विचार की भट्टी का असर!

सोशल मीडिया में हर रोज सियासी उठा पठक, बड़े चैनलों के साथ-साथ बेशुमार बन गए अपने निजी प्रसारण केंद्रो की मार्फत ज्ञान बघारने, दूसरों को दोयंम दर्जे का सिद्ध करने के साथ तोहमत लगाने का खेल भी बड़े जोर शोर से इन दिनों चल रहा है। उसकी ताजा मिसाल कांग्रेस पार्टी के बने संगठन के वेतन, भत्ता भोगी कार्यकर्ताओं के साथ-साथ कांग्रेसी राज में मलाई चाट रहे परंतु अब बेरोजगार तथा कुछ कम्युनिस्ट जो ऐसे मौके की तलाश में हमेशा घात लगाए रहते हैं की सोशलिस्टों को कैसे खत्म किया जाए ताकि सर्वहारा के एकमात्र हिमायती हम ही दिखाई दे। अब कांग्रेस के खैरख्वाह बनकर सोशलिस्ट तहरीक खासतोर से जयप्रकाश नारायण, डॉक्टर लोहिया पर यहां तक आरोप लगाने की हिमाकत करने लगे कि यह तो सीआईए के एजेंट थे, इसराइल से इन्हें पैसा मिलता था। इस कवायद का असर उल्टा ही हो गया। जयप्रकाश लोहिया को तो क्या बदनाम करते, सालों साल
कांग्रेसी राज में बर्बाद हुए लोग अपने जख्मो को याद करते हुए कभी 84 का सिख दंगा, हाशिमपुरा वगैरा याद दिलवाने लगे। इस आग में सबसे ज्यादा घी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, भाजपा के द्वारा बनाए गए गुप्त संगठन के वेतन भोगी, ऊपर से आरएसएस विरोधी नकाब ओढ़े डालने लगे।
‌ लेकिन शहर से मीलो दूर अपने गांव के खेत में बनाए घर में बैठा चंचल नाम का एक इंसान, जंगे आजादी के अपने तीनों नायको जवाहरलाल नेहरु, जयप्रकाश नारायण , डॉ राममनोहर लोहिया पर हो रहे हमलो को देखकर बिफर हो उठा। चंचल की कलम ने में रौद्र रूप धारण कर लिया, तवारीख के पन्ने पलटने के साथ-साथ अपने इन रहबरों जिन्होंने अपना सब कुछ इस मुल्क के लिए लुटा दिया था गिरोहियों,ं वेतन भोगियों, अपने मालिकों को खुश करने के लिए तोहमत मढ़ने वालों को नंगा करने लगा। भारी, देश विदेश के सरकारी अनुदानों से गांधी नेहरू पर अखबारों की कतरनों, किताबों की फोटो स्टेट, आंकड़ों की बाजीगरी इस्तेमाल करके किताबें तैयार करने वाले इन बुद्धिजीवियों को अकेले चंचल के लेखो ने उन्हें बौना सिद्ध कर दिया। सोशल मीडिया में कांग्रेस की हिमायत और अपने आराध्यों के ज्ञान त्याग संघर्ष की सीधी सच्ची बानगी के साथ हजारों हजार पाठकों को कीचड़ फेंकने वालों के खिलाफ लामबंद कर दिया। चंचल की कलम की धार, मार और कला का कारण बनारस विश्वविद्यालय का छात्र रहते समय सोशलिस्टों की सोहबत में डॉ राममनोहर लोहिया, राजनारायण मधु लिमए के विचार दर्शन से हुई मंजाई, घिसाई पिटाई की भट्टी में तप कर बनी शख्सियत से हुई।
जयप्रकाश लोहिया पर मैला फेंकने वालों देखना, एक दिन तुम अपने मालिकों की नजर में ही बोझ बन जाओगे।
राजकुमार जैन

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