वारा दिये जा रहे सत्य गीता ज्ञान से विकारों पर विजय प्राप्त करते हैं, जिससे हमारा जीवन देव तुल्य बनता है।

अभी परमात्मा शिव सच्चा गीता ज्ञान दे रहे हैं- देह सहित देह के सब धर्मों को तज एक मेरी शरण में आ जाओ और मुझे याद करो तो मैं तुम्हें सभी पापों से मुक्ति प्रदान करुंगा। जब हम शरीर को भूल स्वयं को आत्मा निश्चय करते हैं तो निराकार परमात्मा से संबंध जुटता है और हमारे पाप भस्म होते हैं। पापों के बोझ से इस धरा को मुक्ति मिलती है और गीता ज्ञान से नये युग सतयुग की स्थापना होती है। अभी वह परिवर्तन का दौर गीता युग अथवा गीता एपिसोड चल रहा है।

  • Related Posts

    मुख्यमंत्री ने शहीद मोहम्मद इम्तियाज को दी श्रद्धांजलि

     परिजनों को 50 लाख रुपये की सम्मान राशि…

    Continue reading
    बन्दरा में 84 नवचयनित शिक्षकों को प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी ने किया योगदान पत्र वितरित

    मुजफ्फरपुर/बन्दरा।दीपक। प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी प्रेमलता सिन्हा द्वारा मंगलवार…

    Continue reading

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    You Missed

    लावारिस मिलती नवजात बच्चियाँ: झाड़ियों से जीवन तक

    • By TN15
    • May 14, 2025
    लावारिस मिलती नवजात बच्चियाँ: झाड़ियों से जीवन तक

    झाड़ियों से जीवन तक

    • By TN15
    • May 14, 2025
    झाड़ियों से जीवन तक

    मुख्यमंत्री ने शहीद मोहम्मद इम्तियाज को दी श्रद्धांजलि

    • By TN15
    • May 14, 2025
    मुख्यमंत्री ने शहीद मोहम्मद इम्तियाज को दी श्रद्धांजलि

    बन्दरा में 84 नवचयनित शिक्षकों को प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी ने किया योगदान पत्र वितरित

    • By TN15
    • May 14, 2025
    बन्दरा में 84 नवचयनित शिक्षकों को प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी ने किया योगदान पत्र वितरित

    पूर्वी चंपारण में अब तक 1428 ग्राम संगठनों में हुआ महिला संवाद कार्यक्रम

    • By TN15
    • May 14, 2025
    पूर्वी चंपारण में अब तक 1428 ग्राम संगठनों में हुआ महिला संवाद कार्यक्रम

    दिव्यांग बच्चों के प्रमाणीकरण हेतु विशेष स्वास्थ्य शिविर का आयोजन

    • By TN15
    • May 14, 2025
    दिव्यांग बच्चों के प्रमाणीकरण हेतु विशेष स्वास्थ्य शिविर का आयोजन